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पत्रकारिता और उपन्यास एक ही माँ की संतान हैं: मार्केज़

गाब्रिएल गार्सिया मार्केज़ की किताब ‘द स्टोरी ऑफ़ ए शिपरेक्ड सेलर’ एक ऐसी किताब है जो पत्रकारिता और साहित्य के बीच की दूरी को पाटने वाला है. एक ऐसे नाविक की कहानी है जो जहाज के टूट जाने के बाद भी समुद्र में दस दिन तक जिन्दा बचा रहा था. मार्केज़ ने उसी से बातचीत के आधार पर इसे लिखा था. इस पुस्तक पर सरिता शर्मा का आलेख- मॉडरेटर

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गाब्रिएल गार्सिया मार्केज ने अपने करियर की शुरुआत पत्रकारिता से की थी। उन्होंने बोगोटा में रहते हुए ‘एल स्पेक्तादोर’ के साहित्यिक परिशिष्ट के लिए लिखा। उन्होंने पत्रकारीय घटनाओं का बहुत गहराई से वर्णन किया है। पत्रकारिता की पृष्ठभूमि ने उनके उपन्यास लेखन के लिए आधार प्रदान किया। उन्होंने कहा है, “पत्रकारिता और उपन्यास एक ही माँ की संतान हैं।”  एल स्पेक्तादोर के लिए मार्केज का आखिरी संपादकीय चौदह लेखों की एक श्रृंखला थी। मार्केज ने यह कहानी एक युवा नाविक लुईस अलेकांड्रो वेलास्को के साथ 120 घंटे साक्षात्कार करके तैयार की थी, जो पोत भंग हो जाने के बाद समुद्र में दस दिनों तक रक्षा नौका पर भोजन या पानी के बिना बचा रह गया था। इस पुस्तक को मार्केज ने कई वर्ष बाद अपने नाम से ‘द स्टोरी ऑफ़ ए शिपरेक्ड सेलर’ शीर्षक से प्रकाशित किया था। इसका रेंडोल्फ होगन द्वारा किया गया अंग्रेजी अनुवाद 1986 में प्रकाशित किया गया था जिसके बाद यह पुस्तक विश्व भर में लोकप्रिय हो गयी थी। इस पुस्तक में नौसैनिक की जिजीविषा, सहनशीलता, अकेलेपन, भूख और प्यास के बावजूद जीवित रहने के दृढ़ संकल्प की अद्भुत कहानी है। जीवन की विडम्बना को उपशीर्षक में दर्शाया गया है -“जहाज की तबाही से बचे नाविक की कहानी, जिसे राष्ट्र का नायक घोषित किया गया, सुंदरियों ने चूमा और प्रचार ने अमीर बना दिया गया, और फिर सरकार की अप्रसन्नता के कारण हमेशा के लिए भुला दिया गया।”

कोलंबिया नौसेना में तैनात लुइस अलेकांड्रो वेलास्को अपने चालक दल के साथ उसके जहाज कालदास की मरम्मत के लिए आठ महीनों तक मोबाइल, अलबेमा में तैनात था।  वेलास्को ने निषिद्ध सामान से लदे जहाज़ में कार्ताखेना के लिए प्रस्थान किया था। आधी रात को उसे और उसके साथियों को आदेश दिया गया कि वे जहाज को सीधा करने के लिए डेक के एक तरफ खड़े हो जाएं क्योंकि जहाज दूसरी तरफ बहुत अधिक झुका हुआ था। लेकिन एक बड़ी लहर ने जहाज का संतुलन बिगाड़ दिया और वेलास्को और उसके साथी समुद्र में गिर गये। वेलास्को तैरकर सतह पर आया  तो उसने देखा कि जहाज दूर जा चुका था। वह जहाज से बह कर आये एक टोकरे से चिपका हुआ था। फिर वह एक रक्षा बेड़े में कूद गया और उसकी मदद से डूबने से बच गया। उसने अपने चार साथियों को समुद्र में डूबते हुए देखा था। वेलास्को कैरेबियन सागर में अकेला था। उसे विश्वास था कि अगले दिन विमान और हेलीकाप्टर उसे खोजने आयेंगे और उसे बचा लिया जायेगा। उसने बेड़े में धैर्यपूर्वक इंतजार किया। अंततः क्षितिज में विमान दिखाई देने लगे। लेकिन  विमान पानी के बहुत ऊपर उड़ रहे थे इसलिए कोई भी पायलट उसे देख नहीं पाया। वह रात बहुत एकाकी और अंधेयारी थी। उसने अपने जीवन में इतने सारे सितारे कभी नहीं देखे थे। वह प्रकृति की सुन्दरता से अभिभूत हो जाता है -“जल्द ही आसमान लाल हो गया और मैं क्षितिज की ओर देखता रहा। फिर मेरे देखते ही देखते वह गहरा बैंगनी हो गया था। रक्षा बेड़े की एक तरफ, गहरे लाल आकाश में, पहला तारा पीले हीरे की तरह दिखाई दिया जो स्थिर और सुन्दर था।”

