फिल्मों को लेकर सोशल मीडिया पर भी आम तौर पर महानगरों के दर्शकों की प्रतिक्रियाएं ही आ पाती हैं. हम छोटे शहरों के दर्शकों की राय तक नहीं पहुँच पाते. ‘तनु वेड्स मनु’ पर आज पटना में रहने वाले सुशील कुमार भारद्वाज की टिप्पणी छोटे शहर के दर्शक की प्रतिक्रिया …
Read More »काजी नजरुल इस्लाम के गाँव की खबर
लेखक संजय कृष्ण ने काजी नजरुल इस्लाम के गाँव, उनके जन्मस्थान के ऊपर यह अच्छा वृत्तान्त लिखा है. आप भी पढ़िए- मॉडरेटर ======================= क्रांतिधर्मी और विद्रोही कवि काजी नजरूल इस्लाम का गांव चुरुलिया आज भी वही हैं, जहां वह एक शताब्दी पहले था। पं. बंगाल के आसनसोल सब डिविजन …
Read More »हम ऐसी कुल किताबें काबिले-ज़ब्ती समझते हैं
वह एक भरपूर बौद्धिक शाम थी. सच बताऊँ तो जबसे हिंदी में सेलिब्रिटी लेखकों का दौर चला है, पौपुलर-शौपुलर का जोर बढ़ा है हिंदी के मंचों से जैसे बौद्धिकता की विदाई ही हो गई है. आप किसी प्रोग्राम में चले जाइए आह-आह, वाह-वाह ही होता रह जाता है. लेकिन उस …
Read More »दिनकर की किताब ‘लोकदेव नेहरु’ के 50 साल
‘लोकदेव नेहरु’ के प्रकाशन का यह 50 वां साल है. मुझे आश्चर्य होता है कि इस किताब की तरफ नेहरु की मृत्यु की अर्धशताब्दी के साल कांग्रेस पार्टी का ध्यान भी नहीं गया. जबकि यह दिनकर जी की सबसे अच्छी पुस्तकों में ही. दुर्भाग्य है कि जो दिनकर के आलोचक …
Read More »कविताएं सीत मिश्र की
आज कविताएं सीत मिश्र की. कविताओं में कच्चापन हो सकता है दिखाई दे मगर अनुभव सघन हैं. सोंधापन है भाषा में, अच्छी कवयित्री बनने की सम्भावना पूरी है. आप भी पढ़िए- मॉडरेटर ============================================================ 1. प्रेम प्रेम की नई परिभाषा गढ़ी थी उसने साथ रहना, सोना, खाना-पीना प्रेम नहीं दैनिक जीवन …
Read More »यह शिक्षा के नए पंथ में ढलने का दौर है!
दक्षिणपंथ की सरकार जब भी केंद्र में आती है तब वह शिक्षा में आमूलचूल परिवर्तन करने में लग जाती है. एक बार फिर ऐसी आशंका लग रही है. युवा शिक्षाशास्त्री कौशलेन्द्र प्रपन्न का एक सुचिंतित लेख- मॉडरेटर ================================================================== शिक्षा समितिओं और आयोगों की सिफारिशों और नीतियों को समय समय पर …
Read More »‘मम्मा की डायरी के बहाने’ एक अलग तरह का प्रोग्राम
सभी मम्माओं-पापाओं को यह सूचित किया जाता है कि आज शाम 6.30 बजे इण्डिया हैबिटेट सेंटर के कैजुरिना हॉल में अनु सिंह चौधरी की किताब ‘मम्मा की डायरी’ के बहाने कुछ पैरेंटिंग के अनुभवों को साझा करने-सुनने का मौका है. एक अलग तरह की दुनिया का यह अलग तरह का …
Read More »मंटो के जीवन और लेखन पर बनी फिल्म ‘मुफ्तनोश’ के 60 साल
सैयद एस. तौहीद फिल्मों के बारे में एक से एक जानकारी खोज निकालते हैं. मंटो के जन्म के महीने में ‘मुफ्तनोश’ नामक एक फिल्म के बारे में उन्होंने लिखा है जिसमें मंटो के जीवन को आधार बनाया गया है. बहुत दिलचस्प. आप भी पढ़िए- मॉडरेटर ======================== ‘मुफ़्तनोशी की तेरह किस्मे‘ …
Read More »भरम हैं रास्ते, चौराहे सत्य और नित्य हैं
कविताएं बहुत लिखी जा रही हैं- यह कहने का मतलब यह नहीं है कि अच्छी कविताएं नहीं लिखी जा रही हैं. आज भी ऐसी कविताएं लिखी जा रही हैं, नए कवि भी लिख रहे हैं, जिनमें कविता का मूल स्वभाव बचा हुआ है, झूठमूठ की बयानबाजी या नारेबाजी नहीं है. …
Read More »सांसद एक सामान्य व्यक्ति की तरह क्यों नहीं रह सकता- हरिवंश
प्रसिद्ध पत्रकार हरिवंश को राज्यसभा में आये एक साल से अधिक हो गया है. उन्होंने अपने अनुभवों को साझा किया है. प्रस्तुति युवा पत्रकार निराला की है. ========================================================= पत्रकार हरिवंश को पढ़ते रहनेवाले, करीब से जाननेवाले जानते रहे हैं कि राजनीति उनके रग-रग में है. झारखंड को केंद्र बनाकर …
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