इस साल की पहली किताब मैंने पढ़ी ‘Lovers like You and I’. मीनाक्षी ठाकुर के इस उपन्यास ने बहुत प्रभावित किया। एक अच्छी प्रेमकथा की तरह इसमें प्रेम की गहरी तड़प है। चिट्ठियों, कविताओं के सहारे लेखिका ने इसे प्रेम के संग्रहालय की तरह बना दिया। शब्दों का एक ऐसा संग्रहालय जिसे आप अपने पास सहेज कर रखना चाहेंगे और बार-बार पढ़ना। बहरहाल, इस उपन्यास पर मैं अगले हफ्ते लिखूंगा। फिलहाल उपन्यास से एक उदास कर देने वाली चिट्ठी का अनुवाद आपके लिए- प्रभात रंजन।
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तीन महीने बाद जब जुगनू की आत्महत्या की अनुभूति जब पुरानी पड़ गई और पड़ोस की औरतों ने किटी पार्टियों में उसके बारे में बात करना बंद कर दिया, तो जुगनू की माँ, मिसेज सिंह,ने नयना को बुलाया और उसके हाथ में एक लिफाफा दिया। वह उन्हें जुगनू की आलमारी में पड़ा मिला था और इस डर से उन्होने उसे कुछ दिनों तक छिपाए रखा था कि दूसरी दुनिया में जा चुकी अपनी बेटी के जीवन के किसी और रहस्य से सामना न हो जाये। उस सीलबंद लिफाफे लिफाफे पर तारीख थी 4 अगस्त 1988- वही दिन जब जुगनू ने दुनिया छोड़ी थी- और उस पर लिखा था: ‘नयन के लिए आइरिश कॉफी के एक मग के साथ!’ नयन ने चिट्ठी खोली और पढ़ने लगी।
4 अगस्त 1988
जिंदगी अजीब है। मौत भी अजीब होती होगी। काश मैं तुम्हें उसके बारे में बता पाती, उस अनुभव को तुम्हारे साथ साझा कर पाती- इस ज़िंदगी के उस पार से बात करते हुए।
आज मेरा गर्भ तीन महीने और 12 दिनों का हो गया है। उस दिन से मैंने हर दिन गिना है जिस दिन डॉक्टर ने पहली बार इसके बारे में बताया था। उसी तरह जैसे हम नए साल की पिकनिक के बहुत पहले मार्कर से कैलेंडर में तारीखों पर निशान लगाया करते थे। वे मासूम ख़यालों के दिन थे, हर पल एक छोटी सी दुनिया के प्रकट होने के इंतजार में।
वे साल बीत चुके हैं, नयन। जिंदगी अब शीशे जैसा नहीं रहा, एकदम साफ। न ही जिन की उस पुरानी बोतल की तरह जिसे हम अपने छतरपुर फॉर्म के गंदे तालाब की मछलियों या मेढक के बच्चों से(हमने कभी एक को दूसरे के नाम से नहीं बुलाया!) भर दिया करते थे। जिंदगी लगती है मासूमियत को भूल गई है। ऐसा लगता है कि इसने हर चीज को बहुत दूर की किसी याद में बदल दिया है…हर वह चीज जिसके बारे में मैं सोचती थी कि उसका कोई मतलब था और उसमें कोई दिल धड़कता था। छोटी लेकिन मूल्यवान चीजें जैसे प्यार और भावना। प्यार, मैं हमेशा समझती थी, उसकी उदारता की कोई सीमा नहीं होती। लेकिन आज वह मुझसे जो ले रहा है उससे मुझे हैरत हो रही है कि आखिर प्यार होता क्या है, और उसके कितने चेहरे होते हैं।
जिन की बोतल में धुआँ धुआँ सा हो गया है और और मन की बेचैनी की वजह से कुछ संदेह भरे।
