कल एक कार्यक्रम में बोलते हुए अंग्रेजी के विद्वान् लेखक रामचंद्र गुहा ने यह बताया कि अज्ञेय की जीवनी लिखी जा रही है. प्रसिद्ध युवा पत्रकार अक्षय मुकुल हिंदी के विराट लेखक अज्ञेय की जीवनी अंग्रेजी में लिख रहे हैं. अक्षय ने ‘गीता प्रेस एंड मेकिंग ऑफ़ हिन्दू इण्डिया’ पुस्तक लिखी थी जिसको खूब सराहना मिली थी. ख़ुशी भी है कि अज्ञेय की जीवनी एक सुयोग्य लेखक लिख रहा है. लेकिन दुःख भी है कि यह जीवनी अंग्रेजी में लिखी जा रही है. जिस भाषा में उनका पहला कविता संग्रह प्रकाशित हुआ था और जिसकी भूमिका जवाहरलाल नेहरु ने लिखी थी.
हिंदी में ऐसे बहुत कम लेखक हुए हैं जिनक जीवन ‘बायोग्राफी पॉइंट ऑफ़ व्यू’ से दिलचस्प हो. जिसके लेखन में ही नहीं जीवन के भी बहुत सारे शेड्स थे. वे आजादी की लड़ाई में क्रांतिकारी संगठन के लिए काम कर रहे थे. आजादी के बाद उनके ऊपर अमेरिकापरस्ती के आरोप लगे. उनके शिष्य मनोहर श्याम जोशी ने रघुवीर सहाय पर लिखी अपनी पुस्तक में लिखा है यह बात सच भी थी कि उनको अमेरिका से आर्थिक मदद मिलती थी.
लेकिन वे बहुत बड़े लेखक थे. हिंदी कविता को एक तरह से उन्होंने आधुनिक रूप दिया. विजयदेव नारायण साही ने लिखा है कि वे नई कविता के पिता भी थे और चाचा भी. वे एक बेमिसाल संपादक भी थे. हिंदी के पहले समाचार साप्ताहिक ‘दिनमान’ के प्रथम संपादक वही थे.
उनके निजी जीवन को लेकर बहुत तरह की किंवदंतियाँ रही हैं. इसी कारण से उनके दो करीबी लेखक विद्यानिवास मिश्र और मनोहर श्याम जोशी ने उनके ऊपर मेरे बार बार कहने के बावजूद संस्मरण तक लिखने से मना कर दिया था. उनके निजी जीवन पर किसी भी हिंदी लेखक के लिए लिख पाना बहुत मुश्किल था. अच्छा है कि एक तटस्थ पत्रकार एक विराट व्यक्तित्व वाले लेखक की जीवनी लिख रहा है. वह उनके जीवन के बहुत सारे पक्षों को खोल पाए- यही उम्मीद है.
किन पंचों ने तय किया कि अज्ञेय को अमेरिका से मदद (गोपनीय )मिलती थी.
इस विवाद पर अपनी राय पढ़वाइयेगा.