यूपी चुनाव के बाद राहुल गांधी लम्बे समय तक गायब थे. वैसे गायब होना उनकी पुरानी आदत है. बस बीच बीच में ऐसी ख़बरें आती रहीं कि उनको कांग्रेस की अलां बैठक में अध्यक्ष बनाया जा रहा है, फलां बैठक में पार्टी का अध्यक्ष बनाया जा रहा है. इसके अलावा उनको कोई और खबर नहीं मिल रही थी. वह तो सहारनपुर हिंसा के बाद प्रकट हुए. वहाँ जाने की कोशिश की. जब प्रशासन ने मना कर दिया तो अब आज खबर में पढ़ा कि चेन्नई में थे. वहां उन्होंने इस बात का खुलासा किया कि वे उपनिषद और गीता पढने में लगे हुए हैं.
इससे सबको समझ में आ जाना चाहिए कि वे देश के बड़े नेताओं में अकेले नेता हैं जो स्टडी लीव पर चले गए थे. आजादी से पहले नेता जब जेल में जाते थे तो स्टडी करते थे. आजादी के बाद नेता होने के बाद से नेता लोग सबसे पहले स्टडी का काम छोड़ देते हैं. जो देश में शीर्ष नेता बनते हैं और अगर वे गलती से उसके बाद भी किताबें पढने में लगे रहते हैं तो यह माना जाने लगता है कि इससे बड़ा निठल्ला कोई नहीं. भारत अमेरिका थोड़े न है कि यहाँ कोई क्लिंटन जैसा राष्ट्रपति हो जो छपने से पहले मार्केज़ के उपन्यास की पाण्डुलिपि पढता हो और उसके ऊपर अपनी राय भी देता हो.
यह अच्छी बात है कि राहुल गांधी उपनिषद और गीता पढ़कर भाजपा के छद्म हिंदुत्व का भंडाफोड़ करना चाहते हैं. वे यह चाहते हैं कि इस देश में संघियों का असली चरित्र सब लोगों के सामने आये. उधर संघी लोग लगे हुए हैं नेहरु-गांधी परिवार का असली रूप सामने लाने में.
बहरहाल, गीता का ज्ञान इस देश का आम आदमी यही समझता है कि कर्म किये जा फल की चिंता मत कर ऐ इंसान ये है गीता का ज्ञान ये है गीता का ज्ञान… उपनिषदों में तो सांसारिक माया मोह से ऊपर उठने की सलाह दी गई है. जीवन के प्रति आध्यात्मिक होने की सलाह दी गई है. तो क्या राहुल गांधी को यह बात समझ में आ गई है कि कांग्रेस पार्टी के बुढऊ लोग उनको अध्यक्ष नहीं बनने देंगे. इसीलिए तारीख़ पर तारीख़ किये जा रहे हैं.
हद बात है कि इस बात को समझने के लिए राहुल जी को स्टडी लीव पर जाना पड़ गया. जबकि देश का आम आदमी तो इस बात को जाने कब से समझे बैठा है.
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