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Prabhat Ranjan

मनोहर श्याम जोशी से वह मेरी पहली मुलाकात थी

आज मनोहर श्याम जोशी जीवित होते तो 81 साल के होते. उनकी स्मृति को प्रणाम करता हूँ और उनके ऊपर लिखी जा रही अपनी किताब का एक अंश आपके लिए जो उनसे मेरी पहली मुलाकात को लेकर है- मॉडरेटर. ======================================================================= उदयप्रकाश ने एक दिन एक पतला-सा उपन्यास दिया ‘स्ट्रीट ऑफ …

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क्या सचमुच अच्छे अनुवादक नहीं हैं?

सी-सैट को समाप्त करने के लिए युवाओं के आन्दोलन के पीछे एक बड़ा तर्क अनुवाद के सम्बन्ध में दिया जा रहा है. जिस तरह की भाषा में प्रश्न पत्र का अनुवाद हो रहा है उसे खुद अनुवादक कैसे समझ लेता है यह दिलचस्प है. बहरहाल, इसी प्रसंग को ध्यान में …

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भयावह फिल्मों का अनूठा संसार

प्रचण्ड प्रवीर विश्व सिनेमा पर सीरिज लिख रहे हैं. यह दूसरी क़िस्त है ‘हॉरर’ फिल्मों पर. इस लेख में न सिर्फ कुछ महान हॉरर फिल्मों का उन्होंने सूक्ष्म विश्लेषण किया है बल्कि शास्त्रों के भयानक रस के आधार पर भी उन्हें देखने का प्रयास किया है. सिनेमा और रस सिद्धांत …

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प्राण के निधन के साथ हम सबका बचपन हमसे छिन गया

चाचा चौधरी, साबू, श्रीमती जी, पिंकी, चन्नी चाची और राका जैसे किरदारों के रचयिता कार्टूनिस्ट प्राण के जाने से हमारे बचपन का एक बड़ा हिस्सा हमसे जुदा हो गया. उनको याद करते, उनकी मुलाकातों को याद करते हुए युवा लेखक प्रचण्ड प्रवीर ने बहुत आत्मीय लेख लिखा है- मॉडरेटर. =================================================== …

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दलाल की बीवी की आंखें

कुछ लेखक परम्परा निर्वाह करते हुए लिखते हैं, कुछ अपनी परम्परा बनाने के लिए. रवि बुले ऐसे ही लेखक हैं. उनका पहला उपन्यास ‘दलाल की बीवी’ शीर्षक से चौंकाऊ लग सकता है, मगर यह संकेत देता है कि भविष्य के उपन्यास किस तरह के हो सकते हैं. पढ़ते हुए मुझे …

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कुछ इज़रायली कविताएँ प्रभात रंजन के अनुवाद में

इजरायल के कुछ कवियों की कविताओं के मैंने अनुवाद किये थे. आज उनमें से कुछ ‘दैनिक हिंदुस्तान’ में प्रकाशित हुए हैं. उनमें से दो प्रसिद्ध हैं येहूदा अमीखाई और हिब्रू भाषा की महान कवयित्री दहलिया रविकोविच की कविताएं यहाँ प्रस्तुत हैं- प्रभात रंजन ============================ येहूदा अमीखाई की कविताएं   जर्मनी …

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मुखौटा इंसान की सबसे बड़ी ज़रूरत है

कुछ कवि ऐसे होते हैं जिनको न ईनाम-इकराम मिलते हैं, न कविगण उनको अपनी जमात का मानते हैं, लेकिन इससे उनकी कविताओं की धार कम नहीं होती है. मुझे लगता है कि हिंदी कविता में आज अगर कुछ ताजगी नजर आती है तो ऐसे कवियों की कविताओं में ही. त्रिपुरारि …

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प्रेमचंद का ख़त सज्जाद जहीर के नाम

प्रेमचंद का यह पत्र सज्जाद ज़हीर के नाम है जिसमें प्रगतिशील लेखक संघ की बातें हो रही हैं. इसे हिंदी में  हमारे लिए पेश किया है सैयद एस. तौहीद ने- मॉडरेटर  ——————————————- डियर सज्जाद,   तुम्हारा खत मिला। मैं एक दिन के लिए ज़रा गोरखपुर चला गया था और वहां …

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भारतीय दृष्टिकोण से विश्व सिनेमा का सौंदर्यशास्त्र

युवा लेखक प्रचण्ड प्रवीर ने विश्व सिनेमा पर यह श्रृंखला शुरू की है. विश्व सिनेमा को समझने-समझाने की कोशिश में. मुझे नहीं लगता कि इस तरह से विश्व सिनेमा के ऊपर हिंदी में कभी लिखा गया है. सिनेमा के अध्येताओं और उसके आस्वादकों के लिए समान रूप से महत्व का. …

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राकेश तिवारी की कहानी ‘अंजन बाबू हँसते क्यों हैं’

80-90 के दशक में जब दिल्ली विश्वविद्यालय में पढता था तो जिन कथाकारों की कहानियां पढने में आनंद आता था उनमें एक राकेश तिवारी थे. मध्यवर्गीय जीवन के छोटे-छोटे प्रसंगों को लेकर कई कमाल की कहानियां लिखी उन्होंने. बीच में अपने लेखन को लेकर खुद लापरवाह हो गए. अभी दो …

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