‘लप्रेक’ के आरंभिक लेखकों में रहे विनीत कुमार ने कहानी 140 में उत्साहपूर्वक हिस्सा लिया और उसके एक विजेताओं में भी रहे. आज उनकी कुछ ट्विटर कहानियां- जानकी पुल.
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1. नहीं, आज रत्तीभर भी अपने भीतर जीके1 लेकर नहीं जाएगी और उसका ढेर सारा यमुना पार लेकर लौटेगी. आज उससे नहीं,खुद से लड़ना है.
2. 1 चुटकी मां और ढेर सारी गर्लफ्रैंड की फीलिंग्स से उसने चूमा-माई बेबी,ये तो ठीक है पर तुम कल कहां थी? इस 1 सवाल से बेबी फिर से मर्द हो गया था.
3. छोड़ न यार ये ब्रेकअप, शेकअप.अपन दोस्त तो रह ही सकते हैं. नहीं,तुम्हें किसने कह दिया दोस्ती में ब्रेकअप नहीं होती.रहने देते हैं.
4.छोड़ 2 न माया,बच्ची है.बच्ची है,अभी से नहीं रोका तो कल को तुम मर्द कहोगे-सy आरतें झूठी होती है. देव को दिया तो बताया क्यों नहीं ?
5. सच बताओ,तुम मुझमे क्या खोजते रहते हो,मेरी बुराई? नहीं,1 नदी जिसमे अपने दर्द घोल सकूं जो तुम्हारे हिस्से का आंसू बनकर बहता रहे.
6.जिम जाकर तुम्हारी कमर पतली हुई लेकिन सीना नहीं फैला? यकीन करोगी,मैं करीना की पिक लगाकर डिप्स मारता हूं,डंबल नहीं उठाता.आइ हेट मेन.
7. मां,मेरी ड्राइंग देखो न. क्या-2 देखूं बेटा? मुझे क्या पता था जो नाव बनकर आंखों में उतरा था वो गृहस्थी बनकर जिंदगी पर सवार हो जाएगा.
8. दिखा-2,तू भी पैबंद लगी पैंट पहना है.बदमाश बच्चे ने उसे घसीटा. पैबंद दिखने लगी थी पर वो चीखा- तुम इस तिरंगे का अपमान नहीं कर सकते.
9. टीवी स्क्रीन पर जहां-तहां दाग थे. इसे साफ नहीं करते निम्मी? नहीं चाचू,दादी आपको देखकर स्क्रीन चूमती रहती है. एंकर की नीस ने कहा
10. और अनूप का तमाचा सौम्या की गालों पर जड़ चुका था.दरवाजे से सटी हनी सहम गई. क्या सपनों का राजकुमार बाद में पति बनकर मुझे भी पीटेगा?
11. ये लो मेरी एफबी पासवर्ड,अब खुश ? रहने तो आदि,जब यकीन ही नहीं रहा तो पासवर्ड लेकर क्या करुंगी,भरोसा पासवर्ड में तो कैद नहीं न ?
12. तुम पापा से ऐसे बहस नहीं कर सकती निक्कू.ओके,पर पहले बताओ,इस घर में कितने घंटे ये पापा नहीं मर्द होते हैं,मैं तभी बहस करुंगी
13. तुम ये क्या खाने,धुले कपड़े की पिक्स एफबी पर लगाते हो,सो फन्नी.जाने दो,मेरी मां चिंतामुक्त रहती है न कि मैं दिल्ली में खुश हूं.
14. मेरी जिंदगी की 1-1 इंच तुम्हारे हिसाब से क्यों होने चाहिए ?क्या तुम मेरे भीतर जीती मेरी मां को बाहर कबाड़ में फेंक देना चाहती हो ?
15. तुमने इस ठंड में अपने स्कूल की ब्लेजर क्यों बेच दिए ? क्योंकि सर्टिफिकेट का कोई खरीदार नहीं मिला.हमें ठंड नहीं भीतर की आग बचानी है.
16. मेरे साथ के वो दिन तुम्हारी इस 140 शब्दों की कहानी में कैद नहीं होंगे लेखक. कोई बात नहीं,उन दिनों का एक लिखित इतिहास तो होगा
रोचक है
Great work..Khalil Jibran sahab ke baad pahli baar kisi ko itne kam shabdon me itna adbhut likhte dekha hai…
रोचक। विनीत की कहानियां चकाचक।
ये कौन अनूप है भाई जो सौम्या को तमाचा जड़ गया। कहानी नंबर 10 में।