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एक संत के सफल कारोबारी बनने की कहानी

प्रियंका पाठक-नारायण की गॉडमैन टू टायकून: द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ बाबा रामदेव . इस किताब पर रोक लगाने के लिए केस हुआ. कड़कड़डूमा अदालत द्वारा किताब पर से रोक हटाए जाने के बाद जगरनॉट बुक्स इस किताब को अपने ऐप पर निशुल्क लेकर आया है. पिछले साल यह रोक दिल्ली की एक अदालत द्वारा एकतरफा तौर पर तब लगाई गई थी, जब बाबा रामदेव ने अदालत में किताब को चुनौती दी थी. पढ़िए संत से सफल कारोबारी: बाबा रामदेव की अनकही कहानी.

 

                                                  सफल कारोबारी

हरिद्वार, 2016

कम ऊंचा मंच, एक ऊंचे रोशनदान से छनकर आती धूप, वह पेट के बल सपाट लेटता है, अपने खुरदुरे चेहरे को हथेलियों से सहारा देता है, भीड़ की तरफ देखता है और मुस्कुराता है. एक हज़ार लोग उसकी योगिक मुद्रा का अनुसरण करते हैं और जवाब में खुलकर हंसते हैं.

इस चुस्त, भगवा वस्त्र पहने व्यक्ति की दर्शकों पर पकड़ के बारे में कभी कोई संदेह नहीं रहा था. उसने लाखों लोगों को मंत्रमुग्ध किया है, दिन-प्रतिदिन, एक दशक से भी लंबे समय से. किसी भी अच्छे कलाकार की तरह बाबा रामदेव को पता है कि सारा कमाल लगातार विस्मित करते रहने का है.

हरियाणा के सैद अलीपुर गांव में निचली जाति के एक गरीब किसान के अल्पशिक्षित पुत्र रामदेव के बचपन का नाम राम किशन यादव था. रामदेव ने प्रसिद्धि और समृद्धि तक की अपनी यात्रा 1980 के दशक में उत्तरार्द्ध में अपने परिवार के भरण-पोषण में मदद के लिए संघर्ष करते हे आरंभ की थी. तीन दशक बाद, उनकी कंपनी ‘तेज़ बिक्री वाली उपभोक्ता सामग्री’ (फास्ट मूविंग कंज़्यूमर गुड्स या एफएमसीजी) के क्षेत्र में सबसे तेज़ वृद्धि वाली कंपनी है, जिसमें करीब 20 हज़ार लोग नौकरी करते हैं.

पतंजलि आयुर्वेद की कमाई 2010-11 के अंत के 317 करोड़ रुपये के मुकाबले 2015-16 में पंद्रह गुना बढ़कर विस्मित करने वाले स्तर 5,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गई. रामदेव ने घोषणा की थी कि 2016-17 के अंत तक यह आंकड़ा दोगुना हो जाएगा. यही हुआ- मई 2017 में यह आंकड़ा स्तब्धकारी स्तर 10,000 करोड़ रुपये पर था. इस अद्भुत उपलब्धि की घोषणा करते हुए रामदेव ने कंपनी के अगले साहसिक लक्ष्य की भी घोषणा की: मई 2018 तक 20,000 करोड़ रुपये का राजस्व.

एसोचैम-टेकसाई की 2017 की एक रिसर्च रिपोर्ट में इस वृद्धि को परिप्रेक्ष्य में रखा गया है: पतंजलि ‘भारतीय एफएमसीजी मार्केट में सर्वाधिक उथल-पुथल करने वाली ताकत’ है. एक ओर जहां पतंजलि सालाना 100 प्रतिशत से भी ऊंची दर से वृद्धि कर रही है, ‘आईटीसी, डाबर, हिंदुस्तान यूनिलीवर, कोलगेट-पामोलिव तथा प्रोक्टर एंड गैंबल जैसी इसकी समकक्ष कंपनियों को दहाई के आंकड़े से भी कम की वृद्धि दर हासिल करने में संघर्ष करना पड़ा है’.

