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सीता जयंती पर सीता को याद करते हुए

आज सीता जयंती है. मेरे शहर सीतामढ़ी में सीता जयंती का आयोजन धूमधाम से किया जाता है. मैं यहाँ देवदत्त पट्टनायक की किताब ‘सीता के पांच निर्णय’ पढ़ रहा हूँ. आप भी उसका अंतिम अंश पढ़िए जिसमें सीता के जीवन की अंतिम कहानी दी गई है- प्रभात रंजन

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उस स्त्री का पांचवां चयन

वापस आने के बाद राम को अयोध्या का राजा बनाया गया और सीता उनकी महारानी बनीI वे सभी राम के भाइयों और उनकी पत्नियों के साथ, जो कि सीता की बहनें थीं, एक सुन्दर महल में रहने लगेI हनुमान भी राम के दूत के रूप में महल में ही रहने लगेI राजा और उनकी प्रजा दोनों ही कायदों का पालन करते थे और उनको अपने कर्तव्यों का पता थाI सब कुछ व्यवस्था के अनुरूप हो रहा थाI राज्य में खुशहाली थीI सब सुरक्षित और खुश महसूस कर रहे थेI

लेकिन कुछ भी सदा नहीं रहती I यहाँ तक कि शांति भी नहींI सड़कों पर कानाफूसी होने लगीI लोग इस बात को याद करने लगे कि सीता अपने पति से दूर लंका में रावण की छाया में बहुत दिनों तक रही थीI

“यह पवित्र नहीं है”, उन्होंने कहाI “हमारे सम्पूर्ण राजा की पत्नी कैसे अपूर्ण रह सकती है?” वे सोचने लगेI

राजमहल के धोबी को यह कहते हुए सुना गया, “मैं राजसी वस्त्रों से दाग मिटा सकता हूँI लेकिन राजा के सम्मान के ऊपर अगर दाग लग जाए तो मैं उसको नहीं मिटा सकताI”

सीता के प्रति राम के प्यार को देखकर महल की स्त्रियाँ ईर्ष्यालु हो गयींI उन्होंने यह तय किया कि राम के प्रति सीता के प्यार को लेकर उनके मन में शंका के बीज डाले जाएँI वे स्त्रियाँ लगातार सीता से रावण के बारे में पूछती रहती थींI

“मैंने कभी उसका चेहरा नहीं देखाI मैंने बस उसकी छाया देखी है”, सीता ने कहाI

उन स्त्रियों ने सीता से राक्षस-राज की तस्वीर बनाने के लिए कहाI सीता ने बना दिया, और स्त्रियों ने आह भरीI

उन्होंने सब से यह कहा कि सीता अभी भी रावण के बारे में सोचती रहती हैI

जब राम को यह पता चला कि शहर में सभी सीता को लेकर बातें बना रहे थे, तो वे चौकन्ने हो गएI कायदा साफ़ था- राजा के सम्मान के ऊपर किसी भी तरह का दाग पड़ जाए तो उसको हटाया जाना चाहिएI सीता को जाना ही थाI राम ने लक्ष्मण से कहा कि वे सीता को जंगल में ले जाएँ और उनको वहीं छोड़ देंI लक्ष्मण ने पहले तो इस बात का विरोध किया लेकिन बाद में सूर्यवंशी राजा की आज्ञा का पालन कियाI

जब वे जंगल में पहुंचे लक्ष्मण ने सीता से कहा, “मेरे भाई ने आपको यहीं छोड़ देने के लिए कहा हैI अब आपका सूर्यनगरी में स्वागत नहीं किया जायेगाI”

जब सीता ने कारण पूछा तो लक्ष्मण ने कहा कि वह तो बस राजा की आज्ञा का पालन कर रहे थेI और उनको भी उसका पालन करना थाI

सीता को समझ में आ गया कि इस दफा उनके सामने कोई विकल्प नहीं थाI उनको आज्ञा का पालन करने के लिए कहा गया थाI अगर किसी ने उनसे उनकी मर्जी पूछी होती तो उन्होंने क्या चुना होता? उसी राज्य में रहना जहाँ उसकी जरुरत नहीं थी? या बाहर निकल कर जंगल में चली जाती जो उसको ठुकराता नहीं?

सीता जानती थी कि वह जंगल में ठीक से रह लेगीI क्या राम के साथ चौदह साल तह वह जंगल में रही नहीं थी? उसको पता था कि भोजन की तलाश कैसे करनी थीI उसको पता था कि पानी कैसे खोजना थाI उसको पता था कि विश्राम के लिए जगह की खोज कैसे करनी थीI उसको तो यह भी पता था कि समय कैसे व्यतीत करना थाI उसको नदियों, पहाड़ों, पक्षियों, पशुओं, तितलियों और तारों के साथ मजा आता थाI जंगल में साधू उसका साथ देते, और अगर वे आसपास नहीं होते तो वह अपना इंतजाम निश्चित रूप से खुद ही करने में सक्षम थीI लेकिन वह अपने आप में नहीं थीI

सीता ने अपने पति को यह नहीं बताया था कि वह जल्द ही माँ बनने वाली थी- उसके भीतर राम का बच्चा थाI कुछ महीने बाद उसने राम के बच्चे को जन्म दिया, बल्कि कहना चाहिए कि बच्चों कोI वे जुड़वां थेI सीता ने उनका नाम रखा- लव और कुशI

अनेक लोक-रामायणों में यह लिखा है कि सीता का एक ही बेटा था, लव, जब वह पानी लाने जाती थी तो उस बच्चे को वाल्मीकि के पास छोड़ कर जाती थी. लेकिन वह बच्चा खो गया, और बेचैनी होकर वाल्मीकि ने कुश के ढेर को लव जैसे बालक में बदल दिया. इस प्रकार कुश का जन्म हुआ.

अगले कुछ सालों तक माँ और बेटे जंगल में हँसी ख़ुशी शांति के साथ रहते रहेI वे जंगल के साधुओं से मिले और उनसे उन्होंने काफी कुछ सीखाI बच्चे कंद-मूल और फल खाते हुए बड़े हुए और वे पशुओं को बहुत प्यार करते थेI उन्होंने हिरणों और बाघों और हाथियों के साथ दोस्ती कीI सीता ने उनको यह सिखाया कि किस तरह से तीर-धनुष का इस्तेमाल करना चाहिएI

कवि-ऋषि वाल्मीकि ने राम के जीवन को आधार बनाकर एक महाकाव्य की रचना कीI सीता ने वाल्मीकि से कहा कि वे उस महाकाव्य को उनके बच्चों को सिखा देंI उसने वाल्मीकि को यह नहीं बताया था कि वह कौन थी या उसके बच्चे कौन थेI वह चाहती थी कि उनकी पहचान को गुप्त रखा जाए, लेकिन वह चाहती थी कि उसके बच्चे अपने पिता के बारे में जानेंI

जब लव और कुश ने उस कविता को अच्छी तरह सीख लिया, और वे उस महाकाव्य को बहुत अच्छी तरह से गाने लगे तो वाल्मीकि ने उन बच्चों से यह पूछा, “क्या तुम लोग इसे राम के दरबार में गाना चाहोगे?” वे उत्साहपूर्वक तैयार हो गएI तब वाल्मिकी उन बच्चों को राम के दरबार अयोध्या लेकर गए, उस समय वहां बहुत सारे कवि अपनी अपनी कवितायेँ सुना रहे थेI जब वाल्मीकि की बारी आयी तो उन्होंने घोषणा की, “मैंने राम की कहानी को आधार बनाकर एक कृति की रचना की है और ये दोनों बच्चे उसको गायेंगेI”

लव और कुश के उस प्रदर्शन की सब ने तारीफ की, यहाँ तक कि राम ने भी भी उनकी तारीफ की, हालाँकि वे अपने बच्चों को पहचाना नहीं पाएI

राम ने उन दोनों बच्चों से पूछा, “इतना अच्छा प्रदर्शन करने के लिए तुम लोगों को क्या पुरस्कार चाहिए?”

लव और कुश ने जवाब दिया कि वे प्रसिद्ध रानी सीता से मिलना चाहते थे, जिनको राम ने रावण के चंगुल से छुडाया थाI

क्या आप जानते हैं? केरल में लोग कर्किदकम का महीना, जो कि वर्षा ऋतु के मध्य में पड़ता है, रामायण पढ़ते हुए बिताते हैं. केरल की यह विशिष्टता है कि वहां राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न को समर्पित अलग-अलग मंदिर हैं.

