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Prabhat Ranjan

अनुवाद की बदहाली का कारण सिर्फ कम मेहनताना नहीं, विशेषज्ञता की कमी भी

हिंदी में अनूदित साहित्य का विस्तार हुआ है. बड़े पैमाने पर विश्व साहित्य हिंदी में लगतार उपलब्ध हो रहा है. लेकिन अनुवाद का स्तर, उसके लिए मिलने वाला मेहनताना जैसे मुद्दे लगातार विवाद के विषय रहे हैं. स्वतंत्र मिश्र की यह ‘स्टोरी‘ इन्हीं कुछ पहलुओं के विश्लेषण का प्रयास करती है. एक …

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राग और विराग से बनी प्रभाष परम्परा

प्रभाष जोशी की 75 वीं जयंती पर यशस्वी पत्रकार प्रियदर्शन का यह आलेख उस परंपरा की बात करता है जिसने हिंदी पत्रकारिता में बहुत से ‘एकलव्यों’ को प्रेरित किया. उन्होंने जनसत्ता नामक एक अखबार की शुरुआत की जो अपने आप में एक परंपरा बन गई, सच्चाई और विवेक की परंपरा- …

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तात, बंधु, सखा, चिर सहचर

प्रभाष जोशी आज होते तो ७५ साल के होते. ओम थानवी का यह लेख ‘जनसत्ता’ और प्रभाष जोशी के संबंधों को लेकर ही नहीं पत्रकारिता की उस परंपरा की भी याद दिलाती है, जो बाजार के चमक-दमक के इस दौर में भी अपनी जिद पर कायम है. ‘जनसत्ता’ में आज …

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गुवाहाटी के गले से चीख निकली है

युवा कवि त्रिपुरारि कुमार शर्मा की कविता. इसके बारे में अलग से कुछ कहने की आवश्यकता नहीं है, कविता अपने आप में सब बयान कर देती है- जानकी पुल. =========================================================गुवाहाटी के गले से चीख निकली है  चीख, जिसमें दर्द है, घुटन भी है चीख, जिसमें रेंगती चुभन भी है चीख, …

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हूँ नहीं उस दृश्य में फिर भी नया हूँ

हेमंत शेष हिंदी कविता की प्रमुख आवाजों में एक हैं. उनकी तीन कविताएँ आपके लिए- जानकी पुल. ============================================================== (ओम निश्चल को समर्पित) १.–अकेला होना  हिल गया हूँ दृश्य मेंलौट कर पीछे छूटती सड़क पर फिर अचानक- पेड़. … घिरती आ रही है शाम -तोता है वहां कोई ?हरेपन में डूबती कोई …

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वे हिंदी की शर्म में डूबे अंग्रेजीदां बच्चे थे

युवा कवि अच्युतानंद मिश्र को इंडपेंडेंट मीडिया इनिशिएटिव की ओर से दिया जाने वाला शब्द-साधक युवा सम्मान दिया गया है. जानकी पुल की ओर से उनको बधाई. प्रस्तुत हैं उनकी कविताओं की एक बानगी- जानकी पुल. ========================== 1. जब उदासी ढूंढ रही थी मुझे             …

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वाल्ट डिज्नी की जीवन-यात्रा हिंदी में

पिछले बरसों में हिंदी के प्रकाशन-जगत में तेजी से बदलाव हुए हैं. हाल के दो उदाहरणों का ध्यान इस सन्दर्भ में आता है- एक, स्टीव जॉब्स की जीवनी, जिसके हिंदी अनुवाद को हिंद पॉकेट बुक्स ने प्रकाशित किया. दूसरे, ‘सदा समय के साथ’ रहने वाले वाणी प्रकाशन ने एनिमेशन के …

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चंदन पांडे की कहानी ‘भूलना’

यह खबर पढ़ी कि स्मृतियों से देश-महादेश रचनेवाले लेखक मार्केस को भूलने की बीमारी हो गई है तो मन को बड़ा धक्का लगा. शब्दों से जादू रचने वाले उस महान कथाकार को शायद हम हमेशा एक जादूगर की तरह देखते रहना चाहते थे- एक से एक पात्रों, स्थानों की रचना …

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‘कवि के साथ’ में कविता की बात

बिना कुछ अधिक बताए, किसी दावे के ‘कविता के साथ’ अपने नियमित आयोजन के पहली वर्षगांठ के करीब पहुँच गई है. ८ फरवरी की शाम युवा कवि सुधांशु फिरदौस, ‘भारतभूषण’ कवि गिरिराज किराडू और असद जैदी को सुनते हुए यह ख़याल बार-बार आता रहा कि शायद यह अकेला आयोजन है …

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संवेदना को मार रही है अपनी भाषा में अत्याचार की आवाज़ !

असद जैदी का नाम हिंदी कविता में किसी परिचय का मोहताज नहीं है. अपनी स्पष्ट राजनीति, गहरी संवेदना और तेवर के लिए अलग से पहचाने वाले इस कवि को पढ़ना अनुभव की एक अलग दुनिया से गुजरना होता है. आज इण्डिया हैबिटेट सेंटर में शाम सात बजे ‘कवि के साथ’ …

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