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Prabhat Ranjan

साहित्य एक टक्कर है। एक्सीडेंट है।

प्रसिद्ध आलोचक सुधीश पचौरी ने इस व्यंग्य लेख में हिंदी आलोचना की(जिसे मनोहर श्याम जोशी ने अपने उपन्यास ‘कुरु कुरु स्वाहा’ में खलीक नामक पात्र के मुंह से ‘आलू-चना’ कहलवाया है) अच्छी पोल-पट्टी खोली है. वास्तव में रचनात्मक साहित्य की जमीन इतनी बदल चुकी है कि हिंदी आलोचना की जमीन …

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उनके गीत कभी पुराने नहीं पड़े

शमशाद बेगम को श्रद्धांजलि देते हुए प्रसिद्ध लेखक-पत्रकार प्रियदर्शन का यह लेख उनकी गायकी के महत्व को रेखांकित करता है. प्रियदर्शन ने यह लेख ख़ास तौर पर जानकी पुल के लिए लिखा है, जानकी पुल उनके प्रति आभार व्यक्त करता है- जानकी पुल. =================================== आम तौर पर हिंदी फिल्मों में …

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शायक आलोक की कविताएं

शायक आलोक का नाम आते ही कई विवाद याद आते हैं. शायद उसे विवादों में रहना पसंद है. लेकिन असल में वह एक संजीदा कवि का नाम है. आज उसकी कुछ कवितायेँ- जानकी पुल. ============================================================= 1. दुनिया की तमाम भाषाओं से इतर तुम्हारे रुदन के विस्फोट को तारी कर आओ …

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कवि-लेखक टेलर मास्टर नहीं होते

वरिष्ठ कवि-आलोचक विष्णु खरे की कोई टिप्पणी बहुत दिनों बाद पढ़ने को मिली. यह लेख उन्होंने ‘फॉर अ चेंज’ किसी तरह के वाद-विवाद फैलाने की मंशा से नहीं लिखा है बल्कि आगामी चुनावों में लेखकों की सक्रिय भूमिका का आह्वान करते हुए लिखा है. खरे साहब की अपनी शैली है, …

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मुझे पागल तो नहीं कहोगी न?

आज लाल्टू की कविताएँ. वे हमारे दौर के ऐसे कवि हैं जो बेहद ख़ामोशी से सृजनरत रहते हैं. प्रतिबद्ध हैं लेकिन अपनी प्रतिबद्धता का नगाड़ा नहीं पीटते. एक विनम्र कवि की कुछ चुनी हुई कविताएँ आज आपके लिए- जानकी पुल. =======  क कथा क कवित्त क कुत्ता क कंकड़ क कुकुरमुत्ता.  कल भी क …

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क्या आलोचना अपने संतुलन का विवेक खो रही है?

युवा लेखक-आलोचक राकेश बिहारी ने हिंदी आलोचना की ‘आलोचना’ की है. आप उनसे सहमत हो सकते हैं असहमत हो सकते हैं, लेकिन बहस के कुछ बिंदु तो उन्होंने इस लेख में उठाये ही हैं- जानकी पुल. ================================================================ बहुत दिन नहीं बीते हैं जब एक पत्रिका में प्रकाशित एक कवर स्टोरी …

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आगबबूला और झागबबूला

विनोद खेतान की किताब ‘उम्र से लंबी सड़कों पर’ की समीक्षा कुछ दिनों पहले प्रियदर्शन ने लिखी थी, जिसके बहाने उन्होंने गुलजार का गीतकार के रूप में एक मूल्यांकन भी करने की कोशिश की थी. उसका एक प्रतिवाद कल ‘जनसत्ता’ में निर्मला गर्ग का छपा था. यह प्रियदर्शन का जवाब …

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नामवर सिंह की कविताएँ

हाल में ही राजकमल प्रकाशन से एक किताब आई है ‘प्रारंभिक रचनाएं’, जिसमें नामवर सिंह की कुछ शुरूआती रचनाओं को संकलित किया गया है. संपादन भारत यायावर ने किया है. उसमें नामवर जी की कुछ आरंभिक कविताएँ भी हैं. उसी में से कुछ चुनी हुई कविताएँ आपके लिए- जानकी पुल. ==================================================  …

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दिल ये कहता है कोई याद शहर बाक़ी है

युवा लेखक त्रिपुरारि कुमार शर्मा ने नीलेश मिश्रा के ‘याद शहर’ की एक अच्छी समीक्षा लिखी है. आप भी पढ़िए शायद अच्छी लगे- जानकी पुल. ========================= मशहूर विचारक ‘बेकन’ का कथन है, “कुछ किताबें चखने के लिए होती हैं, कुछ निगल जाने के लिए। और कुछ थोड़ी-सी चबाने और पचाने …

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फणीश्वरनाथ रेणु का दुर्लभ रिपोर्ताज ‘जय गंगा!’

महान गद्यकार फणीश्वर नाथ रेणु जी का यह दुर्लभ रिपोर्ताज जय गंगा   प्रस्तुत है- जो रेणु रचनावली में भी उपलब्ध नहीं है- रेणु साहित्य के अध्येता श्री अनंत ने अपनी साईट www.phanishwarnathrenu.com पर इसे  प्रस्तुत किया है- इसकी ओर हमारा ध्यान दिलाया पुष्पराज जी ने- सबका आभार—– जानकी पुल   ————————————————————————————————————— …

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