आजकल सेल्फ पब्लिशिंग भी अच्छा विकल्प बनता जा रहा है. बाकिर शमीम का यह उपन्यास दिलचस्प लग रहा है. लेखक ने स्वयं प्रकाशित किया है- मॉडरेटर
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बाकिर शमीम की पुस्तक ‘द चेनाब कनेक्शन’ भारतीय उपमहाद्वीप में मजबूत हो चुकी नफरत की उभरती छाया में, भारतीय लड़के और पाकिस्तानी लड़की के बीच के प्यार की पड़ताल करती है।
नई दिल्ली, 28 अप्रैल, 2017: भारतीय सेना के एक सेवानिवृत्त ब्रिगेडियर बाकिर शमीम ने भारत और पाकिस्तान की नफरत की बीच पनपी एक आकर्षक प्रेम कहानी पर आधारित अपनी पुस्तक ‘द चेनाब कनेक्शन’ का नयी दिल्ली में इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित एक समारोह में भारी संख्या में दर्शकों की उपस्थिति में लोकार्पण किया।
ब्रिगेडियर शमीम ने तीन दशकों से अधिक समय तक भारतीय सेना में रहकर देश की सेवा की है और बहुत निकटता से भारत-पाक विवाद को बढ़ते हुए देखा है। पुस्तक को जारी करते हुए, ब्रिगेडियर शमीम ने कहा, ‘‘मेरी चौथी पुस्तक पूरी होने के बाद, मेरी बहू पूजा ने मुझसे एक प्रेम कहानी लिखने के लिए कहा। मैंने सोचा कि अगर प्यार पर आधारित पुस्तक ही लिखनी है, तो क्यों न इसे क्षेत्रीय लोककथाओं पर आधारित रखूं? मेरे मन में जो दो लोककथाएं तुरंत आयीं, वे सोहिनी-महिवाल और हीर-रांझा थीं। संयोग से, ये दोनों लोककथाएं ‘चिनाब क्षेत्र’ से हैं।
चिनाब कनेक्शन प्यार में पड़े और इसे कामयाब करने वाले एक भारतीय लड़के और एक पाकिस्तानी लड़की की एक काल्पनिक प्रेम कहानी है जो पिछले सात सालों से अधिक समय तक पनपी नफरत की छाया में अपने प्यार को अंजाम तक पहुंचा कर अपना परिवार बनने में कामयाब रहे। यह उन लोगों की आंखों के माध्यम से प्यार के संकट और उसकी बारीकियों को देखता है, जो प्यार में हैं, क्योंकि कभी-कभी प्यार से हर चीज पर विजय हासिल किया जा सकता है। रवि के मामले में, प्रेम उसे शाहीन के साथ एक होने के लिए दुनिया की सबसे अधिक शत्रुतापूर्ण सीमाओं को पार करने का हौसला देता है। फिर सिमरन और उमर भी हैं, जो अलग-अलग परिस्थितियों में प्यार में पड़ते हैं और खुषी की तलाष में मुश्किल हालात का सामना करते हैं।
इस पुस्तक का लोकार्पण ब्रिगेडियर शमीम की पत्नी निलोफर ने किया। पुस्तक के विमोचन के बाद लेखिका और वरिष्ठ पत्रकार टीना शर्मा तिवारी ने ‘क्या चिनाब लोगों के दिलों और दिमाग को जोड़ सकता है जिस प्रकार यह देश को जोड़ता है?’ विशय पर चर्चा की।
दिलचस्प एवं खुली चर्चा के दौरान, टीना शर्मा तिवारी ने कहा कि, ‘‘मैं पिछले कुछ दिनों में इस पुस्तक को पढ़ रही हूं और यह बेहद आकर्षक है क्योंकि इसके केंद्र में एक प्रेम कहानी है लेकिन इसके आसपास काफी साजिश है और लेखक ने दोनों तरफ की सेनाओं, खुफिया एजेंसियों के बारे में बात करते हुए स्पष्ट रूप से अपने अनुभव का इस्तेमाल किया है। ये सभी ऐसी परिस्थितियों में रचे गये हैं जो बेहद दिलचस्प हैं।“
कहानी का नायक, रवि प्यार में पड़ा एक ऐसा व्यक्ति है जो अपनी प्रेमिका शाहीन के साथ रहने के लिए कुछ भी करने को तैयार हैं। उनके मामले में, अवरोध सिर्फ दो अलग-अलग समुदाय ही पैदा नहीं करते हैं। शाहीन पाकिस्तान में रहती है, जबकि रवि दिल्ली से है। वे बचपन में ही मिले थे जब उनके परिवार बहरीन में रहते थे और पड़ोसी थे। लेकिन जीवन अक्सर एक कठिन रास्ता होता है और वे अलग हो जाते हैं। हालात शाहीन को अपने देश लौटने के लिए मजबूर कर देती है, और रवि दिल्ली में स्थापित हो जाता हैं।
