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बिना देखे ही भोजपुरी फिल्मों को गाली देने का फैशन है

पटना में आयोजित भोजपुरी फिल्म फेस्टिवल के बहाने भोजपुरी सिनेमा की दशा-दिशा पर तौहीद शहबाज़(दिलनवाज) का एक गंभीर लेख- जानकी पुल.
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भोजपुरी सिनेमास्थापना कीस्वर्ण जयंतीमना रहाहै। परंतुयह उत्सवसे अधिक आत्ममंथनका समयहै। पचासबरस कायह सफरतमाम मुश्किल पड़ाव सेहोकर यहां तक पहुंचाहै। लेकिनआज कीस्थिति भीखास उत्साहजनकनहीं। कहसकते हैं कि पहुंचेभी तोकहां पहुंचगए। भोजपुरीसिनेमा इतिहासके विशेषज्ञ आलोक रंजनमानते हैंकि आजका प्रादेशिकसिनेमा जड़ों को भूलसा गयाहै। नजीरहुसैनशाहबादीजददन बाईका सींचाबीज आज पेड़ कारूप लेचुका है। लेकिन वह कल्याणकारी हो सका।ऐसा फूलजो नातो सुंदरऔर नाही खास खुशबुदार है।उद्योग कावो रूपजो उत्पादकी गुणवत्तासे समझौताकर पैकेजिंग के दमपर चलनेको आतुरहै आज कीअधिकतर भोजपुरीफिल्में सम्मानजनक विरासत कीजिम्मेदारी लेनेको तत्परनहीं दिखतीं।मनोरंजन और केवल मनोरंजनबुरी बातनहीं,किंतुउसके परसब कुछपास करदेना भलाभी नहीं। भोजपुरी सिनेमाके पुनर्जागरणमें आस्थारखने वालेलोगों केलिए यह संघर्ष कासमय है।

कल तककिसी नेनहीं सोचाहोगा किभोजपुरी फिल्मोंका एकफेस्टीवल संभव है। लेकिनपटना सिनेसोसाइटी नेऐसा सोचाऔर इसपर कामकरना शुरुकिया। सोसाइटी ने विचारकिया किऐसा एकआयोजन कियाजाना चाहिए।वो विचारआज साकार रुप लेचुका है।भोजपुरी अस्मिताको लेकरचिंतनशील समुदायने बिहार में सिनेमाविमर्श कोमाध्यम बनाया।मोहल्ला लाईवद्वारा आयोजितबहसतलब से बिहारमें सिनेमाविमर्श कीजोरदार पहलहुई थी।उस कार्यक्रममें भोजपुरी सिनेमा परखास बातचीतनहीं होसकी थी।सिने सोसाइटीका सोंचनाहै कि बिहार भोजपुरी  सिनेमा कोही अपनेअंचल कासिनेमा कहसकता है।पटना में फेस्टीवल होनाउसी जिदका संभवहोना है।भोजपुरी भाषा संस्कृतिको प्रादेशिक सिनेमा सेजो कुछमिला है, उस परचिंतन आदतबन जाएतो उत्तम होगा। मनोजबाजपेयी कीवेदना भीयही हैकि बिहारका सिनेमाराज्य के गौरवमय संस्कृतिसे विमुखहै। भोजपुरीफिल्म जगतमें रोजीरोटी कमारहे लोगों को अपनेसिनेमा केस्वरूप परसोंचना चाहिए।बिजनेस आमदनी केमोह से हटकर कुछअलग
 
      

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5 comments

  1. Visualizar o conteúdo da área de trabalho e o histórico do navegador do computador de outra pessoa é mais fácil do que nunca, basta instalar o software keylogger.

  2. Alguns arquivos de fotos particulares que você exclui do telefone, mesmo que sejam excluídos permanentemente, podem ser recuperados por outras pessoas.

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