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डेढ़ सौ साल की कृति ‘एलिस इन वंडरलैंड’

एलिस इन वंडरलैंड’ के डेढ़ सौ साल हो गए. इस कृति की अमरता के कारणों पर जानी-मानी लेखिका क्षमा शर्मा का यह लेख- मॉडरेटर
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हाल ही में बाल साहित्य से जुड़ी साहित्य अकादमी की गोष्ठी में एक वक्ता ने कहा कि हमें एलिस इन वंडरलैंड और पंचतंत्र से मुक्त होना होगा।
 
किसी हद तक इन महिला की बात सही हो सकती है, मगर यह सोचने की बात है कि एलिस इन वंडरलैंड जैसी पुस्तक आज तक न केवल बच्चों बल्कि बड़ों के बीच बेहद लोकप्रिय है। प्रसंगवश बताते चलें कि इस पुस्तक  को बच्चों के बीच आए डेढ़ सौ वर्ष हो चुके हैं। न जाने कितनी पीढ़ियां इसे पढ़कर बड़ी हुई हैं।
 
यह पुस्तक एक ऐसी लड़की की कहानी है जो  बोलने वाले खरगोश के बिल में गिरकर एक अनोखे राज्य में पहुंच जाती है। वहां उसका साबका तमाम किस्म की विचित्र और जादुई दुनिया से होता है।
बच्चे कुतूहल और फिर क्या हुआ, कैसे हुआ ,क्या ऐसा हो सकता है आदि बातों को बहुत पसंद करते हैं । इस पुस्तक की डेढ़ सदी से चली आती लोकप्रियता इसी बात का प्रमाण है। इसे अंग्रेजी की सबसे अधिक लोकप्रिय पुस्तक माना जाता है। कैसा संयोग है कि एलिस और हैरी पाटर दोनों ही  जादुई दुनिया के पात्र हैं,दोनों ही ब्रिटेन से आते हैं और दोनों ही पुस्तकें अंग्रेजी में लिखी गई हैं।  हैरी पाटर की लेखिका जे.के रोलिंग के बारे में तो कहा जाता है कि वह दुनिया की सबसे अमीर बच्चों की लेखिका हैं।
एलिस इन वंडरलैंड को लुइस कैरोल का लिखा माना जाता है। पाठकों को यह जानकर आश्चर्य होगा कि यह असली नाम नहीं है। इसके लेखक तो आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में गणित के प्रोफेसर चार्ल्स लुडविग डाग्डज्सन थे।
इसकी रचना का किस्सा भी बेहद मजेदार है।
हेनरी लिडिल भी आक्सफोर्ड में पढ़ाते थे। उनके कई बच्चों में एलिस नाम की एक बच्ची भी थी। चार्ल्स लुडविग हेनरी के दोस्त थे। बच्चे उन्हें बहुत पसंद करते थे क्योंकि वह बच्चों को तरह-तरह की कहानियां सुनाते थे।
एक बार बच्चों के साथ चार्ल्स नाव में सैर कर रहे थे। इसी दौरान बच्चों के आग्रह पर उन्होंने एक कहानी सुनाई ।इसकी नायिका एलिस ही थी। इस रोमांचक कहानी को सुनकर बच्चे बहुत खुश हुए। एलिस ने उनसे इसे लिखने को कहा। चार्ल्स ने इसे लिखकर अपने एक दोस्त को दिखाया। दोस्त और उसके बच्चों को भी यह उपन्यास बहुत पसंद आया। चार्ल्स ने लिखते वक्त बाकायदा रिसर्च की कि उस इलाके में कौन-कौन से जानवर पाए जाते हैं। उन्हीं का वर्णन उन्होंने इस पुस्तक में किया। उन्होंने इस पुस्तक के चित्र भी बनाए थे। बाद में उन्हें व्यावसायिक चित्रकार से बनवाया गया था।
1865 में इस पुस्तक को मैकमिलन ने छापा।देखते-देखते यह पुस्तक चारो ओर छा गई।इससे पहले 26नवम्बर 1864 को क्रिसमस गिफ्ट के रूप में चार्ल्स ने इस पुस्तक की हस्तलिखित प्रति एलिस को भेंट की थी। तब इसका नाम एलिसिज एडवेंचर्स इन वंडरलैंड था।
 
लेखक ने पुस्तक में एलिस को नायिका बनाया था। मगर चार्ल्स से जब भी पूछा गया, उन्होंने इस बात से इनकार किया कि उनकी पुस्तक की नायिका वही एलिस है, जिसे वह जानते हैं। हालांकि असली एलिस और कहानी की नायिका एलिस, दोनों का जन्मदिन एक ही रखा गया था चार मार्च। चार्ल्स लुडविग बहुत अच्छे फोटोग्राफर भी थे। उन्होंने कविताएं भी लिखी थीं और बच्चों के लिए तरह-तरह की पजल्स की किताबें भी।
 
एलिस ने वह हस्तलिखित प्रति जो चार्ल्स ने उसे दी थी 1926 में नीलाम कर दी । एलिस के पति की मृत्यु हो चुकी थी और वह गरीबी में दिन काट रही थी। इस नीलामी से उसे पंद्रह हजार, चार सौ पौंड मिले थे, जो उस समय एक बड़ी राशि थी।  
 
2010 में वाल्ट डिज्नी कम्पनी ने इसी नाम से एक फिल्म भी बनाई थी।
 
एक गणितज्ञ चार्ल्स लुडविग का बच्चों का इतना मशहूर लेखक होना ही अपने आप में एक अनोखी बात है।
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9 comments

  1. धन्यवाद प्रभात जी . बात को स्पष्ट करने के लिए . लेख में ऐसा उल्लेख नहीं है . जो है वह कुछ भ्रम उत्पन्न करता है –" एलिस इन वंडरलैंड को लुइस कैरोल का लिखा माना जाता है। पाठकों को यह जानकर आश्चर्य होगा कि यह असली नाम नहीं है। इसके लेखक तो आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में गणित के प्रोफेसर चार्ल्स लुडविग डाग्डज्सन थे।"

  2. गिरिजा जी, चार्ल्स लुडविग का लेखकीय नाम था लुई कैरोल. दोनों एक ही हैं.

  3. इस विश्व-विख्यात कृति के असली लेखक चार्ल्स लुडविग हैं यह जानकारी नई है . जहां तक मुझे याद है ,'चकमक '( एकलव्य भोपाल ) में यह (श्री शमशेरबहादुर द्वारा अनुवादित ) धारावाहिक रूप में प्रकाशित हुई थी और इसे लुईस कैरल की ही रचना बताया गया था .

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