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Prabhat Ranjan

‘अरे! तुम! उमराव जान अदा !’

रोहिणी अग्रवाल एक सजग आलोचक और संवेदनशील कथाकार हैं. उनके इस लेख में उनके लेखन के दोनों रूप मुखर हैं. आप भी पढ़िए- जानकी पुल. ================================= हर चैनल पर आनंद से उमगते मनचलों की भीड़ है जो डांस क्लबों में बार डांसर्स के दोबारा लौट आने की खबर से बाग–बाग …

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दबाव आप पर तब नहीं, अब आया है

‘लमही सम्मान’ के सम्बन्ध में सम्मान के संयोजक और ‘लमही’ पत्रिका के संपादक विजय राय द्वारा यह  कहे जाने पर कि 2012 के सम्मान के निर्णय में निर्णायक मंडल से चूक हुई, सम्मानित लेखिका मनीषा कुलश्रेष्ठ ने अपना सम्मान वापस कर दिया. अब उस सम्मान के संबंध में महेश भारद्वाज, …

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मनीषा कुलश्रेष्ठ की कहानी ‘मौसमों के मकान सूने हैं’

मनीषा कुलश्रेष्ठ हमारी भाषा की एक ऐसी लेखिका हैं जिनको पाठकों और आलोचकों की प्रशंसा समान रूप से मिली हैं. उनकी एक नई कहानी, जो हाल में ही एक समाचार पत्रिका ‘आउटलुक’ में छपी थी- जानकी पुल.  =============  इस बार वह इस मसले पर एकदम गंभीर थी. दिन भी बरसता – …

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संवाद और संवेदना की रेसिपी और लंचबॉक्स

यह सिर्फ ‘लंचबॉक्स‘ फिल्म की समीक्षा नहीं है. उसके बहाने समकालीन मनुष्य के एकांत को समझने का एक प्रयास भी है. युवा लेखिका सुदीप्ति ने इस फिल्म की संवेदना को समकालीन जीवन के उलझे हुए तारों से जोड़ने का बहुत सुन्दर प्रयास किया है. आपके लिए- जानकी पुल. =========================================== पहली …

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शैलप्रिया की कविताएँ

आज शैलप्रिया जी की कविताएँ प्रियदर्शन की भूमिका के साथ- जानकी पुल. ================================================== 18 साल पहले मां नहीं रही। तब वह सिर्फ 48 साल की थी। तब समझ में नहीं आता था, लेकिन आज अपनी 45 पार की उम्र में सोचता हूं, वह कितना कम जी सकी। हालांकि वह छोटा …

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एक गरिमामयी पुरस्कार की शुरुआत

शैलप्रिया स्मृति सम्मान एक दिसंबर 1994 को झारखंड की सुख्यात कवयित्री और स्त्री-संगठनों से जुड़ी सामाजिक कार्यकर्ता शैलप्रिया का कैंसर की वजह से देहांत हो गया। तब वे 48 साल की थीं। उनके अपनों, और उनके साथ सक्रिय समानधर्मा मित्रों और परिचितों का एक विशाल परिवार है जो यह महसूस …

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कोफ़ी अवूनोर को श्रद्धांजलि स्वरुप उनकी एक लम्बी कविता हिंदी में

हाल में नैरोबी में हुए आतंकी हमले में घाना के कवि कोफ़ी अवूनोर भी मरने वालों में थे. उनकी एक लम्बी कविता का हिंदी अनुवाद किया है युवा कवि त्रिपुरारि कुमार शर्मा ने. जानकी पुल की तरफ से उस कवि को श्रद्धांजलि स्वरुप- जानकी पुल.================================ कोफी अवूनोर की कविता यह पृथ्वी, …

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दूर एक चोटी है हर रोज़ उसे मैं यूँ ही ताकती हूँ

आज युवा कवयित्री प्रकृति करगेती की कविताएँ. इनको पढ़ते हुए लगता है कि समकालीन कविता की संवेदना ही नहीं भाषा भी कुछ-कुछ बदल रही है-जानकी पुल. ========================================== कंकाल एक कंकाल लिए चल देते हैं हर ऑफिस में। कंकाल है रिज्यूमे का। हड्डियों के सफ़ेद पन्नों पे कुछ ख़ास दर्ज है …

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मैं क्षमापूर्वक ‘ लमही सम्मान -2013 ‘ लौटाने की घोषणा करती हूं- मनीषा कुलश्रेष्ठ

‘लमही सम्मान 2013’ के संयोजक के आपत्तिजनक बयान के बाद हमारे समय की महत्वपूर्ण लेखिका मनीषा कुलश्रेष्ठ ने लेखकीय गरिमा के अनुरूप उचित कदम उठाते हुए ‘लमही सम्मान’ को वापस करने का निर्णय लेते हुए ‘लमही सम्मान 2013 के आयोजक के नाम यह पत्र लिखा है. उनके भेजे हुए इस …

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मैं औरत हूँ एक जिसके दिल में समय थम सा गया है

निजार कब्बानी की कुछ कविताओं के बहुत आत्मीय अनुवाद कवयित्री-कथाकार अपर्णा मनोज ने किये हैं. कुछ चुने हुए अनुवाद आपके लिए- मॉडरेटर. =============================  निज़ार को पढ़ना केवल डैमस्कस को पढना नहीं है या एक देश की त्रासदी को पढना भी  नहीं -यह हर अकेले व्यक्ति की मुक्ति की जिजीविषा का …

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