Home / Prabhat Ranjan (page 288)

Prabhat Ranjan

नंदकिशोर आचार्य की कविताएँ

वरिष्ठ कवि नंदकिशोर आचार्य का नया कविता संग्रह आया है ‘केवल एक पत्ती ने’, ‘वाग्देवी प्रकाशन, बीकानेर से. उसी संग्रह से कुछ कविताएँ आज प्रस्तुत हैं- जानकी पुल.    अभिधा में नहीं जो कुछ कहना हो उसे –खुद से भी चाहे— व्यंजना में कहती है वह कभी लक्षणा में अभिधा …

Read More »

यह पलाश के फूलने का समय है

          आज युवा कवि अनुज लुगुन की कविताएँ. अनुज की कविताओं में सभ्यता का गहरा अँधेरा है, हाशिए के लोगों की वह उदासी जिसके कारण ग्लोब झुका हुआ दिखाई देता है. एकदम नए काव्य-मुहावरे के इस कवि में बड़ी संभावनाएं दिखाई देती हैं, बेहतर भविष्य की, …

Read More »

हिन्दी सिनेमा के संगीत-प्रेमी फ़िल्मकार: शक्ति सामंत

फिल्मकार शक्ति सामंत पर यह दिलचस्प लेख दिलनवाज़ ने लिखा है. जब वे हिंदी सिनेमा और गीत-संगीत पर लिखते हैं तो एक अलग ही अंदाज़ होता है, हमेशा कुछ अलक्षित जानकारियां लेकर आते हैं. इस लेख को पढते हुए भी ऐसा ही लगेगा- जानकी पुल. हिन्दी एवं बांग्ला फ़िल्मो के …

Read More »

इमरान खान की ‘फ्रैंक’ कहानी

अंग्रेजी के युवा लेखक-नाटककार-पत्रकार फ्रैंक हुज़ूर एक ज़माने में ‘हिटलर इन लव विद मडोना’ नाटक के कारण विवादों में आये थे, आजकल उनकी किताब ‘इमरान वर्सेस इमरान: द अनटोल्ड स्टोरी’ के कारण चर्चा में हैं. आइये उनकी इस किताब से परिचय प्राप्त करते हैं- जानकी पुल. इमरान खान का नाम …

Read More »

नाम साहिर था हकीकत में वो जादूगर था

साहिर लुधियानवी निस्संदेह हिंदी सिनेमा के सर्वकालिक महान गीतकार थे. उन्होंने फ़िल्मी गीतों को उर्दू शायरी का रंग दिया, उनको साहित्यिक ऊंचाई दी. उनकी गीत-यात्रा को याद कर रही हैं युवा कवयित्री-लेखिका विपिन चौधरी– जानकी पुल. साहिर लुधियानवी के नाम को हिंदी सिनेमा और उर्दू अदब में न केवल एक …

Read More »

एस. आर. हरनोट की कहानी ‘बेजुबान दोस्त’

आज एक कहानी एस. आर. हरनोट की. वे कोई ‘स्टार’ लेखक नहीं हैं, लेकिन एक सजग और संवेदनशील लेखक हैं. हिमालय का जीवन उनकी कहानियों में जीवन्तता के साथ धडकता है. उदाहरण के लिए यह कहानी ‘बेजुबान दोस्त’, जिसमें हिमालय के नष्ट होते पर्यावरण की चिंता है, उसका दर्द है. …

Read More »

आधुनिक कहानी के पिता थे मोपासां

आज आधुनिक कहानी के पिता माने जाने वाले लेखक मोपासां की पुण्यतिथि है. कहते हैं मोपासां ने कहानियों में जीवन की धडकन भरी, उसे मानव-स्वाभाव के करीब लेकर आये. संगीतविद, कवयित्री वंदना शुक्ल ने इस अवसर उन्नीसवीं शताब्दी के उस महान लेखक को इस लेख में याद किया है. आपके लिए …

Read More »

एक शताब्दी के कवि आरसी प्रसाद सिंह

‘यह जीवन क्या है ? निर्झर है, मस्ती ही इसका पानी है / सुख-दुःख के दोनों तीरों से चल रहा राह मनमानी है’ जैसी पंक्तियों के कवि आरसी प्रसाद सिंह की भी यह जन्म-शताब्दी का साल है. यह चुपचाप ही बीता जा रहा था. युवा-कवि त्रिपुरारि कुमार शर्मा का यह …

Read More »

उन प्रथम, सुकुमार दिनों का वह उजला अनुभव

प्रसिद्ध पत्रकार प्रियदर्शन को हिंदी की की साहित्यिक दुनिया कवि-कथाकार के रूप में जानती-पहचानती है. समकालीन पीढ़ी के रचनाकारों में अपने नए मुहावरे से उन्होंने एक अलग पहचान बनाई है. अनुभव के सघन बिम्ब और सजग वैचारिकता निजी से लगते पाठ को भी सार्वजनिक बना देता है. मैं यहाँ उनकी …

Read More »

विद्यापति के गीत बाबा नागार्जुन का अनुवाद

यह कवि नागार्जुन की जन्मशताब्दी का साल है. इससे याद आया कि उन्होंने विद्यापति के गीतों का हिंदी में अनुवाद किया था. आज प्रस्तुत है विद्यापति के मूल पदों के साथ बाबा नागार्जुन के अनुवाद- जानकी पुल. १. सखि हे, कि पुछसि अनुभव मोय. सेह पिरिति अनुराग बखानिय तिल-तिल नूतन …

Read More »