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हिंदी में ईबुक क्रांति आने वाली है?

विश्वपुस्तक मेले में हिंदी प्रकाशकों के हॉल में सबसे अधिक चर्चा थी ईबुक की. इस चर्चा के दो कारण थे. एक तो ईबुक के सबसे बड़े प्लेटफोर्म न्यूजहंट की मौजूदगी के कारण, जिनके मोबाइल ऐप के कारण अपने फोन में सस्ती कीमत पर आप अपनी मनपसंद किताबों को डाउनलोड कर सकते हैं. लेकिन ईबुक की चर्चा न्यूजहंट के कारण नहीं बल्कि NotNul Greenfield के कारण रही, जिसके स्वामी नीलाभ श्रीवास्तव एक ऐसे जोशीले युवा हैं जो एक तरह से मिशन भाव से हिंदी वालों के बीच ईबुक के महत्व को समझाते, ईबुक जुटाते, ईबुक लांच करते मेले में घूमते रहे. आज NotNul Greenfield के प्लेटफोर्म पर एक बहुत क्रांतिकारी घटना घटित हो चुकी है. हिंदी की लगभग तीन दर्जन लघु पत्रिकाएं वहां मौजूद हैं. हिंदी में हम जैसे लेखकों-पाठकों के लिए यह हमेशा से एक बहुत बड़ी समस्या रही है कि दिल्ली हो या मुजफ्फरपुर या सीतामढ़ी पत्रिकाएं प्राप्त कहाँ करें? NotNul Greenfield ने इस समस्या का फिलहाल समाधान कर दिया है. आप क्रेडिट या डेबिट कार्ड से कीमत चुकाकर अपनी मनचाही पत्रिका अपने डेस्कटॉप या लैपटॉप में प्राप्त कर सकते हैं. यह एक ऐसी चुपचाप क्रांति है जिसका पता हिंदी वालों को धीरे धीरे चल रहा है.

हाँ, उनकी समस्याएं अभी भी हैं. मसलन न्यूजहंट की तरह फोन से अभी उनका ऐप नहीं है. ऐप मोबाइल में डाऊनलोड करके किताबों, पत्रिकाओं को और सहजता से पाया जा सकता है. इसके बारे में नीलाभ श्रीवास्तव ने बताया कि मार्च तक NotNul Greenfield का मोबाइल ऐप भी आ जायेगा.

नीलाभ ने कनाडा से कंप्यूटर तकनीक के क्षेत्र में पढ़ाई की है और अपनी पत्नी गरिमा के साथ नौकरी छोड़कर पूरी तरह से हिंदी की दुनिया को अपमार्केट बनाने के काम में जुनून की तरह लगे हैं. मैंने मेले के दौरान देखा कि हर बड़े छोटे लेखक से वे मिल रहे थे, उनको ईबुक के बारे में समझा रहे थे. उनकी किताबें मांग रहे थे. असल में ईबुक वह सुविधा है जो आने वाले समय में लेखकों को किताबों की दुनिया के राजा की तरह स्थापित कर सकता है. अगर NotNul Greenfield चल निकला तो आने वाले समय में हिंदी में भी पेशेवर लेखकों का दौर लौट सकता है.

मैंने नीलाभ जी से यह पूछा था कि मिशन से प्रोफेशन के बीच की दूरी अधिक तो नहीं है? उन्होंने जवाब दिया था कि उनको हिंदी में इसकी सफलता का पूरा भरोसा है. मैं एक साल से न्यूजहंट से ईबुक डाउनलोड कर रहा हूँ. और मुझे लगता है आने वाले साल-दो साल में ईबुक का प्रचलन हिंदी में बेहद बढ़ जायेगा और उसके लिए पायनियर के रूप में NotNul Greenfield को याद किया जायेगा.  

 
      

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8 comments

  1. निश्चित रूप से इस क्षेत्र में अपार संभावनाएँ हैं।नीलाभ जी व अन्य जो भी महानुभाव इस दिशा में क्रियाशील हैं उन्हें बहुत बहुत साधुवाद।

  2. ऊर्जावान युगल को बहुत शुभकामनायें हिंदी व् हिंदी साहित्य के लिए बेहतर करने की ठानी है दोनों. ने स्तुत्य प्रयास की न केवल सराहना होनी चाहिए बल्कि सहयोग भी मिलना चाहिए . मिल भी रहा है . बधाई नीलाभ

  3. बहुत अच्छी पहल है ; कम करने वालों को भी बधाई और सूचना देने वालों को भी!

  4. NotNul के माध्यम से नीलाभ ने पत्रिकायें डाउनलोड करने की व्यवस्था करके अच्छा काम किया है। वैसे हिन्दी में ई बुक NotNul के आने के पहले से ही प्रकाशित होती रही हैं । pothi.com यह काम काफ़ी पहले से कर रही है। और जगह भी हो रहा होगा। मैंने अपनी ई बुक ’पुलिया पर दुनिया’ pothi.com , Notnull aur onlinegatha.com पर अपलोड की थी। इसमें से सबसे ज्यादा बिक्री pothi.com पर हुई।

  5. हिंदी पुस्तकों का सॉफ्ट वर्शन (पीडीएफ या ई-बुक्स) आज का स्लोगन होना चाहिए। यह कइयों की बाल की खाल निकाल देगा। प्रतिरोध और व्यवसाय दोनों मामलों में बेहतर विकल्प हो सकता है। बाकि आप भी अपने सुझाव रख सकते हैं।

  6. Nicely written and well explained of course. Thank u for the share.

  7. सराहनीय प्रयास। ये विनम्र से दोनों हमें भी मिले थे। जोश और उम्मीद से भरे हुए। मैंने तो इन्हें मात्र कॉलेज के बालक -बालिका समझा था:)) चलिए हमारी तरफ से इन्हें ढेरों दुवाएं और शुभकामनाएं !!

  8. अंग्रेज़ी में तो ebook का प्रचार-प्रसार बहुत अच्छा है…| न जाने कितनी बेस्ट-सेलर मैंने ईबुक के रूप में ही पढ़ी है…| हिन्दी में पर्याप्त संख्या में पुस्तकों का ईबुक में न मिलना अक्सर खलता था…| इस लिए इस नई पहल का खुले दिल से स्वागत होना चाहिए…| नीलाभ जी को बधाई और शुभकामनाएँ…|

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