‘तुम्हारी सुलू’ फिल्म की यह समीक्षा युवा कवयित्री, फिल्मकार प्रियंका वाघेला ने लिखी है. आप भी पढ़िए- मॉडरेटर
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“तुम्हारी सुलु” एक एसी स्त्री की कहानी कहती है -जो शिक्षा के क्षेत्र में सफल नहीं है व अपने पिता और बहनों के द्वारा इस बात को लेकर लगभग अपमानित की जाती है उसका पति अशोक उससे बेहद प्यार करने वाला सीधा व्यक्ति है वह एक गारमेंट फैक्ट्री में काम करता है जहाँ पूरा स्टाफ़ ही उम्रदराज़ लोगो का है कई दिक्कतों के बावज़ूद वह वहाँ काम करता है और तो और अपने वृद्ध मालिक की दवाइयों का समय भी ध्यान में रखता है ! उनका एक बेटा है , विद्या बालन ने एकबार फिर अपने किरदार को इस तरह जीवंत किया कि – पूरी फ़िल्म में हम सुलू को देखते रहे उसकी परिस्थितियों को महसूस करते हुए एक स्त्री के भावनात्मक उतार- चढ़ाव में बह गए| सुलु चैम्पियन बनना चाहती है ! वह प्रयास करती है आगे बढ़ती है चाहे वह लेमन स्पून रेस हो या आर जे बनने की चुनौती वह न तो निम्बू गिरने देती है ना अपना आत्म विश्वाश| अपनी आवाज़ की कशिश परखने के लिए वह जनरल स्टोर के मालिक को फोन कर झाड़ू मंगवाती है व हाथ में झाड़ू उठाये पांचवे माले तक सीढ़ियाँ चढ़कर आने को मजबूर कर देती है | सुलु की मादक आवाज़ और वाकपटुता के लोग दीवाने हुए जाते है जो एक पति के मन को कही खटकता भी है पर सुलू अपनी गरिमा पहचानती है वह अपने काम को अभिनय की तरह लेती है उसकी प्राथमिकता उसका परिवार है जिनके लिए वह अपने काम को उससे मिल रही खुशियों को भी छोड़ने को तैयार हो जाती है |पर उसे अपने पति व बेटे का साथ मिलता है और हमारी सुलु एकबार फिर नया उपाय ढूँढ ही लेती है और आर जे सुलु अपने पति के लिए भी नया काम तलाश लेती है |
मैं यह कहना चाहूंगी कि- विद्या बालन वो अदाकारा है – जो पुरुष प्रधान समाज और फिल्म इंडस्ट्री में अपने सादे -सहज सोंदर्य व अभिनय की विलक्षण प्रतिभा के साथ आँखों में जीवन का उल्लास लिए सीधे दिल में उतर जाती है ! वो झुठला देतीं है – नारी सौन्दर्य के उन सारे मापदंडों को व उन सभी मानसिक्ताओ को – जो ज़ीरो फिगर और कम कपड़ों में हीरो से लिपटती स्क्रीन पर गूंगी गुड़िया की तरह दिखाई जाने वाली स्त्री को ही हिरोइन समझते है |
विद्या सुलु के किरदार में इस तरह उतरती है जैसे उसका हर लम्हा हर एहसास जीकर देखा हो उन्होंने ! एक माँ एक पत्नी और उसके भीतर रहने वाली एक स्त्री जो कुछ करना चाहती है कई असफलताओं के बाद भी ,कई बार अपने अपनों के असहयोग और तिरस्कार के बावज़ूद नया करने की हिम्मत रखती है और आखिरकार सफ़ल होती है !
विद्या बालन वाकई एक बेजोड़ अदाकारा है जो जिस्मानी ख़ूबसूरती के आलावा भी अपने अभिनय से वो कशिश पैदा करती है के सिनेमाघर का हर लम्हा आप केवल उनके इर्द -गिर्द बिताकर आते है |मानव कौल ने सुलु के पति के रूप में अपने किरदार को बखूबी निभाया है उनके अभिनय की सहजता प्रभावित करती है उनका काम भी काबिले तारीफ़ है ,फिल्म के अन्य कलाकारों ने भी पूरी शिद्दत के साथ अपने हिस्से के अभिनय को बखूबी निभाया है फिल्म का दूसरा भाग अपने अंत की ओर उतने प्रभावशाली ढंग से नहीं जा पाता है जितनी अपेक्षा थी, बहरहाल फिल्म के निर्देशक सुरेश त्रिवेणी को एक सार्थक व मनोरंजक फिल्म के लिए बधाई !
हलो……………तो सुलु यह कहती है कि – ज़स्बा रखिये आगे बढ़िये और अपने सपनों को हक़ीकत में बदलते हुऐ देखिये !
” मैं कर सकती है” सुलु कहती है – विद्या कर गयीं है |
फिल्म – तुम्हारी सुलु
कलाकार – विद्या बालन ,मानव कौल ,नेहा धूपिया
निर्देशक – सुरेश त्रिवेणी |
प्रियंका वाघेला