राम ने उनको अपने हाथ में लेकर एक गुड़िया दिखायी – सोने की बनी हुयी एक गुड़ियाI “मेरे पास अब यही सीता रह गयी हैI”

लव और कुश सदमे में आ गयेI एक गुड़िया!

राम ने बताया कि अयोध्या के लोगों को ऐसा लगता था सूर्यवंशी राजकुमार की पानी ऐसी स्त्री नहीं होनी चाहिए जो रावण की छाया में रह चुकी थीI इसलिए उनको सीता को जंगल में भेजना पड़ा, जहाँ वह अकेली रहती थी, जबकि वह सोने की गुड़िया के साथ रह रहे थेI लेकिन बच्चे इस बात को समझ नहीं पाएI “लेकिन उनका अपराध क्या था?”

क्या आपने ध्यान दिया? रामायण में सोना बार-बार आता है- जनक का सोने का हल, सोने का हिरण, सोने की नगरी लंका, सीता की सोने की मूर्ति.

राम ने उनको समझाया कि सूर्यवंश के नियम बहुत सख्त थे- राज परिवार का कोई भी सदस्य, जिसके चरित्र को लेकर सूर्यनगरी के लोग शंका करते थे, उसको बिना एक पल की भी देरी किए निकाल दिया जा थाI

बच्चों ने तर्क किया, “लेकिन क्या यह अनुचित नहीं है?”

राम ने कहा, “सवाल सही या गलत, उचित या अनुचित का नहीं हैI बात नियमों की हैI”

लव और कुश महल से भाग गएI उनको अब राम पसंद नहीं आयेI उन्होंने अपनी माँ से कहा कि राम अच्छे व्यक्ति नहीं थेI सीता को बड़ा बुरा लगाI

सीता ने अपने बच्चों से कहा, “कुछ लोगों को चयन की आजादी होती हैI दूसरों को यह आजादी नहीं होती और उनको कायदों का पालन करना होता हैI दुनिया में हर तरह के लोग होते हैंI”

(मैंने नियम के मुताबिक़ रानी का त्याग कर दिया क्योंकि उनके चरित्र के ऊपर दाग थाI लेकिन मैंने अपनी पत्नी सीता का परित्याग नहीं कियाI इसीलिए मैंने दुबारा विवाह नहीं कियाI)

एक दिन एक राजसी सफ़ेद घोड़ा जंगल में घुसाI उस घोड़े के ऊपर कपड़े की पताका लगी हुयी थी उसके ऊपर यह लिखा हुआ था कि जहाँ कहीं भी यह घोड़ा घास खायेगा, वह जमीन अयोध्या के राजा राम के अधीन हो जाएगीI

लव ने कुश से कहा, “अगर हम ने घोड़े को अपने घर के सामने से गुजर जाने दिया तो हम लोग उस राजा के अधीन हो जायेंगे जो केवल नियमों को ही मानता हैI यह चुनाव हमारा है कि हम उस घोड़े को जाने दें या उसे रोक कर खुद को उस राजा के अधीन होने से खुद को रोकेंI”

कुश ने बात मान लीI

क्या आपने ध्यान दिया? रामायण में भाइयों की कहानी भरी हुयी है- राम और उनके भाई. बालि और उनके भाई, रावण और उनके भाई, लव और कुश. लेकिन दूसरे भाइयों के विपरीत लव और कुश कभी नहीं लड़ते.

इस तरह उन दोनों भाइयो ने घोड़े को पकड़ लिया और उसको एक पेड़ से बाँध दियाI राजा की सेना ने उनको पकड़ने की कोशिश की लेकिन उन बच्चों की माँ ने उनको युद्ध का प्रशिक्षण दिया था इसलिए जिसने भी उनसे घोड़ों को छीनने की कोशिश की उन बच्चों ने उनको हरा दियाI उन बच्चों ने अयोध्या की पूरी सेना को हरा दिया! राम के भाई लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न भी आये, लेकिन उनको भी हार का सामना करना पड़ाI उसके बाद हनुमान आये, लेकिन बच्चे उनको पेड़ से बाँध पाने में सफल रहेI

अपने भाइयों और सेना को बचाने के लिए राम खुद जंगल में आयेI

जब उन्होंने लव और कुश के ऊपर धनुष उठाया तो उनके बचाव के लिए सीता सामने आ गयीI

अद्भुत रामायण में सीता देवी काली के रूप में आती हैं जो रावण से भी अधिक शक्तिशाली राक्षसों को हरा सकती हैं. स्वाभाविक रूप से उनके बच्चे भी शक्तिशाली हैं.

