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‘नीला आसमान’ वाया ‘दूसरी परंपरा’

‘दूसरी परंपरा’ पत्रिका ने अपने कुछ अंकों में नए रचनाकारों को सामने लाने का बढ़िया काम किया है। उसका प्रमाण है शोभा मिश्रा की यह कहानी, जो पत्रिका के नए अंक में आई है। परिवार, परिवार में महिलाओं का जीवन, उसके सपने, कहानी बहुत बारीकी से बुनी गई है। मुझे पढ़ते हुए कई बार ‘कोहबर के शर्त’ वाले केशव प्रसाद मिश्र याद आते रहे। इस तरह के जीवन को हम लोग भूलते जा रहे हैं और इस तरह की कहानियाँ भी। कहानी बहुत लंबी है इसलिए यहाँ प्रस्तुत है उसका एक प्रासंगिक अंश- प्रभात रंजन
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अब तो ग्लास पेंटिंग बनाने में सुनैना का मन खूब रमने लगाशीशे के लिए अम्मा कभीकभी पैसे दे देती थीं लेकिन कभीकभी पेंटिंग्स के लिए रंग और शीशेकपड़े के लिए पैसे माँगने पर घर में माहौल बहुत बिगड़ जाता था! चाचाजी सुनैना को हमेशा यही नसीहत देते की तुम अपनी पढ़ाई पर ध्यान दोबहुत मुश्किल से पास भर हो जाती हो, ये सब चित्रकारीवारी में कुछ नहीं रखा है! चाचाजी की बातों का कभी वह विरोध नहीं करती थी लेकिन अकेले में यही सोचा करती कि पढ़ाई में होशियार होना और कक्षा में अव्वल आना ही सबकुछ होता है क्या? आज हमारी बनाई कितनी सीनरी बिक जाती हैं। कुछ ग्लास पेंटिंग्स और सीनरी मास्टरजी की पेंटिंग्स के साथ प्रदर्शनी में भी शामिल की गई! दिल्ली के एक बड़े चित्रकार मास्टरजी की पेंटिंग्स के साथ हमारी भी पेंटिंग्स खरीदकर ले गए थे! ये सब छोटीछोटी मन को संतोष देनेवाली उपलब्धि कम हैं क्या


एक दिन जब सुनैना को शीशे के लिए पैसे नहीं मिले तो वो बहुत रोईअम्मा उसे समझाती रहीं, ‘‘रो मतजब हमरे पास होगा तब हम तुम का पेंटिंग के सामान के लिए पैसा जरूर देंगे!’’ सुनैना के पास आयल कलर और ब्रश था लेकिन उसे पेंटिंग बनाने के लिए शीशे की जरूरत थी! एक दिन दोपहर में अम्मा के पास लेटीलेटी सुनैना ने अम्मा का हाथ अपने हाथ में लेकर बड़े प्यार से उनसे बक्से में रखी उनकी कढ़ाई की हुई फोटो के बारे में बात करने लगी

‘‘अम्मा! उस फोटो का क्या करोगी? इत्ते साल से उसको बक्से में काहे रखी हो? उसको कमरे में सजा क्यों नहीं देती दीवार पर?’’ अम्मा स्नेह से उसके सर पर हाथ फिराती हुई बोली, ‘‘वो फोटो हमारे मायके की याद हैगर्मियों की दुपहरिया में ओसारा में तुम्हारी नानी के साथ बैठकरसाँझ को छत पर सखियों के संग हँसी
 
      

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19 comments

  1. samvedna liye behad hi marmik kahani… aur samaj ke jiwant prashno ko aayina dikhati….

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  4. भीग गयी आँखें !
    यूँ तो देखा हुआ … जाना हुआ सच है !
    हमारे समाज का एक अंग अब भी निष्प्राण ही जीता है …
    कोई कोई ही तो गोलियां खा कर त्राण पाती हैं ….
    बाकी तो बहुत सी, यूँ ही जीवन भर, अपनी ही लाशों को अपने काँधे पे उठाये-उठाये जीतीं हैं !
    बेहद मार्मिक कहानी !

  5. सरल और मार्मिक कहानी ।बधाई !

  6. किसी भी इंसान का हुनर उसकी आत्मा होती है।मायके और स्कूल, कॉलेज मे बहुत सराही गई लड़कियां ससुरालवालों की पसंद नापसंद पर अपना हुनर कुर्बान कर देती हैं और आजीवन हताशा मे जीती हैं ।

  7. शोभा जी की कहानी बेहद संवेदनात्मक है जो दिल मे तो उतरती ही है साथ मे समाज पर भी प्रश्न खडा करती है आखिर कब तक ऐसा होता रहेगा?

  8. बहुत खूब !

  9. अच्छी कहानी….

  10. बहुत अच्छी कहानी मार्मिक कहानी ……..समाज का वीभत्स और सच्चा रूप …….
    हार्दिक बधाई शोभाजी ……..

  11. यह समाज का असली चेहरा है और वैवाहिक संस्था का विदरूप रूप , सर्वथा साथ है बढ़ाई शोभा जी को

  12. ककितनी ही लडकियां अपनी कला और हुहुनर को परिवार और समाज के लिए तिरोहित कर देती है। कटु सत्य बयान करती है कहानी

  13. If you’re wondering how to find out if your husband is cheating on you on WhatsApp, I might be able to help. When you ask your partner if he can check his phone, the usual answer is no.

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