वेलास्को कोलंबिया की तरफ बढ़ता जाता है तो उसके पास सिर्फ शर्ट, जूते, चाबी का एक सेट और कुछ बिजनेस कार्ड्स थे। हर शाम पांच  बजे भयानक शार्क वेलास्को के आसपास इकट्ठे हो जाया करते थे। भूख से पीड़ित व्यक्ति जीवन के सामान्य ढर्रे को तोड़ देता है। “बुभुक्षितः किं न करोति पापं, क्षीणा नरा निष्करुणा भवन्ति।” वेलास्को भूख से परेशान होकर बिजनेस कार्ड्स को चबा जाता है और अपने जूतों के रबड़ के तले के टुकड़े खाने के बारे में सोचता है। मगर उसे चाकू से काट नहीं पाता है। बेल्ट को चबाने लगता है, समुद्री चिड़िया को मारकर उसे खाने की नाकाम कोशिश करता है। एक मछली को पकड़कर उसके दो निवाले ही खा पाता है कि शार्क उससे मछली को झपट लेती है। उसके हाथ ओलिव की डाली लगती है तो उसे खा लेता है। कथावाचक का पीने के पानी के लिए तरसना हमें समुद्र के बीच फंसे एंसियेंट मेरीनर की प्यास की याद दिला देता है – “हर ओर अथाह जल, पीने के लिए बूँद भर भी नहीं।” वेलास्को कभी- कभार थोड़ा सा समुद्र जल पी लेता है मगर उससे प्यास नहीं बुझती है। पुस्तक में धधकते सूरज का वर्णन बहुत मार्मिकता से किया गया है। “सूरज सुबह जल्दी उगा और धूप इतनी तेज थी कि सात बजे तक हवा उबल रही थी। मेरे कंधे और हाथ झुलस गये थे। मैं अपनी त्वचा को छू नहीं सकता था क्योंकि वह जलते कोयले की तरह महसूस हो रही थी।”

वेलास्को ने रक्षा बेड़े की रेलिंग की लकड़ी पर प्रत्येक दिन के लिए एक निशान बना दिया था। तेज हवाओं में वेलास्को के कानों में उसके मित्र लुई रेंसिफो के अंतिम शब्द गूंजते रहे थे जो रक्षा बेड़े से केवल दो  मीटर की दूरी पर समुद्र में डूब गया था। उसे मतिभ्रम हुआ कि उसका सबसे अच्छा दोस्त जेमी मैन्जोअर्स रात में उसके रक्षा बेड़े पर दिखाई देता था जो उसके साथ बतियाता रहता था। आखिर में, वह हार मानकर सोचने लगा कि उसका अंत निकट था। “मुझे लगा कि मैं मर रहा था और उस विचार ने मुझे अजीब धुंधली सी आशा से भर दिया।” उसे भ्रम हुआ कि वह अलबेमा में पार्टी कर रहा था। तभी उसे एक विशालकाय कछुआ रक्षा बेड़े की ओर बढ़ता हुआ दिखाई दिया तो उसने डरकर सावधानी से बेड़े को खेना शुरू कर दिया। “उस भयानक दृश्य ने मुझमें पुन: भय उत्पन्न कर दिया था लेकिन डर ने मुझे पुनर्जीवित किया।” अंततः जब लुइस को भूमि दिखाई दी तो उसने  सोचा कि वह भी कोई भ्रम होगा। उसे क्षितिज पर नारियल के पेड़ दिखाई दिए। उसके बाद  उसने अपना रक्षा बेड़ा छोड़ दिया और दो किलोमीटर तक तैरते हुए समुद्र तट पर पहुंच गया था। वहां कोलंबिया के उबरा शहर के पास कुछ स्थानीय लोगों ने उसे देखा। उन्होंने थके हुए और अधमरे लुइस वेलास्को की सेवा की और उसे डॉक्टर के पास ले गये थे। एक विमान से लुइस को उसके परिवार के पास ले जाने की व्यवस्था की गयी, जो उसे पहले से ही मरा हुआ मान चुके थे। कोलंबिया सरकार ने उसे राष्ट्रीय नायक के रूप में सम्मानित किया गया। उसने रेडियो पर देशभक्तिपूर्ण भाषण दिया और उसे कोलंबिया के टेलीविजन पर आने वाली पीढ़ियों के लिए एक उदाहरण के रूप में दिखाया गया। मगर उसे अपने अनुभवों में नायक बनने जैसा कुछ नहीं लगा था। ”मेरे मामले में, वीरता सिर्फ इस बात में थी कि मैंने खुद को दस दिनों तक भूख और प्यास से मरने नहीं दिया था।” उसने अपनी घड़ी के ब्रांड का विज्ञापन किया, जो कभी रुकी नहीं थी, और उन जूतों का जिन्हें वह फाड़कर खा नहीं पाया था। वेलास्को ने अपनी कहानी बता कर भी पैसे कमाये।