“रूक जाइए! अयोध्या के राजा, ये आपके बच्चे हैं, और मेरे भीI”

राम ने सीता को पहचान लिया और धनुष उनके हाथ से गिर गयाI राम अवाक थेI

“वापस आ जाओ”, राम ने कहाI “अब लोग तुमको मेरे राजकीय सम्मान के लिए उतना कलंक के रूप में नहीं देखते हैंI उनका कहना है कि तुम सोने की तरह शुद्ध होI”

सीता ने कहा, “मैं उस शहर में नहीं आ सकती हूँ जहाँ जहाँ प्यार से अधिक तरजीह इज्जत को दी जाती होI मैं जंगल में ही रहूंगीI”

यह सीता का पांचवां चयन था

(एक बेटी, बहन, पत्नी और माँ के रूप में मैंने अपना सर्वश्रेष्ठ किया है)

(राम, राम, रामIII हमेशा से मेरे दिल में हैं)

(अब जाने का समय आ गया है)

राम को एक पत्नीव्रता कहा गया है, एक ऐसा पति जिसकी बस एक पत्नी हो और जो उसके प्रति सच्चा भी हो.

हालाँकि उन्होंने अपने बेटों से कहा कि वे अपने पिता के पास जाएँ और सूर्य-नगरी की सेवा भी करेंI

सीता ने उसके बाद अपने पाँव के नीचे की धरती का आह्वान किया, वह ऐसे फट गयी जैसे कोई माँ अपनी बेटी के स्वागत के लिए अपनी बाहें फैला देती हैI सीता धरती की बांहों में समा गयीI

राम ने उनको पकड़ने और उनको बाहर निकालने की कोशिश की लेकिन वह निकाल नहीं पायींI सीता जा चुकी थीI

(एक राजा के रूप में मैंने नियमों का पालन कियाI और मैंने अपने राज्य को सुखी बनायाI)

(एक पति के रूप में मैं अपनी पत्नी के प्रति विश्वासी थाI लेकिन मैं उसको खुश नहीं रख पायाI)

क्या आपने ध्यान दिया? राम रामायण में तीन बार रोते हैं. पहली बार, जब उनको पता चलता है कि सीता का अपहरण हो गया है. दूसरी बार तब जब वे लक्ष्मण से कहते हैं कि वे सीता को जंगल में छोड़ कर आयें. तीसरी बार तब जब सीता धरती में समा जाती हैं. हर बार उनके रोने का कारण सीता से जुदाई ही है.

राम ने अपने बेटों लव और कुश की तरफ देखा, और बोले, “क्या तुम लोग राज्य को उस तरह से साझा कर पाओगे और अच्छी तरह से चला पाओगे जिस तरह से भरत और मैंने किया? या तुम लोग सुग्रीव और बालि की तरह या रावण या कुबेर की तरह लड़ोगे?”

बच्चों ने हामी भरी, “हम लोग राज्य को साझा करेंगेI”

यह सुनकर राम बहुत खुश हुएI सीता ने बच्चों की देखभाल अच्छी तरह से की थीI

राम ने यह फैसला किया कि धरती पर उनका जीवन पूरा हो चुका थाI सीता के बिना वह नहीं रह सकते थेI उनका स्वर्ग जाने का समय आ गया थाI इस तरह वह सरयू नदी में चले गए और फिर कभी नहीं लौटेI

500 साल पहले रघुनाथ महंता ने असमिया रामायण लिखी जिसमें सीता को अपने बच्चों की याद आती है इसलिए वह साँपों के राजा वासुकी से कहती है कि वह जाएँ और उन बच्चों को पाताल लेकर आयें. राम हनुमान से कहते हैं कि वे हमला करें और उन बच्चों को वापस लेकर आयें. काफी संघर्ष के बाद शांति स्थापित की जाती है. सीता यह वादा करती है कि वह कभी कभार धरती पर आती रहेगी, लेकिन गुप्त रूप से सिर्फ अपने परिवार के लिए.

नदियों के पानी धरती के साथ मिलते हैं; बीज अंकुरित होते हैंI फूल खिलते हैं, फल पकते हैंI लव और कुश ने फल खाए और आनंदित हुएI

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