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Prabhat Ranjan

आशुतोष भारद्वाज का लेख ‘मंगलेश का प्रदाय’

आज मंगलेश डबराल जी की जयंती है। उनके जाने के बाद पहली जयंती। उनके रचनात्मक अवदान पर यह लेख प्रसिद्ध लेखक-पत्रकार-आलोचक आशुतोष भारद्वाज ने लिखा है। ============= एक किसी आलोचक और रचनाकार की आलोचना में एक फ़र्क यह है कि कोई कवि या कथाकार जिन मानकों को प्रस्तावित करता है, …

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  सारंग उपाध्याय की कहानी ‘अकेली मुंबई, अजनबी कोलकाता’ 

सारंग उपाध्याय पेशे से पत्रकार हैं और बहुत संवेदनशील लेखक। हाशिए के लोगों के जीवन के सुख-दुःख को लेकर यह एक मार्मिक कहानी है। आप भी पढ़कर बताइएगा- ============================ बारिश काले बादलों में अब भी अटकी थी. उमस लोगों के चेहरे से टपक रही थी. सुबह के 7 बजे थे. …

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राधाकृष्ण की कहानी ‘वरदान का फेर’

कल सत्यानंद निरुपम जी ने राधाकृष्ण की कहानी ‘वरदान का फेर’ की याद दिलाई। राधाकृष्ण को लोग भूल गए हैं लेकिन कभी प्रेमचंद ने उनकी प्रशंसा की थी और युवा शोधकर्ता संजय कृष्ण ने लिखा है कि प्रेमचंद के निधन के बाद ‘हंस’ का काम देखने के लिए शिवरानी देवी …

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सदी का सबसे क्रूर क़ातिल- रवित यादव की कविताएँ

दिल्ली विश्वविद्यालय के लॉ फ़ैकल्टी के छात्र रवित यादव की कविताएँ पढ़िए। आज के समय में बहुत प्रासंगिक हैं- ======================================   1- सदी का सबसे क्रूर क़ातिल ———————- झकझोरती हैं जब कानों पर पड़ती चीखें   जब थमती सांसो के साथ जीने की आस थरथराती है   जब टटोलते हो …

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अनामा माँ के भीतर एक गुमशुदा स्त्री की तलाश

आज मदर्स डे पर प्रसिद्ध लेखिका गीताश्री का लेख पढ़िए। पढ़ते पढ़ते अपनी माँ से मिलने का मन होने लगा- ============================== मां, मेरी माय -गीताश्री जन्म लेने के लिए एक स्त्री की कोख ढूंढता है ईश्वर “अंतरिक्ष के आखिरी छोर पर खड़ी एक स्त्री पक्षियों को पंख / पेट को …

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यशपाल और प्रकाशवती -अद्भुत सच्ची प्रेम कथा

पढ़ने लिखने वाला आदमी पढ़े लिखे नहीं तो क्या करे? यतीश कुमार इन दिनों किताबें पढ़ रहे हैं और उसके ऊपर लिख रहे हैं। यशपाल की किताब ‘सिंहावलोकन’ पढ़कर उन्होंने यह सुंदर प्रसंग लिखा है – ================================ हरिवंशराय बच्चन की आत्मकथा में यशपाल और प्रकाशवती  के प्रेम का ज़िक्र था। …

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अजय सोडानी की दो कविताएँ

अजय सोडानी को हम सब उनके यात्रा वृत्तांतों के कारण जानते हैं। आज उनकी दो कविताएँ पढ़ते हैं। इन कविताओं में हम सबकी आवाज़ भी शामिल समझिए। आज के हालात पर चुभती हुई कविताएँ- ================   न भगवा, ना सब्ज़ न भाषण, ना शासन न चोटी, ना टोपी न जुन्नार, …

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इस आवाज़ की अपनी एक कशिश है: प्रयाग शुक्ल

कवयित्री पारुल पुखराज की डायरी ‘आवाज़ को आवाज़ न थी’ पर यह टिप्पणी लिखी है जाने-माने कवि, कला समीक्षक प्रयाग शुक्ल जी ने। आप भी पढ़ सकते हैं- ===========================  पिछले दिनों पारुल पुखराज की पुस्तक ‘आवाज़ को आवाज़ न थी’’ (डायरी) मिली। तो स्वयं डायरी-विधा को लेकर कईं बातें ध्यान …

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‘अमेठी संग्राम’ का अमेठी और संग्राम

अनंत विजय की किताब ‘अमेठी संग्राम’ जब से आई है लगातार चर्चा में है। अभी हाल में इसका अंग्रेज़ी अनुवाद भी प्रकाशित हुआ है। इस किताब की विस्तृत समीक्षा लिखी है राजीव कुमार ने- ======================== ऐसे में जब राजनीतिक परिदृश्य उसके उथल पुथल और महती परिणामों  पर गंभीर बातें करना …

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अनामिका अनु की कहानी ‘भीगे तकिए धूप में’ 

अनामिका अनु को एक कवयित्री के रूप में हम सब पढ़ते आए हैं। उनको कविता के लिए भारतभूषण अग्रवाल पुरस्कार मिल चुका है। यह उनकी पहली कहानी है। आप भी पढ़ सकते हैं- =============== मीनल सोलह साल की हो गयी है। अब  वह माँ के तकिए रोज सबेरे धूप में  …

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