Home / Prabhat Ranjan (page 258)

Prabhat Ranjan

वे कहानियां नहीं हुई होती अगर मैं स्त्री नहीं होती

युवा लेखिका कविता का समकालीन हिंदी कथाकारों में अपना खास मुकाम है. उनके आत्मकथ्य के माध्यम से उनके कथा-संसार की रोचक यात्रा पर निकलते हैं- जानकी पुल. ================================================ बात अपनी एक कहानी की कुछ पंक्तियों से ही शुरु करती हूं – ” कुछ अपना बिल्कुल अपना रचने का अहसास औरतों …

Read More »

ओ प्यारी मलाला हम बड़े रंज में हैं

मलाला युसुफजई का नाम आज पकिस्तान में विरोध का प्रतीक बन चुका है. हिंदी की कवयित्री अनीता भारती ने उनके विद्रोह, संघर्ष को सलाम करते हुए कुछ कविताएँ लिखी हैं. पढ़िए, सराहिये- जानकी पुल. 1. ओ सिर पर मंडराते गिद्धोंसुनो!अब आ गई तुम्हारे हमारे फैसले की घड़ीछेड़ी है तुमने जंगतुमने …

Read More »

स्त्रियां किसी भी कीमत पर प्रेम नहीं खोना चाहतीं

आज प्रीति चौधरी की कविताएँ. प्रीति की कविताएँ विमर्श करती बौद्धिक कविताएँ हैं. कई सन्दर्भों को एक अलग ढंग से देखते हुए, स्त्री-विमर्श को एक अलग ऐंगल से देखते हुए. पढ़िए उनकी चार कविताएँ- जानकी पुल. १. मेनोपॉज की दहलीज पर मेनोपॉज की दहलीज पर खड़ी उस प्रौढ़ औरत और …

Read More »

क्यों एक फ़िल्म ज़बरन कल्ट साबित होना चाहती है?

फ़िल्में आती हैं, हफ्ते-दो हफ्ते उनके ऊपर चर्चा होती है, फिर फिल्म विमर्शकार भी उस फिल्म को भूल जाते हैं और किसी अगली फिल्म के हो-हल्ले में लग जाते हैं. लेकिन असली मूल्यांकन तो वह होता है जो उस फिल्म के प्रचार-प्रसार, हो-हल्ले के थम जाने के बाद किया जाए. …

Read More »

का खाएँ का पिएँ का ले परदेस जाएँ

प्रसिद्ध आलोचक-अनुवादक गोपाल प्रधान ने यह लोक कथा भेजते हुए याद दिलाया की आज के सन्दर्भ में इसका पाठ कितना मौजू हो सकता है. सचमुच चिड़िया और दाना की यह कथा लगता है है आज के दौर के लिए ही लिखी गई थी- जानकी पुल. ==================================== एक चिड़िया को दाल …

Read More »

वरिष्ठ लेखकों की नजर में हिंदी का क्लासिक साहित्य

हिंदी साहित्य में क्लासिक की खोज में युवा लेखक-पत्रकार विनीत उत्पल ने हिंदी के कुछ प्रमुख लेखकों से बात की और यह जानने की कोशिश की कि आखिर उनकी नजर में कालजयी कृतियाँ कौन-सी हैं.  उदय प्रकाश, राजेंद्र यादव, निर्मला जैन, काशीनाथ सिंह, विश्वनाथ त्रिपाठी, चित्रा मुद्गल और देवेन्द्र राज …

Read More »

उन्होंने कर्नाटक के कस्बों से मालगुड़ी का निर्माण किया

मैसूर में अंग्रेजी के प्रमुख लेखक आर.के. नारायण के घर को स्मारक बनाने का निर्णय हुआ तो कन्नड़ के  अनेक प्रमुख लेखकों ने उसका विरोध करना शुरु कर दिया. उनका कहना है कि आर. के. नारायण अंग्रेजी के लेखक थे कन्नड़ के नहीं, इसलिए कर्नाटक में उनका स्मारक नहीं बनना …

Read More »

तुषार धवल की कविता ‘सुनती हो सनी लियॉन’

तुषार धवल की कई कविताओं में समकालीन समय का मुहावरा होता है. अपने दौर के कवियों में कविता के विषय, काव्य रूपों को लेकर जितने प्रयोग तुषार ने किए हैं शायद ही किसी कवि ने किए हैं. पढ़िए उनकी एकदम ताजा कविता- मॉडरेटर . ===================== सुनती हो सनी लियॉन ? …

Read More »

वे व्यवस्थित और कलात्मक ढंग से हिन्दी का नाश करते हैं

युवा विमर्शकार, ब्लॉगर विनीत कुमार का यह लेख इस सवाल के जवाब से शुरु हुआ कि आखिर हिंदी के भविष्य को लेकर किए जाने वाले आयोजनों में युवा लेखकों को क्यों नहीं बुलाया जाता है, लेकिन उन्होंने बड़े विस्तार से हिंदी के वर्तमान परिदृश्य और युवा लेखन के अपने अंतर्विरोधों …

Read More »

ई-चरखे पर सूत कातते गाँधी

हाल में ही मुंबई में ‘एटर्नल गाँधी’ शीर्षक से प्रदर्शनी लगी थी. आज बापू के जन्मदिन पर उसी प्रदर्शनी के बहाने गांधी को याद कर रहे हैं कवि-संपादक निरंजन श्रोत्रिय– जानकी पुल.=================================================          पिछले दिनों मुंबई में एक “अद्भुत” प्रदर्शनी देखने का अवसर मिला! फ़ोर्ट एरिया के …

Read More »