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Prabhat Ranjan

प्यारा सुभाष, नेता सुभाष, भारत भू का उजियारा था

आज नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जन्मतिथि है. अनेक कवियों ने उनके ऊपर कविताएँ लिखी थी. उनकी स्मृतिस्वरूप प्रस्तुत है एक प्रसिद्ध कविता. कवि हैं गोपाल प्रसाद व्यास- जानकी पुल. है समय नदी की बाढ़ कि जिसमें सब बह जाया करते हैं।है समय बड़ा तूफ़ान प्रबल पर्वत झुक जाया करते …

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साहित्य का सबसे बड़ा महोत्सव या सबसे बड़ा कार्निवाल

कुछ उसे एशिया का, कुछ दुनिया का सबसे ‘बड़ा’ साहित्योत्सव बताते हैं, कुछ महज एक ‘कार्निवाल’. गुलाबी शहर जयपुर में हलकी ठंढ की खुमारी में वहां की संस्कृति के प्रतीक एक महल(दिग्गी पैलेस) में आयोजित होने वाले जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल ग्लैमर, मीडिया, राजनीति और साहित्य के ‘मिक्स’ से एक ऐसा …

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यह एक ऐसी पटकथा थी जिसका क्लाइमेक्स पहले ही लिखा जा चुका था

सब कुछ किसी ऐसी सस्पेंस-थ्रिलर फिल्म की पटकथा की तरह था जिसका क्लाइमेक्स जैसे पहले ही लिखा जा चुका था. भारतीय अंग्रेजी साहित्य के सबसे विवादित और चर्चित ‘ब्रांड’ सलमान रुश्दी के जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में नहीं आने का अंदेशा कुछ-कुछ मीडिया वालों को भी उसी दिन से था जिस …

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तुम्हारे प्रेम में हूँ, कुछ सबूत मिले हैं मुझे

आज वंदना शर्मा की कविताएँ उनके वक्तव्य के साथ. वंदना शर्मा की कविताओं ने इधर कविता-प्रेमियों का ध्यान अपनी सादगी, बयान की तीव्रता और अनुभव की गहराई से आकर्षित किया है- जानकी पुल.  मैं बहुत सामान्य सी स्त्री हूँ, कुछ भी सिर्फ मेरा नही.. न अनुभूति न कविता, कविता मेरे …

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चलो हम दीया बन जाते हैं और तुम बाती

आज आभा बोधिसत्व की कविताएँ. यह कहना एक सामान्य सी बात होगी कि आभाजी की कविताओं में स्त्री मन की भावनाएं हैं, स्त्री होने के सामाजिक अनुभवों की तीव्रता है. सबसे बढ़कर उनकी कविताओं में आत्मीयता का सूक्ष्म स्पर्श है और लोक की बोली-बानी का ठाठ, जो उनकी कविताओं को …

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उनसे ज़रूर मिलना सलीके के लोग हैं

असगर वजाहत पारंपरिक किस्सागोई के आधुनिक लेखक हैं. उनके उपन्यासों, नाटकों, संस्मरणों सबका एक निराला अंदाज़ है. उनसे जुड़े कुछ निजी अनुभव आज आपसे साझा कर रहा हूँ- प्रभात रंजन       असगर वजाहत पहली मुलाकात में आपको बहुत अपने-अपने से लगते हैं. मुझे याद है पहली मुलाकात में ही उन्होंने …

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दिल्ली के पत्रहीन जंगल में

भारतभूषण अग्रवाल पुरस्कार से सम्मानित कवि जितेन्द्र श्रीवास्तव समकालीन कविता का एक महत्वपूर्ण नाम है. उनकी कविताओं में विस्थापन की पीड़ा है, मनुष्य के अकेले पड़ते जाने की नियति का दंश. अभी हाल में ही उनका नया कविता संग्रह आया है ‘इन दिनों हालचाल’ और साथ ही, प्रेम कविताओं का …

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क्या हिंदी किताबों का पाठकों के साथ सीधा संबंध बन पायेगा?

पुस्तकों के भविष्य को लेकर कुछ दिनों पहले मैंने यह लेख लिखा था. आज आपसे साझा कर रहा हूँ. आखिर इंटरनेट के युग में पुस्तकों का क्या स्वरुप बनेगा, वह सीधे पाठकों तक पहुँच पायेगी या पहले की ही तरह लाइब्रेरी में ‘डंप’ होती रहेगी? ऐसे ही कुछ सवालों के …

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तुम मेरे लिए इतना भी नहीं कर सकते फेसबुक?

युवा शोधार्थी, मीडिया विशेषज्ञ विनीत कुमार ने यह कविता लिखी. पढ़ा तो आपसे साझा करने का मन हुआ. प्रस्तुत है उनकी ही भूमिका के साथ- जानकी पुल. आदिकाल के रासो काव्य से लेकर नई कविता वाया छायावाद/प्रगतिवाद होते हुए हिन्दी का कोई छात्र इस तरह की लाइनें लिखेगा, संभव हैं इसे …

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प्रत्यक्षा की कहानी ‘कूचाए नीमकश’

समकालीन जीवन सन्दर्भों को कहानियों में बखूबी उतरने वाली प्रत्यक्षा का नाम लेखिकाओं में प्रमुखता से लिया जाता है. अभी हाल में ही उनका नया कहानी संग्रह हार्पर कॉलिंस से  आया है ‘पहर दोपहर ठुमरी’. उसी संग्रह से एक कहानी- जानकी पुल. दरख़्त के सुर्ख पत्ते अचानक आये हवा के …

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