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Prabhat Ranjan

सांसद एक सामान्य व्यक्ति की तरह क्यों नहीं रह सकता- हरिवंश

 प्रसिद्ध पत्रकार हरिवंश को राज्यसभा में आये एक साल से अधिक हो गया है. उन्होंने अपने अनुभवों को साझा किया है. प्रस्तुति युवा पत्रकार निराला की है.  =========================================================   पत्रकार हरिवंश को पढ़ते रहनेवाले, करीब से जाननेवाले जानते रहे हैं कि राजनीति उनके रग-रग में है. झारखंड को केंद्र बनाकर …

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“स्वतंत्रता” शब्द गुलामी से उपजता है!

आज सुबह एक अच्छी और सार्थक बातचीत पढ़ी. गीताश्री हमारे समय की एक महत्वपूर्ण कथाकार हैं, पत्रकार हैं. उनकी यह बातचीत ‘अर्य सन्देश’ नामक पत्रिका में छपी है. बिहार झारखण्ड मूल की स्त्री कथाकारों पर केन्द्रित पत्रिका के इस अंक का सुघड़ संपादन किया है राकेश बिहारी ने. बातचीत की …

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कविता एवं कला महोत्सव, शिमला में मिलते हैं !

साहित्य-कला उत्सवों के दौर में यह अपने तरह का पहला आयोजन है-कविता एवं कला महोत्सव, शिमला. लिटरेचर फेस्टिवल्स के दौर में बिना किसी प्रयोजन के यह आयोजन सहभागिता के आधार पर है. जून का महीना शिमला में पीक टूरिस्ट सीजन होता है, ऐसे में 13-14 जून को वहां रहने और …

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सेल्फी के जमाने में ‘बॉलीवुड सेल्फी’

जब से फिल्म समीक्षक पी.आर. एजेंसी के एजेंट्स की तरह फिल्मों की समीक्षा कम उनका प्रचार अधिक करने लगे हैं तब से सिनेमा के शैदाइयों के फिल्म विषयक लेखन की विश्वसनीयता बढ़ी है. मुझे दिलीप कुमार पर लार्ड मेघनाथ देसाई की किताब अधिक विश्वसनीय लगती है या राजेश खन्ना की …

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दुख उतना ही गहरा हुआ जितना गहरा था प्रेम!

कहने को मृत्यु को लेकर कुछ नोट्स हैं, लेकिन जिंदगी के राग से गहरे सराबोर. मनीषा पांडे के इस लेखन को कविता कहें, डायरी कहें, नोट्स कहें या सब कुछ. असल में हर विधा की छाया है और एक नई विधा का उत्स भी. कई बार मुझे पढ़ते हुए कहानी …

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पता नहीं क्यों इधर दु:स्वप्न झूठे नहीं हो रहे हैं!

दिल्ली-मुम्बई जैसे महानगरों में कला संस्कृति का कारोबार बढ़ता जा रहा है लेकिन कलाकारों-संस्कृतिकर्मियों की अड्डेबाजी की जगहें कम होती जा रही हैं. मुंबई में ऐसा ही एक ठिकाना था समोवार कैफे, जिसके बंद होने पर बड़ा ही मार्मिक लेख लिखा है लेखक ओमा शर्मा ने. अब कितने लेखक कलाकार रह …

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अनुराग अन्वेषी की प्रेम कविताएं

आज कुछ कविताएं अनुराग अन्वेषी की. कविताओं में इस तरह की ऐन्द्रिकता कम हो गई है इन दिनों जैसी अनुराग जी की इन कविताओं में दिखाई दी. कविताओं में आजकल बयानबाजी बढ़ गई है मन की कोमल अभिव्यक्तियाँ कम होती गई हैं. अनुराग जी की कविताएं पढ़ते हुए इस ओर …

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यह साहित्य के भूकम्पोत्तर काल का आयोजन था!

बिहार में संपन्न हुए अखिल भारतीय कहा समारोह पर यह टिप्पणी पटना के युवा साहित्य प्रेमी, समीक्षक सुशील कुमार भारद्वाज ने लिखी है. ईमानदारी से अपने अनुभवों को बयान किया है- मॉडरेटर  ============================================================= बिहार में साहित्य के प्रति लोगों में गजब का जूनून देखने को मिलता है| इसका ताजा उदाहरण …

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संजीव के उपन्यास ‘फांस’ का अंश

कर्ज के जाल में फंसकर किसानों के मजदूर बनते जाने की पीड़ा को प्रेमचंद ने अपने उपन्यास ‘गोदान’ में उकेरा था. आज कर्ज के जाल में फंसकर किसान आत्महत्या कर रहे हैं तब संजीव का उपन्यास आ रहा है ‘फांस’. आज उसी बहुप्रतीक्षित उपन्यास का एक अंश, जिसको पढ़ते हुए …

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चेतन भगत अंग्रेजी साहित्य के ‘नच बलिये’ हैं!

इन दिनों चेतन भगत ‘नच बलिये’ के जज बनकर चर्चा में हैं. ट्विटर पर उनको लेकर चुटकुलों का दौर जारी है, पूर्व अभिनेत्री ट्विंकल खन्ना सार्वजनिक रूप से ट्विटर पर उनका मजाक उड़ा चुकी हैं. अपना मजाक उड़ाने वालों का मजाक उड़ाते हुए उन्होंने खुद ट्वीट किया है कि जो …

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