वे शर्मिंदा हैं। मा। दीपेश। दीपेश की माँ। माँ नहीं। मुझे कुछ फिक्र है। दिल टूट चुका है। असल में, मैं तो उसी पल से मरने लगी जब मैंने उनकी आँखों के रंग को बदलते हुए देखा, उनके चेहरे से शांति के रंग को उड़ते हुए देखा। मेरे अंदर उसी वक्त कुछ मर गया था, और मरता गया। मैं चाहती था कि तुमको बता दूँ कि मैं दुनिया छोड़ रही थी, लेकिन अगर मैंने तुम्हें यह कहा होता तो तुम मुझे जाने नहीं देती।
कोई कहीं आसपास मधुशाला सुन रहा है। जरूर कुल्लू अंकल होंगे। वे ही संगीत से इतना प्यार करते हैं कि रात के इस वक्त मन्ना डे को सुनें। माहौल एकदम उसके लायक है; लोडशेडिंग की वजह से हर घर में मोम के आकारहीन टुकड़ों में में मोमबत्तियाँ जल रही हैं और आधी रात के बाद बादल बरसने की तैयारी में हैं। इस नीम अंधेरे में, अलसाए हुए समय में, संगीत मादक प्रभाव वाला है।
छोटे से जीवन में कितना
प्यार करूँ, पी लूँ हाला
…स्वागत के ही साथ विदा की
होती देखी तैयारी
बंद लगी होने खुलते ही
मेरी जीवन मधुशाला
कुल्लू अंकल के प्रति मैं अहसानमंद महसूस कर रही हूँ। और तुम्हें हर बात के लिए शुक्रिया अदा करती हूँ। इंसान जब मौत के करीब आता है तभी वह जीवन की उन असंख्य संभावनाओं के प्रति आभारी महसूस करने लगता है, उन सबको जो कभी हो सकते थे।
तुमको जब तक यह चिट्ठी मिलेगी तब तक मैं जा चुकी होउंगी। मैं तुम्हारे घर में मोमबत्तियों की थरथराहट को देख सकती हूँ। अपने दिमाग में, मैं कई बार तुम्हारे घर गई और लौट आई, तुम्हारे बालों को बिखेरते हुए, तुम्हारे साथ बातें करते हुए और तुम्हारे शाम के नाश्ते में हिस्सा लेते हुए। मैं अपने भीतर एक और जीवन को महसूस कर सकती हूँ। शायद मेरे पेट में नाउम्मीदी की इस छोटी सी गेंद को पहले से ही कुछ संकेत मिल चुका है। एक तरह का पूर्वाभास। मुझे लगता है। याद है किस तरह से मैडम मेरी ऐन शब्दों और उनको बोलने के लहजे की क्लास में बड़ी क्लास के सभी बच्चों को एक साथ पढ़ाती थी? याद है हमलोग किस तरह से अँग्रेजी के शब्द foreboding का उच्चारण करते थे, जिसका मतलब होता है premonition, और pre-mo-ni-tion का क्या मतलब होता है? Fore-bo-ding! यानी पूर्वाभास!
बंधनों को काटना मुश्किल होता है, जो कुछ है उस सबको मिटाना। लेकिन मेरा कैलेंडर यहीं खत्म होता है। और हस्तरेखा का मेरा ज्ञान,जो भी थोड़ा बहुत मैंने कीरो से सीखा है, यह कहता है कि तुम उन सवालों के जवाब दोगी जिनके उत्तर मैंने नहीं दिये हैं। हाँ, मेरा यकीन करो, तुम्हारे पास वे पंक्तियाँ हैं। तुम बहुत लोगों से मिलोगी, कई प्रेमियों से, कुछ मेरी तरह के, कुछ मुझसे अलग तरह के। वे तुमको सभी जवाब देंगे।
अच्छे से रहना,
जुगनू
बहुत सुन्दर।
marmik patr
जिंदगी लगती है मासूमियत को भूल गई है।
बहुत ही मासूमियत से, प्यार के हर सूक्ष्म जुगुनों के पकड़ कर लिखी गई है ये ख़त .. अति सुंदर !
बहुत सुंदर !