पुस्तक की शुरुआत में मार्केज ने “इस कहानी की कहानी” में पुस्तक की पृष्ठभूमि और उसके बाद हुए विवाद के बारे में बताया है। मार्केज को लुइस वेलास्को किसी भी तरह प्रभावशाली नहीं लगा था। “मुझे वह राष्ट्रीय नायक की बजाय तुरही बजाने वाला लगता था जिसमें कहानी सुनाने की अद्भुत प्रतिभा…और अपनी वीरता का उपहास करने की अनगढ़ गरिमा थी।” मार्केज को लगता था कि वेलास्को ने खुद को बेचा था। उन्होंने सच्चाइयों और भ्रमों का खुलासा करने के लिए वेलास्को से कई मुश्किल सवाल पूछे। उन्होंने इस बारे में पेरिस रिव्यू को बताया है- “सिर्फ सवालों और जवाबों की बात नहीं थी। नाविक मुझे बस अपने रोमांचक अनुभव बताता जा रहा था और मैं उसके शब्दों का इस्तेमाल करने की कोशिश करते हुए उनका पुनर्लेखन करता जा रहा था। वह कथावाचक था इसलिए ऐसा लगता था मानो वही लिख रहा हो। जब ये लेख प्रतिदिन दो सप्ताह तक अखबार में सीरियल के रूप में प्रकाशित किये गये थे, इन पर मैंने नहीं, बल्कि नाविक ने हस्ताक्षर किये थे। बीस साल के बाद इन्हें पुनः प्रकाशित किया गया और लोगों को पता चला कि इन्हें मैंने लिखा था। किसी भी संपादक ने इन्हें तब तक प्रकाशन योग्य नहीं समझा जब तक कि मैंने “वन हंडरड ईयर्स ऑफ़ सॉलिट्यूड” नहीं लिख लिया था।” कहानी लिखने के इस तरीके से अख़बार की बिक्री कई गुणा बढ़ गयी क्योंकि पाठकों की सच्चाई सुनने में दिलचस्पी थी। मार्केज ने वेलास्को से यह रहस्योद्घाटन करवा दिया कि जहाज़ की तबाही इसलिए हुई थी “क्योंकि जहाज में निषिद्ध सामान को बुरी तरह से लादा हुआ था जोकि डेक पर लुढ़क गया था।” इससे कोलंबिया सरकार की परेशानी बढ़ गयी क्योंकि इससे घटनाओं के आधिकारिक विवरण को झूठा साबित कर दिया था, जिसने जहाज़ के टूटने के लिए तूफान को जिम्मेदार बताया था और जीवित रहने वाले नाविक को महिमामंडित किया गया था। इससे नौसेना में व्याप्त भ्रष्टाचार और लापरवाही का भी पता चला था। इस विवाद के चलते मार्केज को विदेशी संवाददाता बना कर पेरिस भेज दिया गया और अख़बार को बंद कर दिया गया था। वेलास्को को नौसेना की नौकरी छोड़नी पड़ी थी।

यह पुस्तक लेखक के रूप में मार्केज के शुरूआती वर्षों की झलक देती है। पुस्तक की कहानी बहुत दिलचस्प है क्योंकि इसमें मानव मन की जटिलताओं, अकेलेपन, आशा, निराशा, भय और साहस की आपबीती है। लुइस अलेकांड्रो वेलास्को को कथावाचक बना देने से उसकी भावनाओं की गहनता और प्रामाणिकता बढ़ गयी है। कहानी वेलास्को के नजरिये से कही गयी है मगर मार्केज द्वारा सवालों को इस तरह पूछा गया कि पाठकों की उत्सुकता लगातार बनी रहे और कहानी कहीं भी बोझिल न हो। कहानी और यथार्थ बहुस्तरीय है और रोमांचक घटनाएं पाठकों को लगातार उद्वेलित करती रहती हैं।

                                                                                                                137, सेक्टर -1,

                                                                                                         आई. एम. टी. मानेसर

                                                                                                         गुरूग्राम-122051.

                                                                                                          हरियाणा

                                                                                                          मोबाइल- 9871948430.

पुस्तक: द स्टोरी ऑफ़ ए शिपरेक्ड सेलर

लेखक: गेब्रिएल गार्सिया मार्केज

प्रकाशक: विंटेज इन्टरनेशनल

मूल्य:  रू. 1,286.59

 
      

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