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Prabhat Ranjan

वह बच्चा किसका है?

विश्व पुस्तक मेले में इस साल प्रसिद्ध पत्रकार, कथाकार गीताश्री की पुस्तक ‘सपनों की मंडी’ की बड़ी चर्चा रही. प्रस्तुत है उसी पुस्तक का एक अंश- जानकी पुल.  ————————————————————–  कोई सुबह–सुबहअखवारबांटताहै।कोईघरोंकेबाहररखेकूड़ेकेथैलेकोउठाकरले  जाता है।कोईसब्जीबेचताहैतोकोईकपड़ेप्रेसकरताहै।कोईकिरानेकीदुकानपरखड़ारहताहैऔरआर्डरपरआएसामानोंकोघरोंमेंपहुंचाताहैकोईरातभरकिसीअपार्टमेंटकेबाहरखड़ेहोकरचौकीदारीकरताहै।महानगरकेबहुमंजिलीसंस्कृतिमेंजीनेकेआदीहोचुकेलोगोंमेंशायदहीकिसीकोयेसोचनेकीफुरसतहोकिकौनहैंवेलोग,जोसुबहहोतेहीशुरुहोजातेहैंऔरदेररातकेबादकहांगायबहोजातेहैंकिसीकोनहींमालूम।कौनहैंवेलोग? क्याहमउनकेनामजानतेहैं? वेकहांसेआतेहैं? शहरमेंवेकिसतरहगुजर–बसरकरतेहैं? वेकहांरहतेहैं? क्याहमउनकीपरवाहकरतेहैं? शायदनहीं, लेकिनअगरकोईपरवाहकरनेनिकलेतो? तोफिरआपकासामनाहाहाकारभरेऐसे–ऐसेसचसेहोगा, जिसपरयकीनकरनामुश्किलहोजाएगा। मुंबई केमशहूरलियोपोर्डकीसंगीतभरीरातोंकेसामने10 से12 सालकेबीसयोंबच्चेअक्सरखड़ेमिलतेहैं।शायदआपनेभीउन्हेंदेखाहो, लेकिनक्याआपकोपताहैकि  वे उनशोषितबच्चोंकेसमूहसेहैंजोशहरकेफुटपाथोंपरजूतेयाकारचमकातेहैं, फूल, …

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‘मोनोक्रोम’ एक पुरानी कहानी

मैं मूलतः कहानियां लिखता हूँ. लेकिन जानकी पुल पर उनको कम ही साझा करता हूँ. आज अपनी एक पुरानी कहानी साझा कर रहा हूँ. ‘मोनोक्रोम’ नामक यह कहानी भारतीय ज्ञानपीठ से प्रकाशित  मेरे पहले कहानी संग्रह ‘जानकी पुल’ में संकलित है- प्रभात रंजन  ‘अल कौसर’ के बाहर चहलकदमी करते हुए …

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यह चाँद है या काँच है जो पहर बेपहर चमक रहा है

कुछ साल पहले युवा कवि तुषार धवल का कविता संग्रह राजकमल प्रकाशन से आया था ‘पहर यह बेपहर का’. अपनी भाव-भंगिमा से जिसकी कविताओं ने सहज ही ध्यान खींचा था. उसी संग्रह की कविताओं पर कुछ कवितानुमा लिखा है वरिष्ठ कवि बोधिसत्त्व ने. समीक्षा के शिल्प में नहीं- जानकी पुल.  …

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स्मृतियों में ठहरे अज्ञेय

कोलकाता में ‘अपने अपने अज्ञेय’ का लोकार्पण  अज्ञेय की जन्मशताब्दी के साल उनकी रचनात्मकता के मूल्यांकन-पुनर्मूल्यांकन का दौर चलता रहा. कई किताबें आई, कई इस पुस्तक मेले में आ रही हैं. लेकिन वरिष्ठ संपादक, सजग भाषाविद ओम थानवी सम्पादित पुस्तक ‘अपने-अपने अज्ञेय’ अलग तरह की है. पुस्तक से पता चलता …

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‘ग्लोबलाइजेशन’ पुस्तकों की देन है – चित्रा मुद्गल

कल से 20वां नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेला शुरू होने जा रहा है। जीवन में पुस्तकों के महत्व को नकारा नहीं जा सकता। इसी बात को ध्यान में रखते हुए “पुस्तक-लेखन-शिक्षा-साहित्य-पुरस्कार” आदि विषयों पर चित्रा मुद्गल जी ने अपने विचार व्यक्त किए हैं। पुस्तक मेले में उनकी नई पुस्तकों के …

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सफल लोगों के बारे में एक असफल आदमी की कविता

आज प्रियदर्शन की कविताएँ कुछ बदले हुए रंग, एक नए मुहावरे में. आख्यान के ढांचे में, कुछ गद्यात्मक लहजे में, लेकिन सहज काव्यात्मकता के साथ- जानकी पुल. —————————————– सफल लोगों के बारे में एक असफल आदमी की कविता मेरे आसपास कई सफल लोग हैं अपनी शोहरत के गुमान में डूबे …

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सुकमा के जंगल में काली धातु चमकती है

प्रसिद्ध पत्रकार आशुतोष भारद्वाज ने 2012 में छत्तीसगढ़ के नक्सली इलाकों में रहते हुए वहां के अनुभवों को डायरी के रूप में लिखा था. सुकमा की नृशंस हत्याओं के बाद उनकी डायरी के इस अंश की याद आई जो नक्सली माने जाने वाले इलाकों की जटिलताओं को लेकर हैं. हालात …

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‘समास’ आत्मसजग श्रेष्ठ साहित्य की वाहक बनेगी

कल ‘समास’ का लोकार्पण है. गहन वैचारिकता की अपने ढंग की शायद अकेली पत्रिका ‘समास’ की यह दूसरी पारी है. एक दशक से भी अधिक समय हो गया जब इस पत्रिका के सुरुचिपूर्ण प्रकाशित चार अंकों ने साहित्य की दूसरी परंपरा की वैचारिकता को मजबूती के साथ सामने रखा था. …

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मुझे दो मेरी ही उम्र का एक दुःख

आज दोपहर २.३० बजे इण्डिया इंटरनेशनल सेंटर में तस्लीमा नसरीन की सौ कविताओं के संचयन ‘मुझे देना और प्रेम’ का लोकार्पण है. वाणी प्रकाशन से प्रकाशित इस पुस्तक की कविताओं का अनुवाद किया है हिंदी के प्रसिद्ध कवि प्रयाग शुक्ल ने. उसी संचयन से दो कविताएँ- जानकी पुल. ————————————————- तुम्हें दुःख देना …

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पहले पहले प्यार के झूठे वादे अच्छे लगते हैं

 आज मोहसिन नकवी की शायरी. पाकिस्तान के इस शायर को १९९६ में कट्टरपंथियों ने मार डाला था. उन्होंने नज्में और ग़ज़लें लिखीं, अनीस की तरह मर्सिये लिखे. उनकी शायरी का यह संकलन हमारे लिए शैलेन्द्र भारद्वाज जी ने किया है. मूलतः हिंदी साहित्य के विद्यार्थी रहे शैलेन्द्र जी उर्दू शायरी …

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