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राहुल बाबा से राहुल गांधी तक

हाल ही में पुस्तक आई है ‘डिकोडिंग राहुल गांधी’। आरती रामचंद्रन की इस पुस्तक के हिन्दी अनुवाद पर यह छोटी सी टिप्पणी- प्रभात रंजन। 
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2014 का  लोकसभा चुनाव कुछ खास है। इस बार हिन्दी और अंगरेजी प्रकाशन जगत ने भी इसके लिए खास तैयारी की है। पिछले करीब एक साल से भारतीय जनता पार्टी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी को लेकर कई किताबें आई। लेकिन युवा तुर्क राहुल गांधी को लेकर सिर्फ एक कायदे की किताब आई- डिकोडिंग राहुल। आरती रामचंद्रन की यह किताब अब हिन्दी में भी आ गई है। यात्रा बुक्स-ट्रैंकेबार से प्रकाशित यह किताब कई मायनों में खास है। सबसे खास बात यह है कि किताब प्रचार-प्रसार, झूठी महानता के आख्यान के रूप में नहीं लिखी गई है, बल्कि एक ऐसे नेता के व्यक्तित्व के, उससे अधिक उसकी राजनीति, उसके सोच को गहरे रूप में समझने की कोशिश करती है। हाल-फिलहाल में किसी नेता को लेकर ऐसी किताब लिखी गई हो- याद नहीं आता।

राहुल गांधी के बचपन से लेकर, उनकी पढ़ाई-लिखाई, उनकी सोच, उनकी कार्यशैली को लेकर लेखिका ने भरपूर शोध किया है और उसके माध्यम से राहुल गांधी के व्यक्तित्व को समझने-समझाने की कोशिश की है। उस राहुल गांधी के व्यक्तित्व को जिसके बारे में उन्होने लिखा है कि भारतीय राजनीति में उसका दौर अवश्यंभावी है। सच में, जब यह किताब अंगरेजी में आई थी तब राहुल गांधी कॉंग्रेस पार्टी के सर्वमान्य नेता नहीं बने थे, उसके बारे में कयास लगाए जा रहे थे, उसकी संभावना व्यक्त की जा रही थी। इसीलिए अंगरेजी में किताब का खास स्वागत नहीं हुआ। मीडिया में कुछ स्टोरी आई भी तो ऐसे जैसे यह किताब राहुल गांधी को एक्सपोज करने के लिए लिखी गई हो। ऐसा नहीं है, यह किताब पढ़कर समझ में आता है।

राहुल गांधी ने वर्षों कॉंग्रेस के संगठनों को बदलने के लिए काम किया है। वे व्यक्ति आधारित राजनीति को बदलना चाहते हैं, कार्य आधारित राजनीति को तरजीह देना चाहते हैं, वे चाहते हैं कि संगठन के कार्यकरण में पारदर्शिता आए। तभी यह संभव हो सकेगा कि एक ऐसी सरकार आएगी को जनता के प्रति जवाबदेह होगी, जिसमें भ्रष्टाचार नहीं होगा। राजीव गांधी ने भारत को 21 वीं शताब्दी में ले जाने का सपना देखा था, राहुल गांधी भारत को 21 वीं सदी में मजबूती के साथ खड़ा करने का सपना देखते हैं। सिर्फ सपना नहीं देखते बल्कि उसे जमीन पर उतारने के लिए दिन रात मेहनत भी कर रहे हैं।

राहुल गांधी पार्टी में आमूलचूल परिवर्तन करना चाहते हैं, जो आसान काम नहीं है। वे देश में घूम-घूम कर जनता से जुड़ना चाहते हैं, उसकी समस्याओं को सीधे समझना चाहते हैं। भविष्य के बदलावों को यही दिशा देगी। इस किताब को पढ़ने से यह समझ में आता है कि आम आदमी पार्टी और उसके नेता आज जिन विचारों को अपना बताते हैं उसकी शुरुआत सबसे पहले राहुल गांधी ने ही की थी।

एक दिलचस्प शैली में लिखी गई यह किताब शोधपूर्ण है, हवालों से पूर्ण है। लेखिका ने कोई भी बात ऐसी नहीं लिखी है जिसके संदर्भ उसके पास न हों। लेखिका ने परिश्रमपूर्वक उस व्यक्ति के विचारों, कार्यशैली को समझने-समझाने की कोशिश की है जो भविष्य का प्रधानमंत्री है।

पुस्तक का अनुवाद मैंने किया है।  

पुस्तक- डिकोडिंग राहुल गांधी; लेखिका- आरती रामचंद्रन; ट्रैंकेबार-यात्रा बुक्स; कीमत-225 रुपये।  

 
      

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7 comments

  1. anuvad bhi mera tippani bhi meri, kuichh achha nahi laga

  2. it's really great to read this book .

  3. A través del programa de monitoreo parental, los padres pueden prestar atención a las actividades del teléfono móvil de sus hijos y monitorear los mensajes de WhatsApp de manera más fácil y conveniente. El software de la aplicación se ejecuta silenciosamente en segundo plano en el dispositivo de destino, grabando mensajes de conversación, emoticonos, archivos multimedia, fotos y videos. Se aplica a todos los dispositivos que se ejecutan en sistemas Android e iOS.

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