वर्तिका नंदा की कविताओं में स्त्री के रोजमर्रा के जीवन का एक नया अर्थ मुखरित होता है. कवितायेँ उनके लिए दैनंदिन को अर्थ देने की तरह है. आज उनकी कुछ नई कविताएँ, कुछ नए मुहावरों में- जानकी पुल
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शर्मोहया
आंखों का पानी
पठारों की नमी को बचाए रखता है
इस पानी से
रचा जा सकता है युद्ध
पसरी रह सकती है
ओर से छोर तक
किसी मठ की–सी शांति
पल्लू को छूने वाला
आंखों का पोर
इस पानी की छुअन से
हर बार होता है महात्मा
समय की रेत से
यह पानी सूखेगा नहीं
यह समाज की उस खुरचन का पानी है
जिससे बची रहती है
मेरे-तेरे उसके देश की
शर्म
…..
जो वापसी कभी न हुई
गाना गाते हुए
घर लौटी औरत
इठलाती, महकती भरी-भरी सी
घर लौटी औरत
मन में नाचती, आंखों से नहाती
घर लौटी औरत
मटकी जमीन पर रखकर
चूल्हे से जूझती
जमीन पर जब तक लेटी औरत
तब तक बुझी लालटेनों
सिसकती किस्मत के बीच
कौन जाना
कब
घर लौटी औरत
गुमशुदा की तलाश
ये लड़कियां कहां जाती हैं
लापता होने पर
और पता होने पर भी
कैसे पता नहीं
खुद अपने हाशिये पर सरकी रहती हैं लड़कियां
हां, कुचली किस्मत की लड़कियों का
कोई पता होता ही नहीं
पता हो जाए
मिल जाए ये लड़कियां कहीं
तो वो खुद ही सोचती हैं-
अब तो पूरी तरह से
लापता ही हो गईं लड़कियां
लड़कियां पैदा ही होती हैं क्या लापता
दुख
– दुखों को पुराने कपड़े में डाला
कूटने के बाद निकले कांटे, खून में सने
फिर खारा, बहुत खारा पानी
उसके बाद दुख , दुख न रहा
………………….
किताब में दुख की तस्वीरें थीं
गोधरा, भोपाल, संसद, सड़क
कुछ खंडहर, कुछ भटके मरहम
आंख-मिचौली में दुख जब छिप जाता है
थमी हुई सांसें
लिख देती हैं तब
कुछ ऐतिहासिक इबारतें
………………
– दुख गीला होता है
आंसुओं में सींचा हुआ
तमाम षड्यंत्रों के बीच
पीला भी पड़ता है दुख
सूखने के बाद
चोला बदलकर
सुख भी देता है दुख
दुख को छील दो
पत्थर के नाखूनों से
कातर करने वाला दुख
जब खुद हो उठता है कातर
तब समझ में आता है
बौनेपन का मतलब
लड़कियां पैदा होती हीहैं क्या लापता
kavika achchi lagi, danybad.
प्रभावपूर्ण कवितायेँ ..
सिसकती किस्मत के बीच
कौन जाना
कब
घर लौटी औरत
कुचली क़िस्मत, खारा पानी, गीला दुख, पुराने कपड़े- स्त्रीत्व की एक हूक है जो इन कविताओं को संप्रेषणीय बनाती है।
वर्तिका जी की इन कविताओं से गुजरना हमें हमारे समय के खुरदरे और कड़वे यर्थाथ से परिचय कराता है…
BAHUTE NEEK LAGAL
भावप्रवण कवितायें ! शुभकामनायें ।
अच्छा लगा वर्तिका नंदा की कवितायें पढ़ना…
Bahut Achchhi kavitayen