असग़र वजाहत बड़े किस्सागो हैं। आज वे 75 साल के हो गए। जानकी पुल की तरफ़ से उनको बधाई देते हुए उनके कुछ क़िस्से पढ़ते हैं, जो उनकी पुस्तक ‘भीड़तंत्र’ से लिए गए हैं। यह पुस्तक राजपाल एंड संज से प्रकाशित हैं-
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खतरा
एक देश की सीमाओं पर बड़ा खतरा था। चारों तरफ से शत्रुओं ने घेर रखा था। देश की सेना को सीमाओं पर भेजा गया। सेना ने बहुत बहादुरी से दुश्मनों का सामना किया। उसको हरा दिया और दूर तक खदेड़ दिया। दुश्मन को पराजित करने के बाद सेना जब देश को लौटी तो सेना ने देखा कि देश में कोई नहीं है। सेना को बड़ा आश्चर्य हुआ कि देशवासी कहाँ चले गये, जिनके लिए उन्होंने बड़े बड़े युद्ध लड़े थे। खोजते खोजते सेना को दो देशवासी मिले जो आपस में एक दूसरे से खूनी लड़ाई लड़ रहे थे। सेना मे उनको अलग किया और पूछा, “तुम लोग क्यों लड़ रहे हो?”
उन्होंने कहा, “हम दोनों एक-दूसरे के दुश्मन हैं। उस समय तक लड़ते रहेंगे जब तक जिन्दा है।”
सेना ने कहा, “बाकी लोग कहाँ चले गये?”
उन्होंने बताया, “बाकी लोग भी एक-दूसरे के खून के प्यासे थे। वे आपस में लड़ते रहे, लड़ते रहे, लड़ते रहे और सब लड़ते-लड़ते मर गये।
इतना कहकर वे दोनों फिर लड़ने लगे।
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पानी-पानी
[1]
कुछ अनजाने कारणों से देश का पानी बदल गया है। इसमें तेजाब के गुण पैदा हो गये हैं। लोग राहगीरों, मेहमानों, दोस्तों, संबंधियों को यही पानी पिलाते हैं और यह पानी पीकर लोगों में एक नये प्रकार की ऊर्जा आ जाती है। वे प्रसन्न होकर एक-दूसरे से लिपट जाते हैं और फिर उनमें से केवल एक ही जिंदा बचता है।
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2
हमारे प्यारे देशवासी लम्बे समय से यह इच्छा रखते थे कि उनकी एक से घृणा करने की ताकत बढ़े। उन्होंने इस संबंध में बहुत कोशिशें की थीं। अब उनका काम इस पानी ने आसान कर दिया है। यह पानी पीने के बाद और कुछ पिये बिना घृणा इतनी बढ़ जाती है कि हर आदमी एक-दूसरे से घृणा करने लगता है।
3
यह पानी पीकर लोग अतीत को अच्छी तरह देख और समझ पाते हैं। सैकड़ों साल का इतिहास उनकी आँखों के सामने आ जाता है और वे उत्तेजित हो जाते हैं। घृणा और बदला लेने की भावना इतनी बढ़ जाती है कि वे आदमी-तो-आदमी ईंट-पत्थर को भी नहीं छोड़ते।
4
इस पानी ने उनके दिमाग पर बड़ा सार्थक प्रभाव डाला है। वे बिना पढ़े-लिखे विद्वान हो गये हैं। अब उन्हें कोई पढ़ा-लिखा या समझा-बुझा नहीं सकता। उन्हें सबसे बड़ा ज्ञान-घृणा ज्ञान मिल गया है। अध्यापक उनके सामने आने से डरते हैं। किताबें इधर-उधर छिप जाती हैं। उन्हें तो अब भाषा की कोई ज़रूरत नहीं है। भाषा कहीं मिल भी जाती है तो डंडे मारकर उसका वध कर देते हैं।
5
नये पानी के कारण उनके अन्दर साहस और वीरता भर गयी है। वे इतने वीर हो गये हैं कि संसार में कोई उनके बराबर नहीं है। वे बड़ी-से-बड़ी सेना को हरा सकते हैं। पूरा विश्व जीत सकते हैं। शक्तिशाली मिसाइलों, एटम बम और युद्धपोतों से किसी भी देश को ध्वस्त कर सकते हैं। पर पहले वे अपनी वीरता का प्रयोग पड़ोसियों पर ही कर रहे हैं।
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