Home / Featured / राकेश रंजन की कविता ‘बनारस में’

राकेश रंजन की कविता ‘बनारस में’

इस साल अन्तरराष्ट्रीय पुस्तक मेले दिल्ली में राधाकृष्ण प्रकाशन से राकेश रंजन का का कविता संग्रह आया ‘दिव्य कैदखाने में’. कई अच्छी अच्छी कविताएँ हैं इसमें लेकिन आज इस कविता ने ध्यान खींचा. साथ में एक और छोटी सी कविता- मॉडरेटर

==========

बनारस में

स से सांड, साड़ी, सुरसरि, सीढ़ी, साधू-संत

चीजें हैं अनन्त देखो स से बनारस में।

कान का मणि ही नहीं, शीश का शशि ही नहीं

खासे-खासे देवता हैं खासे बनारस में।।

ज्ञान में, गुरुजन में, गली-गली गोबर में

मेरे प्राण पग-पग रसे बनारस में।

रंजन है नाम मेरा, हाजीपुर धाम मेरा

दिल आठों याम मेरा बसे बनारस में।।

 

क्या होऊं

 

हरा होता हूँ

तो हिन्दू मारते हैं

केसरिया होता हूँ तो मुसलमान

हत्यारे और दलाल मारते हैं

सफ़ेद होने पर

 

तुम्हीं कहो मेरे देश

क्या होऊं

जो बचा रहूं शेष?

 
      

About Prabhat Ranjan

Check Also

पुतिन की नफ़रत, एलेना का देशप्रेम

इस साल डाक्यूमेंट्री ‘20 डेज़ इन मारियुपोल’ को ऑस्कर दिया गया है। इसी बहाने रूसी …

7 comments

  1. This blog is a great resource for anyone looking to learn more about the topic.

  2. This blog is a great way to stay up to date on the latest news and trends in the industry.

  3. Your blog posts are a delightful mix of entertainment and education.

  4. Your words have a way of inspiring hope and positivity in difficult times.

  1. Pingback: molly drug def,

  2. Pingback: visit the website

  3. Pingback: shroomies gummies

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *