उदय प्रकाश का उपन्यास ‘पीली छतरी वाली लड़की’ पुराना है, लेकिन सुशीला पुरी ने उसके ऊपर बेहद आत्मीय ढंग से, नए कोण से लिखा है. सोचा साझा किया जाए- जानकी पुल. ================================================== उदय प्रकाश जैसे विरल,विराट,विपुल,वैविध्य वाले रचनाकार पर कुछ लिख पाने की मेरी सामर्थ्य नहीं। मैं एक अदना सी …
Read More »पत्रकारिता की शिक्षा गैर-पत्रकार कैसे देते हैं?
कल ‘जनसत्ता’ संपादक ओम थानवी ने प्रेस परिषद के अध्यक्ष न्यायमूर्ति मार्कण्डेय काटजू के इस कथन के बहाने कि मीडिया में आने के लिए न्यूनतम योग्यता तय होनी चाहिए, मीडिया शिक्षा पर वाजिब सवाल उठाये हैं. ओम थानवी का यह लेख अपने अकाट्य तर्कों के साथ बेहब वाजिब सवाल उठाता है …
Read More »‘उम्र से लंबी सड़कों पर’ गुलजार
गुलजार के गीतों पर केंद्रित विनोद खेतान की पुस्तक आई है ‘उम्र से लंबी सड़कों पर’. इस पुस्तक के बहाने गुलजार के गीतों पर प्रियदर्शन का एक सधा हुआ लेख- जानकी पुल. ============================================= क्या फिल्मी गीतों को हम कविता या कला की श्रेणी में रख सकते हैं? प्रचलित तर्क कहता है …
Read More »मेरी उँगलियों को जुगनू पहनने पड़ते हैं: मीनाक्षी ठाकुर की कविताएँ
मीनाक्षी ठाकुर की कविताओं में जीवन के एकांत हैं, छोटे-छोटे अनुभव हैं और आकुल इच्छाएं. सार्वजनिक के निजी वृत्तान्त की तरह भी इन कविताओं को पढ़ा जा सकता है, ‘तुमुल कोलाहल कलह में’ ‘ह्रदय की बात’ की तरह- जानकी पुल. =============================== इन दिनों इन दिनों इतना आसान नहीं अँधेरे में …
Read More »भिखारी ठाकुर के गाँव से लौटकर
‘नंदीग्राम की डायरी’ जैसी मशहूर पुस्तक के लेखक पुष्पराज ने भोजपुरी ह्रदय सम्राट भिखारी ठाकुर के गाँव से लौटकर यह रिपोर्ताज लिखा. और क्या लिखा है साहब- जानकी पुल.====================================================आदरणीय भिखारी ठाकुर जी, आपके गाँव कुतुबपुर से लौटकर वापस आये एक माह पूरे हो गये हैं। आपके गाँव से लौटकर आपके …
Read More »पाइन को अंधेरे या मौत का चित्रकार कहा जाता था
आज जनसत्ता में प्रभाकर मणि तिवारी ने हम जैसे कलाज्ञान हीन लोगों को ध्यान में रखते हुए गणेश पाइन पर इतना अच्छा लिखा है कि पढ़ने के बाद से आप लोगों से साझा करने के बारे में सोच रहा था. अब सोचा कर ही दिया जाए. आम तौर पर इस …
Read More »‘दारा शिकोह’ पर एक दिलचस्प किताब.
दारा शिकोह इतिहास का एक ऐसा अभिशप्त चरित्र रहा है जिसको लेकर हिंदी में काफी लिखा गया है. एक नई किताब आई है ‘दारा शुकोह’ नाम से, प्रकाशक है हार्पर कॉलिंस. लेखक हैं नवीन पन्त. उसी किताब का एक अंश आज आपके लिए- जानकी पुल. ====================================== प्रारम्भिक वर्षों के दौरान …
Read More »मैं सोना चाहता हूँ थोड़ी देर सब भूलना चाहता हूँ
युवा कविता में तुषार धवल की आवाज बेहद अलग है और अकेली भी. कविता के शिल्प और भाषा को लेकर तो वे लगातार प्रयोग करते रहते हैं. हर बार अक नया मुहावरा बनाते हैं फिर उसको तोड़ देते हैं. कंटेंट तो ‘पावरफुल’ होता ही है. इन दिनों वे लंबी कविताएँ …
Read More »महान नहीं लेकिन जरुरी लेखक हैं नरेन्द्र कोहली
नरेन्द्र कोहली को व्यास सम्मान मिलने पर मेरा यह लेख आज के ‘दैनिक हिन्दुस्तान’ में प्रकाशित हुआ है. नरेन्द्र कोहली कोई महान लेखक नहीं हैं लेकिन एक जरुरी लेखक जरुर हैं. ऐसा मेरा मानना है- प्रभात रंजन =============== नरेन्द्र कोहली को वर्ष 2012 का व्यास सम्मान दिया गया …
Read More »बन के सब चिल्ला पड़े- धिक्-धिक् है यह कौन!
नामवर सिंह की हस्तलिपि में मैंने पहली बार कुछ पढ़ा. रोमांच हो आया. इसका शीर्षक भले ‘एक स्पष्टीकरण’ है, लेकिन ऐसा लगता नहीं है कई यह किसी के लिखे विशेष के सन्दर्भ में दिया गया स्पष्टीकरण है. आप सब पढ़िए और निर्णय कीजिये- प्रभात रंजन. (नोट- साथ में, मूल पत्र …
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