Home / Featured / युवा कवि देवेश पथ सारिया की कविताएँ

युवा कवि देवेश पथ सारिया की कविताएँ

देवेश पथ सारिया मूलतः अलवर के रहने वाले हैं और आजकल ताइवान के एक विश्वविद्यालय में शोध कर रहे हैं। उनकी कविताएँ सभी प्रमुख पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। यह उनकी कुछ नई कविताएँ हैं जो उन्होंने पुश्किन आर्ट म्यूजियम, मॉस्को की यात्रा के बाद लिखी थी-
==============
 
(पुश्किन आर्ट म्यूजियम, मॉस्को से चार कवितायें)
 
 
1. कविता उसका भ्रम दूर करने का प्रयास है
 
पुश्किन आर्ट म्यूजियम के उस सेक्शन में
यीशु से शुरू होती थी चित्रों की श्रंखला
और धर्म और ऐतिहासिक घटनाओं के चित्रण से होते हुए
खूबसूरत इमारतों, मौसम, सड़कों और लोगों तक पंहुचती थी
सपने जैसा था वह पूरा मजमा
 
म्यूजियम के उस सैक्शन से बाहर आकर
मैं कला के नशे में था
आते-जाते सैलानियों की भीड़ में
मैंने उसे चीन्ह लिया
चीन्हा गया होगा जैसे
म्यूजियम के अंदर लगे चित्रों की नायिकाओं को
 
लाल ओवरकोट और काली टोपी पहने बैठी वह लम्बी रूसी लड़की
एक हाथ में किताब और दूसरे हाथ में कॉफी का कप लिए हुए
दृश्य कला के घर में शब्दों की साधना करती
जैसे कोई द्विमीय पेंटिंग
विमाओं का विस्तार कर जीवित हो उठी थी मेरे सामने
 
जैकेट लेने के काउंटर के पास बैठी वह लड़की
खुद को भीड़ का हिस्सा माने बैठी थी
और बदक़िस्मती से मैं पेंटर नहीं था
कि दूर कर पाता
कला से इतर कुछ भी और होने का
उसका भ्रम
 
2. मॉडर्न आर्ट
 
अब मैं आधुनिक चित्रों के बीच था
जिसमें शामिल थे
वॉन गॉफ, और पिकासो के चित्रों सहित कई अन्य अमर कृतियां
कुछ रेखाचित्र, कुछ अमूर्त बीजगणित जैसे चित्र
 
उन्नीसवीं और बीसवीं सदियों में हुए
कला आन्दोलनों के बाद
साधारण भी है कलात्मक
नहीं, ज़रूरी नहीं है सुर्खाब के पर होना
कुछ भी, कोई भी, किसी भी क्रियाकलाप के दौरान
हो सकता है मॉडर्न आर्ट
 
मसलन, कल मैंने देखा मेरे पड़ोस में
सफ़ेद कमीज़ पतलून के अंदर डाले एक तेज़क़दम आदमी
जैसे नयी-नयी नौकरी लगा
कोई युवा सुबह ऑफिस की तरफ दौड़ता है
पर वह एक अधेड़ व्यक्ति था
और वक़्त था सुबह नहीं, शाम का
 
वह आदमी आज की कला था
विचित्रों का समायोजन
 
3. न्यूड आर्ट
 
वह प्रदर्शनी मास्को कुछ ही दिन के लिए आयी थी
वियना के कलाकारों के चित्रों, रेखाचित्रों की
वरना कहाँ इतना भाग्य था
गुस्ताव क्लिम्ट और ईगोन शील की कला इन आँखों से देख पाने का
 
बाहर रखी विजिटर बुक में
उन्हीं चित्रों, रेखाचित्रों की तर्ज़ पर
कुछ रूसी लड़कियों ने
बना दिये वैसे ही नग्न रेखाचित्र
और मुझे आता देख हंस दी वे शरारती हंसी
 
मैं सोचता रहा उस हंसी के मायने
 
उस विजिटर बुक को वियना ले जाना होगा
और संभवतः वे प्यार भेज रहीं थी रूस से
दो प्रिय कलाकारों के घर
या वे महज़ खिलंदड़ युवतियां थीं
जीवन की उस उम्र में
जब शरारतें करना पैदाइशी हक़ लगता है
या वे हिस्सा थीं उस विरोध का
जो कला के इतिहास में
स्त्रियों की नग्नता के खिलाफ है
हालाँकि क्लिम्ट और शील के नग्न चित्रों में नहीं था लैंगिक भेदभाव
 
क्या देखना चाहते हैं दर्शक
वे जो महज़ कामुकता नहीं देखते एक नग्न चित्र में
वे जो कहते हैं कि यह तोड़ फेंकना है बेड़ियों को
कि सौष्ठव के सौंदर्य में है कला
 
विज़िटर बुक में मैंने लिखा
मैं कभी नहीं बन सकता चित्रकार
पर लौटूंगा किसी विशुद्ध संस्कार की ओर
परदे हटाकर, न्यूड आर्ट की तरह
 
4. छोटा रूसी कलाकार
 
 
पुश्किन आर्ट म्यूजियम के बाहर स्थित
कैफ़े में वह रूसी बच्चा
अपनी ड्राइंग बुक में कुछ ड्रॉ कर रहा था
 
उस पर नज़र पड़ते ही
बच्चों से चुहलबाज़ी करने की आदत के तहत
मैंने कोशिश की
उचककर उसकी ड्राइंग बुक में झांकने की
पर बच्चे ने हाथ से ढंक लिया अपना बनाया चित्र
 
कुछ देर बाद इधर-उधर देखने के बाद
मैंने कनखियों से फिर झाँका
पर बच्चा चाक-चौबस था
 
मेरे लिये, वह एक प्यारा बच्चा था
जिसे मैं गुदगुदी करना चाहता था
बच्चे के अनुसार, वह एक कलाकार था
ईमानदारी से अपना पहला ड्राफ्ट पूरा करता हुआ
 
बच्चे की नज़रों में, मैं था
उसकी रचना प्रकिया और तन्मयता में सेंध लगाता
एक उचक्का
===========
 
~ देवेश पथ सारिया
मेरा ताइवान का पता :
देवेश पथ सारिया
पोस्ट डाक्टरल फेलो
रूम नं 522, जनरल बिल्डिंग-2
नेशनल चिंग हुआ यूनिवर्सिटी
नं 101, सेक्शन 2, ग्वांग-फु रोड
शिन्चू, ताइवान, 30013
फ़ोन: +886978064930
ईमेल: deveshpath@gmail.com
 
      

About Prabhat Ranjan

Check Also

अनुकृति उपाध्याय से प्रभात रंजन की बातचीत

किसी के लिए भी अपनी लेखन-यात्रा को याद करना रोमांच से भरने वाला होता होगा …

5 comments

  1. जितेन्द्र श्रीवास्तव

    अच्छी कविताएँ। बधाई देवेश।

  2. A. Charumati Ramdas

    बहुत ताज़गी भरी कविताएँ….

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *