Home / Prabhat Ranjan (page 232)

Prabhat Ranjan

येल्लो, येल्लो, हम न कहते थे!

‘सबलोग’ पत्रिका के नए अंक में ‘आम आदमी पार्टी’ की सीमाओं और संभावनाओं को लेकर कई महत्वपूर्ण लेख आए हैं। लेकिन सबसे जानदार है यह पत्र जो युवा आलोचक संजीव कुमार ने लिखा है। आप भी देखिये और बताइये है कि नहीं- प्रभात रंजन। ====================================== प्यारे अरविंद जी, जी हां, …

Read More »

किशोर चौधरी की कहानी ‘प्रेम से बढ़कर’

किशोर चौधरी की कहानियों ने पाठकों में खास पहचान बनाई है। हिन्दी युग्म से उनका नया कहानी संग्रह आ रहा है ‘धूप के आईने में’। उसी संग्रह से यह कहानी। किताब की प्री बुकिंग भी चल रही है। आप कहानी पढ़िये अच्छी लगे तो संग्रह की प्री बुकिंग के लिए …

Read More »

‘नीला आसमान’ वाया ‘दूसरी परंपरा’

‘दूसरी परंपरा’ पत्रिका ने अपने कुछ अंकों में नए रचनाकारों को सामने लाने का बढ़िया काम किया है। उसका प्रमाण है शोभा मिश्रा की यह कहानी, जो पत्रिका के नए अंक में आई है। परिवार, परिवार में महिलाओं का जीवन, उसके सपने, कहानी बहुत बारीकी से बुनी गई है। मुझे …

Read More »

कुछ कविताएं केदारनाथ सिंह के नए संग्रह से

हमारी भाषा के महान कवियों में एक केदारनाथ सिंह ने इस साल 80 वें साल में प्रवेश किया है, और इसी साल उनका 8 वां कविता संग्रह भी आया है- ‘सृष्टि पर पहरा’। वे आज भी बेहतरीन कविताएं लिख रहे हैं, इस संग्रह की कविताएं इसकी ताकीद करती हैं। कुछ …

Read More »

आपने ‘लूजर कहीं का’ पढ़ी है?

लूजर कहीं का– मैंने पढ़ा है इस उपन्यास को। बिहार से दिल्ली विश्वविद्यालय के नॉर्थ कैंपस आना, सपनों में खो जाना, सपने का टूटना। भाषा से लेकर कहानी तक सबमें ताजगी। कम से कम हम जैसे डीयू वालों के लिए तो मस्ट रीड है, सो भी मस्त टाइप- प्रभात रंजन  …

Read More »

ढो रहे हैं अपने पूर्वजों का रक्‍त और वीर्य

हाल में ‘तहलका’ में आए एक लेख के कारण हिन्दी में स्त्री विमर्श फिर से चर्चा में है। प्रसिद्ध रंगकर्मी, लेखिका विभा रानी का यह लेख हालांकि उस संदर्भ में नहीं लिख गया है लेकिन समकालीन स्त्री विमर्श को लेकर इस लेख में कई जरूरी सवाल उठाए गए हैं- जानकी …

Read More »

बिमल राय जैसा गैरमामूली फिल्मकार मर सकता है?

आज हिन्दी सिनेमा के मुहावरे को बदल कर रख देने वाले फ़िल्मकार बिमल राय की पुण्यतिथि है।युवा फिल्म समीक्षक सैयद एस॰ तौहीद ने अपने इस लेख में उनको याद करते हुए उनकी फ़िल्मकारी के कई ऐसे पहलुओं के बारे में लिखा है जिनके बारे में लोग कम जानते हैं- जानकी …

Read More »

आइंस्टीन का पत्र राष्ट्रपति रूज़वेल्ट के नाम

द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान आइंस्टीन द्वारा रूज़वेल्ट को लिखे गए इस पत्र को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। बाद में अपने इस पत्र को आइंस्टीन ने अपने जीवन की सबसे बड़ी गलती माना था। इस महत्वपूर्ण पत्र का अनुवाद हमारे लिए किया है युवा वैज्ञानिक मेहेरवान ने- जानकी पुल।  =============================================================== …

Read More »

जिंदगी अजीब है, मौत भी अजीब होती होगी

इस साल की पहली किताब मैंने पढ़ी ‘Lovers like You and I’. मीनाक्षी ठाकुर के इस उपन्यास ने बहुत प्रभावित किया। एक अच्छी प्रेमकथा की तरह इसमें प्रेम की गहरी तड़प है। चिट्ठियों, कविताओं के सहारे लेखिका ने इसे प्रेम के संग्रहालय की तरह बना दिया। शब्दों का एक ऐसा …

Read More »

क्रांति-क्रांति-क्रांति, भ्रांति, भ्रांति, भ्रांति!

साहित्य में क्रांति-क्रांति करने वाले हिन्दी लेखक अक्सर सामाजिक क्रांतियों से दूर ही रहते आए हैं। आज ‘प्रभात खबर’ में प्रकाशित मेरा लेख- प्रभात रंजन  ================================ ‘वह (साहित्य) देशभक्ति और राजनीति के पीछे चलने वाली सच्चाई भी नहीं, बल्कि उनके आगे मशाल दिखाती हुई चलने वाली सच्चाई है’– प्रेमचंद द्वारा …

Read More »