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Prabhat Ranjan

यात्राओं का स्मरण : पृथ्वी गंधमयी तुम

वरिष्ठ लेखक-पत्रकार अनुराग चतुर्वेदी का यात्रा-संस्मरण प्रकाशित हुआ है ‘पृथ्वी गंधमयी तुम’। राधाकृष्ण प्रकाशन से प्रकाशित इस किताब पर युवा शोधार्थी नीरज की यह टिप्पणी पढ़िए- ====================== अंग्रेज़ी की साहित्यिक विधा ट्रैवलॉग (travelogue) के लिए हिंदी में अनेक पदों का प्रयोग किया जाता रहा है। यात्रा-वृत्तांत, यात्रा-आख्यान, यात्रा-वृत्त, यात्रा-संस्मरण आदि। …

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जी का था ख़याल तो काहे जी लगाया

सुहैब अहमद फ़ारूक़ी पेशे से पुलिस अधिकारी हैं मिज़ाज से शायर। लेकिन आज उनका यह चुटीला लेख पढ़िए- ======================= ‘जी का बुरा हाल है जब से जी लगाया तुझे जी में बसाया तेरे हो लिए जी का था ख़याल तो काहे जी लगाया मुझे जी में बसाया ए जी बोलिये …

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सीमा भारद्वाज की कहानी ‘चदरिया झीनी रे झीनी’

आज पढ़िए सीमा भारद्वाज की कहानी, ट्विटर पर जौनसी नाम से ट्विटर हैंडल चलाती हैं, जो शेर-शायरी के दीवानों के बीच बहुत लोकप्रिय है। आज उनकी एक छोटी सी कहानी पढ़िए- ==================== रेखा रामफूल, राजकुमारी शेरसिंह, प्रीति जयनारायण केंद्रीय कन्या विद्यालय की पाँचवी क्लास की क्लास टीचर मूर्ति मैडम नाम …

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किरण सिंह के कथा-संग्रह ‘यीशु की कीलें’ की समीक्षा

किरण सिंह के कहानी संग्रह ‘यीशु की कीलें’ की कहानियों को पढ़कर युवा कवि लेखक यतीश कुमार ने इतनी अच्छी काव्यात्मक समीक्षा की है कि किताब पढ़ने का मन हो आया। आप तब तक यह समीक्षा पढ़िए मैं ‘यीशु की कीलें’ ऑर्डर करने जा रहा हूँ- प्रभात रंजन ========================   …

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उजड़े हुए लोगों के उजड़ते रहने की दास्तान है ‘दातापीर’

अभी हाल में ही ‘कथाक्रम’ सम्मान की घोषणा हुई है। इस बार यह सम्मान हृषीकेश सुलभ को दिए जाने की घोषणा हुई है। उनके नए उपन्यास ‘दाता पीर’ पर यह टिप्पणी लिखी है युवा शोधार्थी महेश कुमार ने। राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित इस उपन्यास की समीक्षा आप भी पढ़ सकते …

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कॉलेज में कई जीवन वर्ष: विजया सती

हिंदू कॉलेज में दशकों हिंदी पढ़ाने वाली डॉक्टर विजया सती जी शिक्षा-जगत से जुड़े अपने अनुभवों को संस्मरण के रूप में दर्ज कर रही हैं। आज उसकी तीसरी कड़ी पढ़िए- ===================== भूलचूक होती हैं – सुधार लें संवार ले .. क्या ही बात हो! पिछली बार मैं अपने गुरुजनों में …

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प्रियंका ओम की कहानी ‘रात के सलीब पर’

आज पढ़िए युवा लेखिका प्रियंका ओम की कहानी ‘रात के सलीब पर’। एक अलग तरह की पृष्ठभूमि की यह कहानी बेहद पठनीय है और रोचक भी- ===================== शहर से दूर पश्चिमी तट पर संपर्क तंत्र से रहित, लम्बे ताड़ दरख्तों से घिरा यह पोशीदा ज़ज़ीरा बुजदिला वास्ते बहिश्त है। शोर-शराबे …

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गुमनाम लेखक की डायरी: 5: विमलेश त्रिपाठी

युवा कवि विमलेश त्रिपाठी का यह स्तम्भ एक लम्बे अंतराल के बाद फिर से शुरु हो रहा है। लेखक की स्मृतियों में उसका जीवन कैसा होता है, विमलेश त्रिपाठी ने बड़ी सहजता से लिखा है- छूट गए समय की पहिलौंठी स्मृतियाँ – एक पहली घटना जो जेहन में है वह …

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मराठी के चर्चित लेखक विश्वास पाटिल के उपन्यास ‘दुड़िया’ का एक अंश

मराठी के प्रतिष्ठित और बहुचर्चित उपन्यासकार विश्वास पाटिल का नया उपन्यास दुड़िया हाल में राजकमल प्रकाशन से आया है। उपन्यास की पृष्ठभूमि छत्तीसगढ़ का नक्सल संकट है। वहां के ग्रामीणों का जीवन और उनके बीच की एक युवती दुड़िया की कहानी। ज्ञानपीठ और साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित लेखक दामोदर …

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आश्रम से बाहर जिन्दगी: विजया सती

दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज की पूर्व प्राध्यापिका ने विजया सती आजकल संस्मरण लिख रही हैं। उनके संस्मरण का पहला अंश हम जानकी पुल पर पढ़ चुके हैं जो आश्रम के जीवान को लेकर था। इस बार उन्होंने आश्रम के बाहर के जीवन को लेकर लिखा है। तत्कालीन शिक्षा पद्धति …

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