पेरिस में हुए आतंकी हमले और उसके पहले-बाद की राजनीतिक परिस्थितियों को लेकर जाने-माने लेखक अरुण माहेश्वरी ने बड़ा तर्कपूर्ण विश्लेषण किया है- मॉडरेटर
============================================
तेरह नवंबर को पेरिस पर आतंकवादी हमले को यूरोप का 9/11 (11 सितंबर) कहा जा रहा है। सन् 2001 का 9/11 विश्व राजनीति का एक संदर्भ बिंदु बना जब यह कहा गया कि इसके बाद दुनिया वह नहीं रहेगी, जो तब तक थी। वह दुनिया की अकेली महाशक्ति पर सीधा हमला था। जो तालिबान खुद अमेरिका की उपज था, सोवियत संघ के पतन के बाद सोवियत संघ समर्थित अफगानिस्तान की नजीबुल्लाह सरकार को हटा कर जिसे अफगानिस्तान की सत्ता सौंपी गई थी, उसीके खिलाफ महीने भर के अंदर अमेरिका ब्रिटेन को संग लेकर अपनी पूरी ताकत के साथ टूट पड़ा। तालिबान के सहयोगी अल कायदा के नेता बिन लादेन को, जिसने 9/11 की योजना बनाई थी, अमेरिका का एक नंबर दुश्मन घोषित किया गया। और देखते ही देखते, तीन महीने में तालिबान की जगह हामिद करजाई की सरकार बना दी गई। अफगानिस्तान अमेरिकी सेना के कब्जे में आगया।
इसके बाद सन् 2003 में इराक पर अमेरिकी हमले के पूरे इतिहास को हम जानते ही हैं। इराक पर कब्जा करने के बाद लगभग सात साल तक वहां प्रशासन को लेकर पश्चिम की ताकतें नाना प्रकार के प्रयोग करती रही। तभी 2010 में टूनिशिया से एक नये प्रकार का सरकार–विरोधी नागरिक आंदोलन शुरू हुआ, और देखते ही देखते
Tags arun maheshwari अरुण माहेश्वरी
Check Also
तन्हाई का अंधा शिगाफ़ : भाग-10 अंतिम
आप पढ़ रहे हैं तन्हाई का अंधा शिगाफ़। मीना कुमारी की ज़िंदगी, काम और हादसात …
Good article
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन ब्लॉग बुलेटिन – कवियित्री निर्मला ठाकुर जी की प्रथम पुण्यतिथि में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर …. आभार।।