4 जून है. दिन इतवार है, माहे-रमजान है, भारत पाकिस्तान में नफरत की राजनीति चरम पर है. यानी सब कुछ पूरा सेट है. भारत-पाकिस्तान के क्रिकेट मैच के लिए. टीवी चैनल वालों का बस चले तो मैच की जगह भारत पाकिस्तान में युद्ध करवा कर उसी को लाइव दिखा दें.
इस चरम देशभक्ति के दौर में भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैच नागरिकों को, क्रिकेट के शौकीनों को कैसा लगेगा यह तो पता नहीं लेकिन टीवी समाचार चैनल वाले चरम देशभक्ति में परम नफरत का रसायन घोल कर पूरा ऐड बटोरना चाहते हैं. क्यों न हो. अब ऐसे मौके कम आते हैं. दोनों देशों के बीच मुकाबले कम होते गए हैं, नफरत बढती गई है. इस समय माहौल दूसरा है. कश्मीर में हिंसा बढ़ रही है. पूरे देश में हिंसा बढती जा रही है. अर्थव्यवस्था में ठहराव के संकेत आ रहे हैं. ऐसे में एक क्रिकेट मैच काफी है सबका ध्यान हटाने के लिए.
सच्चाई यह है कि भारत में इतना क्रिकेट होने लगा है कि अब क्रिकेट का वह रोमांच जाता रहा है. अभी अभी दर्शक दो महीने लगातार आईपीएल देखकर फारिग हुए हैं और फिर चैम्पियंस ट्रॉफी. उस पर भी भारत पाकिस्तान का मुकाबला. क्रिकेट पर देशभक्ति इतनी हावी हो चुकी है कि कुछ लोग यह भी कह रहे हैं कि इण्डिया बस आज जीत जाए, बाकी चैम्पियंस ट्रॉफी से हमें क्या? बस आज हार कर हमारी नाक न कटवा दे.
सच में, इसके ऊपर सोचा है कि अगर आज का मैच इण्डिया हार गई टी. खेल है. कभी भी कुछ भी हो सकता है. पहले खिलाड़ियों के घर पर हमले तक हो चुके हैं. पडोसी मोहल्लों में झगडे तक हो चुके हैं. लेकिन मुझे लगता है कि तमाम देशभक्ति के बावजूद देश में ऐसा कुछ नहीं होगा. मैच को हम मैच की तरह देखेंगे और मैच की तरह भूल भी जायेंगे.
आज का मैच कुछ लोगों को याद रह जायेगा और तो कुछ लोग भूल जायेंगे!