गौरव-सोलंकी-ज्ञानपीठ प्रकरण ने यह साबित कर दिया है कि हिंदी में पुरस्कार देने वाली संस्थाएं निर्णायक मंडल को कितना महत्व देती हैं. जिस निर्णायक मंडल ने गौरव सोलंकी को पुरस्कार दिया था, उसके कहानी संग्रह को छापने की संस्तुति दी थी उसके अध्यक्ष थे मूर्धन्य आलोचक नामवर सिंह, सदस्यों में …
Read More »जब मैं तुम्हारी गोद में सिर रखकर लेटा था कॉमरेड!
19 वीं शताब्दी के कवि वाल्ट व्हिटमैन को कुछ अमेरिका का सबसे महान कवि मानते हैं, कुछ दुनिया का. मुक्तछंद के इस प्रवर्तक कवि की कविताओं का हिंदी अनुवाद प्रकाशित हुआ है ‘मैं इस पृथ्वी को कभी नहीं भूलूँगा’ शीर्षक से. बेहतरीन अनुवाद दिनेश्वर प्रसाद जी का है, जिनका हाल …
Read More »न तो कौरव के साथ हूं और न ही गौरव के साथ
‘ग्यारहवीं ए के लड़के’ के बहाने युवा लेखक त्रिपुरारि कुमार शर्मा- जानकी पुल. —————————————————————————- मेरे लिए युवा लेखक गौरव सोलंकी जितने परिचित/अपरिचित हैं, उतने ही भारतीय ज्ञानपीठ के तथा–कथित आका (मैं सोचने में असमर्थ हूँ कि किसका नाम लिखना चाहिए) एण्ड कम्पनी। दोनों में से किसी को भी मैं व्यक्तिगत …
Read More »कौन तय करेगा कि कार्टून का अर्थ क्या हो?
हाल के कार्टून विवाद के बहाने युवा इतिहासकार सदन झा का यह लेख. सदन ने आजादी से पहले के दौर के दृश्य प्रतीकों पर काम किया है, विशेषकर चरखा के प्रतीक पर किए गए उनके काम की बेहद सराहना भी हुई है. इस पूरे विवाद को देखने का एक अलग …
Read More »गौरव सोलंकी की कहानी ‘ग्यारहवीं ए के लड़के’
यही वह कहानी है जिसके कारण भारतीय ज्ञानपीठ ने प्रसिद्ध युवा लेखक गौरव सोलंकी के कहानी संग्रह को प्रकाशित करने में टालमटोल किया, बरसों बाद राजकमल प्रकाशन ने जिसको प्रकाशित करने का साहस दिखाया. क्या यह एक अश्लील कहानी है? पढकर देखिये- क्या सचमुच यह एक अश्लील कहानी है- जानकी …
Read More »अपने साहस से डिग मत जाना गौरव सोलंकी
आज मैंने तहलका.कॉम पर युवा लेखक गौरव सोलंकी का ‘पत्र’ पढ़ा. पढकर दिन भर सोचता रहा कि आखिर हिंदी के एक बड़े प्रकाशक ने, जिसने पिछले ७-८ सालों से हिंदी की युवा प्रतिभाओं को सामने लाने का प्रशंसनीय अभियान चला रखा है, युवा लेखकों की पहली पुस्तकों को न केवल …
Read More »मैं अफ़साना क्यों कर लिखता हूँ- मंटो
आज सआदत हसन मंटो की जन्मशताब्दी है. आज उनका यह लेख पढते हैं- जानकी पुल. ————————————————————————————————————— मुझसे कहा गया है कि मैं यह बताऊँ कि मैं अफ़साना क्यों कर लिखता हूँ? यह ‘क्यों कर‘ मेरी समझ में नहीं आया। ‘क्यों कर‘ का अर्थ शब्दकोश में तो यह मिलता है – …
Read More »मण्टो की तलाश लुप्त होती इन्सानियत की तलाश है
कल सआदत हसन मंटो की सौवीं जयंती है. उर्दू के एक ऐसे कथाकार की जिसने कहानियों का मिजाज बदलकर रख दिया. उनकी कहानियों पर बहुत गंभीर विश्लेषणपरक लेख लिखा है प्रसिद्ध कवि-अनुवादक नीलाभ ने. आपसे साझा कर रहा हूं- जानकी पुल. ———————————————————————– ‘एक ख़त’ से ले कर ‘दो गड्ढे’ तक …
Read More »हैं बंद द्वार घर-घर के, अँधियारा रात का छाया
हाल में ही रवीन्द्रनाथ टैगोर के गीतों का अनुवाद आया है ‘निरुपमा, करना मुझको क्षमा’ नाम से. छंदबद्ध अनुवाद किया है प्रयाग शुक्ल ने. पुस्तक सस्ता साहित्य मंडल प्रकाशन से आई है. उसी पुस्तक से कुछ चुने हुए गीत- जानकी पुल. ———————————————- १. जो गए उन्हें जाने दो तुम जाना …
Read More »रवीन्द्रनाथ के मिथिला से आत्मीय सम्बंध थे- बुद्धिनाथ मिश्र
आज रवीन्द्र जयंती है. उनके जीवन-लेखन से जुड़े अनेक पहलुओं की चर्चा होती है, उनपर शोध होते रहे हैं. एक अछूते पहलू को लेकर डॉ. बुद्धिनाथ मिश्र ने यह लेख लिखा है. बिहार के मिथिला प्रान्त से उनके कैसे रिश्ते थे? एक रोचक और शोधपूर्ण लेख- जानकी पुल. ——————————————————————————————— …
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