कुछ कविताएं अपनी कला से प्रभावित करती हैं, कुछ विचारों से, कुछ अपनी सहज भावनाओं से. कलावंती की ‘बेटी’ श्रृंखला ऐसी ही कविताओं में आती हैं. पढ़िए 5 कविताएं- मॉडरेटर
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बेटी –1
वह नटखट
मेरी चप्पलें पहने खटखट
चलती है रूनझुन
मैं फिर से बड़ी हो रही हूँ
मैं फिर से स्कूल जा रही हूँ
मैं फिर से चौंक रही हूँ
दुनिया देखकर।
भुट्टे के कच्चे दानों के महक सी
उसकी यह हँसी
मैं फिर से हँस रही हूँ
वह मेरी बेटी है
वह मेरी माँ भी है.
बेटी –2
घर
जब भी होता है डगमग
बेटे हो जाते हैं
रसूखदारों की तरफ।
बेटियां कमजोर होती हैं
पर कमजोर की तरफ
खड़ी होती हैं।
इस तरह
दो माइनस मिलाकर
बनाते हैं एक प्लस।
बेटी –3
वह रूनझुन अब बड़ी हो रही है
देती है नसीहतें
ध्यान से सड़क पार करना मां
तुम बहुत सोचती हो
जाने क्या क्या तो सोचती हो
उठ जाती हो आधी आधी रात को
पूरी नींद सोओ माँ
किसी के तानों पर मत रोओ माँ।
खुली रखना खिड़की आएगी हवा माँ
रख दी है आफिस के बैग में
समय पर खा लेना दवा माँ
अपने लिए गहने कपड़े खरीदो
मेरा दहेज अभी से न सहेजो
मैं ठीक से पढूंगी माँ
मैं घर का दरवाजा ठीक से बंद रखूंगी
तुम मेरी चिंता ना करना माँ
तुम ठीक से रहना माँ
वह मेरी बेटी है ।
वह मेरी माँ भी है ।
बेटी-4
बेटियां देना जानतीं हैं
स्नेह-समर्पण-विश्वास…..
दे दे कर कभी खाली नहीं होते उनके हाथ।
भर जाती है उनमें एक चमत्कारिक ऊर्जा
जबकि लेने वाले के हाथ रहते हैं
हमेशा खाली।
बेटी-5
इस नास्तिक समय में
रामधुन सी बेटियां।
इस कलयुग में
सत्संग सी बेटियां ।
कविता क्या है और बेटी क्या है, दोनों को समझना हो तो कलावंती सिंह की कविताएँ ज़रूर काम की सिद्ध होंगी।
बेहद आत्मीय कविता सचमुच बेटियां ऐसी ही होती हैं और मां भी। बेटियेां के आने के बाद खुद से बेपरवाह। हर घर में है यह रि”ता पर इसलिए कविताएं बेहद अपनी सी लगती हैं। भा’ाा की सरलता और भाव की सहजता भी प्रभावित करती है। वैसे आपकी कविताओं के साथ हमे”ाा ऐसा होता है।
behad achhi kavita..
आप सभी को अशेष धन्यवाद ।मैंने लिखना छोड़ दिया था ,मैं भूल गई थी कि यह मेरी आत्मा का अमृत है।धन्यवाद जानकीपुल को भी।
शब्दचित्रों से कविता लिखना सबके वश की बात नहीं होती. कलावंती जी को यह महारत हासिल है. दूसरी बात ये कि वे जो ओढ़्ती बिछाती हैं वही कविता सुनाती हैं. मेरी ओर से अच्छी कविता के लिए साधुवाद
बहुत खूबसूरत कविताएं.. वह मेरी मां भी है, कितना सही।
बहुत सुंदर रचनाऐं ।
marmik aur sahaj ..badhai kavi ko
कलावंती की कवितायें सहज होने साथ सम्प्रेषित भी होती है यही इन कविताओं का गुण है।इन कविताओं मे बेटी की छबियां और नया नजरिया है।
Marmsparshi aur jhela hua Sach kuonki kahin beti hun aur kahin maa.
बहुत सरल शब्दों में पूरी तौर से भाव संप्रेषित करती कविताएँ…बधाई…।
सरल भावनाओं को बचाती बेहद महत्वपूर्ण कविताएँ..