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Prabhat Ranjan

‘बनमाली गो तुमि पर जनमे होइयो राधा’

  गरिमा श्रीवास्तव प्रोफ़ेसर हैं और बहुत अच्छी लेखिका हैं. यह उनके इस यात्रा वृत्तान्त को पढ़ते हुए अहसास होता है. क्रोएशिया का यह यात्रा वृत्तान्त रचनात्मक गद्य का एक शानदार नमूना है. पढियेगा- मॉडरेटर  ==========  दिल्ली से मास्को की हवाई यात्रा बहुत सुखद नहीं रही है, शेरमेट हवाई अड्डे पर …

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पुरानी लुगदी, नया पॉपुलर और सोशल मीडिया

‘आजकल’ पत्रिका के जुलाई अंक में मेरा यह लेख प्रकाशित हुआ है जो सोशल मीडिया के बहाने हिंदी के नए बनते पॉपुलर साहित्य कि पड़ताल करता है- मॉडरेटर  ============================================ हिंदी में सोशल मीडिया, विशेषकर फेसबुक को लेकर दो तरह के विचार सक्रिय हैं- एक तरफ ऐसे लोग हैं जिनका यह …

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पुरस्कृत उपन्यास ‘डार्क हॉर्स’ का एक अंश

2016 का युवा साहित्य अकादेमी पुरस्कार नीलोत्पल मृणाल के उपन्यास ‘डार्क हॉर्स’ को दिया गया है. यह युवा रचनाशीलता के लिए बहुत बड़ी घटना है. एक अनाम से प्रकाशन शब्दारम्भ से प्रकाशित एक लगभग गुमनाम से लेखक की किताब को पुरस्कृत किया जाना संस्थाओं के ऊपर भरोसा बढाने वाला है. …

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‘धनक’ में जीवन का इन्द्रधनुष है

‘उड़ता पंजाब’ के हल्ले में नागेश कुकनूर की फिल्म ‘धनक’ की चर्चा ही नहीं हुई. आज लेखक रवि बुले की समीक्षा पढ़ते हैं फिल्म ‘धनक’ पर- मॉडरेटर  ============================= —-हैदराबाद ब्लूज (१९९८), इकबाल (२००५) और डोर (२००६) जैसी फिल्में बनाने वाले नागेश कुकुनूर एक बार फिर रंगत में हैं। धनक का …

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उड़ते-उड़ते इस फिल्म की जान भी उड़ गयी

‘उड़ता पंजाब’ फिल्म को लेकर लोगों ने ऐसे लिखा जैसे सोशल एक्टिविज्म कर रहे हों. फिल्म का ठीक से विश्लेषण बहुत कम लोगों ने किया. युवा लेखिका अणुशक्ति सिंह ने एक बहुत चुटीली समीक्षा लिखी है इस फिल्म की. पढ़िए- मॉडरेटर  =================== पाकिस्तान से गोले उड़े कि हिंदुस्तान मे गर्द …

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क्रूरता क्या बीमारी है?

आज जाने माने लेखक, पत्रकार, कार्टूनिस्ट राजेंद्र धोड़पकर का लेख आया है ‘दैनिक हिन्दुस्तान’ में .क्रूरता के मनोविज्ञान को लेकर. बहुत बढ़िया है- मॉडरेटर  ====================================== जब भी कोई आतंकवादी वारदात होती है और बड़े पैमाने पर बेकसूर लोग मारे जाते हैं, तो एक सवाल सबके दिमाग में आता है कि …

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बुजुर्गों की अहमियत का संदेश फिल्म ‘रूई का बोझ’

चंद्रकिशोर जायसवाल के उपन्यास ‘गवाह गैरहाजिर’ पर सुभाष अग्रवाल ने एक फिल्म बनाई थी रुई का बोझ’. उसी फिल्म पर सैयद एस. तौहीद का लेख- मॉडरेटर================================= आज संयुक्त परिवार एवं उससे जुड़ी मान्यताओ में तेजी से विघटन हो रहा है. जीवनकाल का चार अवस्थाओं में बंटवारा बेमानी सा होता जा रहा है. …

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स्वप्निल तिवारी की ग़ज़लें

कुछ लोग बंधे बंधाये मीटर में ग़ज़लें लिखते हैं, कुछ उस मीटर में भाषा को बदल कर उसे ताज़ा बना देते हैं. स्वप्निल तिवारी की ग़ज़लें ऐसी ही हैं. उनका एक ग़ज़ल संग्रह है ‘चाँद डिनर पर बैठा है‘. कुछ ग़ज़लें उसी संग्रह से से. उम्मीद करता हूँ कि आपको …

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सत्यानंद निरुपम से बातचीत

सत्यानंद निरुपम से आप असहमत हो सकते हैं, उससे लड़ सकते हैं लेकिन आप उसको खारिज नहीं कर सकते. वह हिंदी संपादन में न्यू एज का प्रतिनिधि है, कुछ लोग नायक भी कहते हैं. लेकिन हिंदी पुस्तकों की दुनिया की बंद गली के आखिरी मकान का दरवाजा खोलने और ताजा …

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अब्बास से जुडी उनके नवासे मंसूर रिजवी की यादें

कल ख्वाजा अहमद अब्बास का जन्मदिन था. आज उनसे जुड़ा एक रोचक संस्मरण. प्रस्तुति सैयद एस. तौहीद की है- मॉडरेटर  ============ मेरी परवरिश बंबई के उसी घर में में हुई,जहां बाबा रहा करते थे। अब्बास साहब को हम मुहब्बत से ‘बाबा’ ही पुकारा करते थे। जुहु के उनके मकान में …

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