डॉलर अरबपतियों की रैंकिंग वाली हुरुन रिच लिस्ट में सितंबर 2016 में बाबा रामदेव के निकटतम सहयोगी आचार्य बालकृष्ण को 26वां सर्वाधिक धनवान भारतीय बताया गया. उनकी निजी संपत्ति 25,600 करोड़ रुपये (3.8 अरब डॉलर) रुपये बताई गई. वह पतंजलि आयुर्वेद के 94 प्रतिशत हिस्से के स्वामी हैं. बाबा रामदेव जैसे स्वामियों के लिए, जिन्होंने संन्यास ले लिया है और जो धन और प्रसिद्धि जैसी सांसारिक चीज़ों के त्याग के प्रतीक स्वरूप भगवा वस्त्र धारण करते हैं, संन्यासियों की परंपरा के तहत कंपनियों का स्वामित्व हासिल करने पर रोक है.

जब आप रामदेव से पहली बार मिलते हैं तो जो पहली बात ध्यान खींचती है, वह है उनके लहराते बाल और दाढ़ी, बीच-बीच में सफेद के छींटे के साथ. वह हमेशा भगवा धोती पहनते हैं और बदन के ऊपरी हिस्से को ढंकने के लिए भी बिना सिले भगवा कपड़े का एक टुकड़ा, शॉल की तरह. रामदेव की त्वचा दमकती है और वह अच्छे स्वास्थ्य का प्रतीक मालूम होते हैं. वह हमेशा खुश दिखते हैं और लगातार मुस्कुराते रहते हैं.

लेकिन रामदेव को मात्र एक भगवाधारी संन्यासी समझने की भूल नहीं करें, पतंजलि आयुर्वेद के पूर्व सीईओ और पतंजलि फूड पार्क के 2011 से 2014 तक अध्यक्ष रहे एस. के. पात्रा आगाह करते हैं. हालांकि ऐसा माना जाता है कि अपना बिज़नेस साम्राज्य फैलाने में रामदेव को मौजूदा सरकार का समर्थन और प्रोत्साहन मिला हुआ है, लेकिन यह भी सच है कि उनका आर्थिक एजेंडा नरेंद्र मोदी सरकार के आर्थिक एजेंडे से मेल नहीं खाता है. जहां एक ओर प्रधानमंत्री अपने ‘मेक इन इंडिया’ अभियान में अंतरराष्ट्रीय दिलचस्पी बढ़ाने और विदेशी निवेशकों को भारत में विनिर्माण के लिए पूंजी लगाने के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से दुनिया के करीब 30 देशों का चक्कर काट चुके है. अगस्त 2016 में बाबा रामदेव ने पतंजलि की छत्रछाया में एक और ब्रांड ‘आस्था’ की शुरुआत की जो 8,000 करोड़ रुपये के गृह उपासना सेक्टर में प्रतियोगिता करेगा. शुभकार्ट डॉटकॉम के ज़रिए बिकने वाले आस्था ब्रांड के 18 श्रेणियों में सैकड़ों उत्पाद हैं- देसी परिधान, घर में पूजी जानेवाली मूर्तियां, वास्तु और फेंगशुई उत्पाद, शालिग्राम और रुद्राक्ष से लेकर देश भर के प्रमुख मंदिरों के ताज़ा प्रसाद तक.

बाबा रामदेव कौन हैं? वह कहां से आए? टेलीविज़न पर अपने शरीर को तोड़मरोड़ कर योगिक मुद्राएं प्रस्तुत करते-करते इस व्यक्ति ने कैसे सबसे तेज़ गति से बढ़ने वाली एफएमसीजी कंपनियों में से एक बना डाली? क्या उनके उत्पाद उतने अच्छे हैं जितना वह दावा करते हैं? क्या वे दूरदृष्टि वाले हैं? क्या वे धोखेबाज़ हैं? उनमें इतनी ऊर्जा कहां से आती है?

(प्रियंका पाठक-नारायण की पुस्तक संत से सफल कारोबारी: बाबा रामदेव की अनकही कहानी से यह अंश पुस्तक के प्रकाशक जगरनॉट बुक्स की अनुमति से प्रकाशित).

 

 

 
      

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5 comments

  1. एक बहुत अच्छा लेख। धन्यवाद।

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