Home / Featured / ‘माधुरी’ में प्रकाशित एक फ़िल्मी चालीसा

‘माधुरी’ में प्रकाशित एक फ़िल्मी चालीसा

फिल्म पत्रिका माधुरी के सन 1972 के अंक में छपी हनुमान चालीसा की तर्ज़ पर वीरेंद्र सिंह गोधरा की फिल्मी चालीसा. एक से एक रचनाओं की खोज करने वाले प्रकाश के रे के सौजन्य से पढ़िए- मॉडरेटर 

========================================

दोहारू सहगल चरण स्पर्श कर, नित्य करूँ मधुपान।
सुमिरौ प्रतिपल बिमल दा, निर्देशन के प्राण।।
स्वयं को काबिल मानि कै, सुमिरौं शांताराम ।
ख्याति प्राप्त अतुलित करूँ, देहु फिलम में काम।।
चौपाई जय जय श्री रामानन्द सागर, सत्यजीत संसार उजागर ।
दारासिंग अतुलित बलधामा, रंधावा जेहि भ्राता नामा । ।
दिलीप ‘संघर्ष’ में बन बजरंगी’, प्यार करें वैजयंती संगी ।
मृदुल कंठ के धनी मुकेशा, विजय आननद के कुंचित केशा । ।
विद्यावान गुनी अति जौहर, ‘बंगला देश’ दिखाये जौहर ।
हेलन सुंदर नृत्य दिखावा, लता कर्णप्रिय गीत सुनावा। ।
हृषीकेश ‘आनंद’ मनावें, फिल्मफेयर अवार्ड ले जावें।
राजेश पावे बहुत बड़ाई, बच्चन की वैल्यू बढ़ जायी ।।
बेदी दस्तक फिलम बनावें, पब्लिक से ताली पिटवावें ।
पृथ्वीराज नाटक चलवाना, राज कपूर को सब जग जाना । ।
शम्मी तुम कपिदल के राजा,तिरछे रोल सकल तुम साजा ।
हार्कनेस रोड शशि बिराजें, वां अंग जेनीफर साजे। ।
अमरोही बनाएँ ‘पाकीज़ा’ लाभ करोड़ों क है कीजा।
मनोज कुमार ‘उपकार बनाई, नोट बटोर ख्याति अति पाई । ।
प्राण जो तेज दिखवाहि आपे, दर्शक सभी हांक ते काँपे ।
नासे दुक्ख हरे सब पीरा, पर्दे पर महमूद जस बीरा । ।
आगा जी फुलझरी छुड़ावें, मुकरी ओम कहकहे लगावें।
जुवतियों में परताप तुम्हारा, देव आनंद जगत उजियारा।।
तुमहि अशोक कला रखवारे, किशोर कुमार संगीत दुलारे।
राहुल बर्मन नाम कमावे, ‘दम मारो दम मस्त’ बनावें । ।
नौशादहिं मन को अति भावे, शास्त्रीय संगीत सुनावें।
रफी कंठ मृदु तुमहरे पासा, सादर तुम संगीत के दासा । ।
भूत पिशाच निकट पर्दे पर आवें, आदर्शहिं जब फिल्म बनावें ।
जीवन नारद रोल सुहाएँ, दुर्गा अचला माँ बन जाएँ । ।
संकट हटे मिटे सब पीड़ा, काम देहु बलदेव चोपड़ा ।
जय जय जय संजीव गोसाईं, हम बन जाएँ आपकी नायीं । ।
हीरो बनना चाहे जोई, फिल्म चालीसा पढ़िबों सोई।
एक फिलम जब जुबिली करहीं, मानव जनम सफल तब करहीं । ।
बंगला कार चेरि अरु चेरा, ‘फैन मेल’ कारा धन ढेरा ।
अच्छे अच्छे भोजन जीमें, नित प्रति बढ़िया दारू जीमें। ।
बंबई बसहिं फिल्म भक्त कहायी, अंत काल हालीवुड जायी।
मर्लिन मुनरो हत्या करईं, तेही समाधि जा माला धरईं। ।
दोहारू बहुबिधि साज सिंगार कर, पहन वस्त्र रंगीन ।
राखी, हेमा, साधना हृदय बसाहू तुम तीन । ।

 
      

About Prabhat Ranjan

Check Also

अनुकृति उपाध्याय से प्रभात रंजन की बातचीत

किसी के लिए भी अपनी लेखन-यात्रा को याद करना रोमांच से भरने वाला होता होगा …

10 comments

  1. satyadeo jangid

    माधुरी में पढ़ा था जब भी बहुत बढ़िया व श्री रवि कांत जी द्वारा श्री पीयूष दैय्या के कहने पर लिखे लेख जो जनमत 2011 के दिवाली के विशेषांक में प्रकाशित हुवा था तब भी…आज फिर आपने मजा दोबाला कर दिया…बहुत बहुत शुक्रिया…

  2. This blog is full of great ideas and I’m so inspired by it!

  3. This blog is full of great ideas and I’m so inspired by it!

  4. Your blog posts are a delightful mix of entertainment and education.

  5. Your blog is a source of inspiration for those seeking personal growth and self-improvement.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *