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बांधे रखने वाला मनोरंजन देता है ऑडियो नॉवेल गुस्ताख़ इश्क़

स्टोरीटेल पर कुछ कहानियाँ धारावाहिक रूप में भी हैं, जो समक़ालीन जीवन स्थितियों को लेकर हैं। ‘ग़ुस्ताख़ इश्क़‘ ऐसी ही एक सीरीज़ है, जिसे इरा टाक ने लिखा है। उसकी समीक्षा की है शिल्पा शर्मा ने- मॉडरेटर

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इरा टाक का लिखा पहला ऑडियो नॉवेल गुस्ताख़ इश्क़ एक युवा पत्रकार मिताली की एक बिज़नेस टाइकून रोनित पटेल, जो उम्र में मिताली से ख़ासा बड़ा है, की प्रेम-कहानी है.  प्रेम कहानियों में यूं भी पेंच-ओ-ख़म कम नहीं होते, लेकिन इस कहानी में बहुत सारे घुमाव हैं, बहुत सारे पेच हैं. मिताली पहले ही शादीशुदा है और रोनित शादीशुदा भी है और दो बच्चों का पिता भी.

किस तरह रोनित और मिताली एक-दूसरे की ओर आकर्षित होते हैं, पास आते हैं, दुनिया को उनके बारे में पता चलता है, अपने रिश्ते को नकारते हैं, स्वीकारते हैं, मिलते हैं, बिछड़ते हैं, एक-दूसरे को अपनाते हैं और फिर कैसी नई समस्याएं आती जाती हैं इनके जीवन में… इन सभी बातों का ताना-बाना इरा ने बड़े दिलचस्प और श्रोताओं को बांधे रखनेवाले अंदाज़ में बुना है. मिताली और रोनित की इस कहानी में पहले एपिसोड से जागी दिलचस्पी आपको इस तरह सम्मोहित करती है कि आप पांचवे एपिसोड तक दम साधे उपन्यास को सुनते रहना चाहते हैं.

पांचवे एपिसोड के बाद आपको कहानी थोड़ी समझ में आने लगती है और आप अंदाज़ा लगा पाते हैं कि आगे क्या हो सकता है या क्या होगा, बावजूद इसके आप मिताली के बारे में आगे जानने को उत्सुक हो उठते हैं, क्योंकि उसका क़िरदार बहुत डूबकर गढ़ा गया लगता है. इस ऑडियो नॉवेल को सुनते हुए आप बड़े मनोरंजक ढंग से मिताली और रोनित की दुनिया में खोते चले जाते हैं. मिताली की दोस्त संयोगिता हो या रमोना, दोनों ही बहुत अपने से और अपने आसपास के लगते हैं. उपन्यास के दूसरे क़िरदार जैसे- मिताली के माता-पिता, पाछी, रोनित के बेटे राघव-माधव, विमल कुमार और राघव की पत्नी स्वीटी जैसे लोग भी यूं लगते हैं, जैसे आप उन्हें जानते हों. वॉइसओवर आर्टिस्ट नेहा गार्गव और विजय विक्रम सिंह ने नॉवेल के क़िरदारों को अपनी आवाज़ से जीवंत कर दिया है.

 मिताली का क़िरदार एक सशक्त महिला का क़िरदार है, फिर भी कभी-कभी उसके अनिर्णय की स्थिति आपको खलती है. साथ ही, यह महसूस होता है कि नवें एपिसोड तक आते-आते उपन्यास को समेटा जा सकता था. हालांकि यहां लेखक की नहीं चलती, क्योंकि उपन्यास कितने एपिसोड में समेटना है, यह बात प्रोड्यूसर्स अपनी कंपनी की पॉलिसीज़ के तहत तय करते हैं. बतौर एक श्रोता व समीक्षक उन्हें यह सलाह देना मैं ज़रूरी समझती हूं कि वे अपने नॉवेल्स की श्रव्यता को दिलचस्प और निर्बाध बनाए रखने के लिए इनकी लंबाई को कम करने में पीछे न रहें, क्योंकि इससे उनके ऑडियो नॉवेल्स की गुणवत्ता बढ़ेगी ही.

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ऑडियो नॉवेल: गुस्ताख़ इश्क़

लेखिका: इरा टाक

प्लैटफ़ॉर्म: स्टोरीटेल

एपिसोड: 10

 
      

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4 comments

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