यह पुस्तक जितनी एक प्रेम कहानी है उतनी ही यह विभाजनकारी राजनीति पर भी नजर डालती है जिसने इस उपमहाद्वीप को कई दशकों से ग्रस्त कर रखा है, जहां आतंकवाद और तोड़फोड़ बाकियों के लिए दूसरी प्रकृति बन गई है, जो शांति और सामंजस्य की तुलना में संघर्ष में अधिक आराम महसूस करते हैं। रवि और शाहीन में जो पात्र हैं, वे भारत और पाकिस्तान के कई लोगों की वास्तविकता हैं।
पुस्तक के लोकार्पण के अवसर पर लेखक के बैच के साथी और वरिष्ठ सेना के साथियों सहित साहित्य और रक्षा बिरादरी के लोग भी उपस्थित थे। अनुभवी टीवी पत्रकार, रंगकर्मी और रत्नाव फाउंडेशन की संस्थापक रमा पांडे ने कहा, ‘‘पुस्तक को पहली बार पढ़कर मुझे एहसास हुआ कि एक सेना का आदमी उसी तरह महसूस करता है जैसे एक आम आदमी करता है। हर कोई दोनों देशों के बीच शांति चाहता है और यह केवल प्यार से हासिल किया जा सकता है, युद्ध से नहीं।“ इस समारोह का समापन लेखक के द्वारा उत्साही दर्शकों के लिए अपनी पुस्तक की प्रति पर हस्ताक्षर करने के साथ हुआ।
‘द चिनाब कनेक्शन’ लेखक का पांचवां उपन्यास है। उन्होंने पहले विभिन्न विषयों पर चार पुस्तकें लिखी हैं, जिनमें ‘द फाइनल ऑप्शन’, ‘द सिमरिंग सैंड्स’, ‘द स्लेंडर ट्रेल’ और ‘द विशबोन’ शामिल हैं।
लेखक के बारे में:
ब्रिगेडियर बाकिर शमीम का जन्म पूर्वी उत्तर प्रदेश के ग्रामीण आजमगढ़ में हुआ था, और उन्होंने अपने दादा के साथ अपने बचपन का एक बेहतरीन हिस्सा बिताया था जब उनके पिता द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भारतीय वायु सेना के साथ मिशन पर चले गये थे और उसके बाद स्वतंत्र भारत में थे।
अपने पिता के नक्शेकदम पर चलते हुए, ब्रिगेडियर शमीम सशस्त्र बलों में अपना कैरियर बनाने के लिए राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में शामिल हो गए। उन्होंने क्रॉप्स ऑफ इंजीनियर्स के बॉम्बे सैपर्स में देशसेवा की। मेधावी और असाधारण सेवा के लिए चीफ ऑफ़ आर्मी स्टाफ के पदक से दो बार सम्मानित, ब्रिगेडियर शमीम ने 32 साल की सेवा के बाद समयपूर्व सेवानिवृत्ति ले ली। सेवानिवृत्ति के बाद, उन्होंने बहरीन में एक शीर्ष वास्तुकला फर्म के सलाहकार के रूप में काम किया और अगले 10 वर्षों तक वहां रहे। इस समय के दौरान, उन्होंने बड़े पैमाने पर मध्य पूर्व में यात्रा की और इस क्षेत्र और यहां की संस्कृति के बारे में जानकारी प्राप्त की।
हालांकि शिक्षा के प्रारंभिक वर्षों में उन्होंने उर्दू में पढ़ाई की थी, लेकिन बाद में उनका दाखिला एक प्रतिष्ठित पब्लिक स्कूल में करा दिया गया था, जहां उनके द्वारा निबंधों और कहानियों के प्रति रचनात्मकता और मौलिकता के लिए रुचि दिखाने पर उनके शिक्षकों ने उन्हें लिखने के लिए प्रोत्साहित किया था। हालांकि उन्होंने शुरू में एक शौक के रूप में लेखन किया था, लेकिन शब्द लिखने के लिए उनका जुनून अब उनका व्यापारिक कर्तव्य है। ब्रिगेडियर शमीम वर्तमान में भारत और अमेरिका में अपना समय बिताते हैं, जहां उनके बच्चे रहते हैं।
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