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Prabhat Ranjan

नो टू फ्री का आंदोलन अर्थात अनमोल बनाम बेमोल

नो टू फ़्री अभियान को लेकर कुछ बातें युवा लेखक रवींद्र आरोही ने की है। हिंदी समाज को लेकर कुछ विचारणीय बातें हैं। आप भी पढ़िए- ============================ यह बात गलत नहीं है और यह नया भी नहीं कि हिंदी का लेखक सिर्फ लिखकर अपनी आजीविका क्यों नहीं चला सकता। समय-समय …

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नाटक कम्पनियों की कुम्भ यात्रा: गोपाल राम गहमरी(1927)

इन दिनों हरिद्वार में कुम्भ चल रहा है। पहले कुम्भ मेले में पारसी थिएटर कम्पनियाँ आती थीं, उनके नाटकों की धूम रहती थी। गोपाल राम गहमरी का यह लेख 1927 के कुम्भ मेले और नाटकों को लेकर है। यह दुर्लभ लेख उपलब्ध करवाया है राँची के संजय कृष्ण ने, जिन्होंने …

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युवा कवि गोलेंद्र पटेल की कविताएँ

आज किसान और किसानी जीवन पर कुछ चकित का देने वाली कविताएँ पढ़िए।इसके कवि गोलेन्द्र पटेल के बारे में इतना ही जानता हूँ कि काशी हिंदू विश्वविद्यालय के छात्र हैं- =================     1.   ऊख //   (१) प्रजा को प्रजातंत्र की मशीन में पेरने से रस नहीं रक्त …

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वर्तनी: कितनी लचीली, कितनी तनी 

हिंदी वर्तनी पर यह एक ज़रूरी और बार बार पढ़ा जाने वाला लेख है जिसे कवि-पत्रकार अनुराग अन्वेषी ने लिखा है। यह लेख पहले इंद्रप्रस्थ भारती नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ था। साभार आप लोगों के लिए- ============================ अमेरिकन इंग्लिश में कलर की स्पेलिंग (वर्तनी/हिज्जा) color है जबकि ब्रिटिश इंग्लिश …

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आशकारा खानम कश्फ़ की नज़्म ‘डर तो लगता है’

आज पढ़िए उर्दू की संजीदा शायरा आशकारा खानम कश्फ़ की नज़्म- =================================== डर_तो_लगता_है   डर तो लगता है कोई पूछे तो, इस ज़माने में साफ़ कहने में, कुछ छुपाने में आईनों से, नज़र मिलाने में डर तो लगता है   डर तो लगता है ज़ब्त को अपने, आज़माने में ख़ुद …

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विनीता परमार की कहानी ‘विसर्जन’

विनीता परमार पेशे से अध्यापिका हैं। स्त्री जीवन के जद्दोजहद को कहानियों में ढालती हैं। आज उनकी ताज़ा कहानी पढ़िए- =============================  साची ने कंडक्टर की आवाज़ सुन अपना सर ऊपर उठाया, देखा कि बस रुक चुकी है। बस की सीट पर पिछले एक घंटे से धँसी वह उस अहसास के …

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राही मासूम रज़ा के उपन्यास ‘टोपी शुक्ला’ का एक अंश

आज राही मासूम रज़ा की पुण्यतिथि है। उनके प्रसिद्ध उपन्यास ‘टोपी शुक्ला’ का एक अंश पढ़िए और उनको याद कीजिए। अंश राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित उपन्यास से साभार प्रस्तुत है- ======================= टोपी और अलीगढ़ मुसलिम यूनिवर्सिटी! हो सकता है कि आपमें से बहुत-से लोगों को यह बात आश्चर्य में डाल …

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हम अनाप-शनाप क्यों नहीं लिखते?

प्रदीपिका सारस्वत इन दिनों कुमाऊँ में रह रही हैं। वहीं से उन्होंने डायरीनुमा लिखकर भेजा है। जिसे उन्होंने नाम दिया है अनाप-शनाप। आप भी पढ़िए। पहाड़ों में खिले खिले धूप में चमकते फूलों सा गद्य- ============= रात को सोते वक्त तकिए से कहा था कि सुबह जल्दी जागना है, सूरज …

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कलाकार जीवन भर एक ही कृति बनाता है: सीरज सक्सेना

जाने माने चित्रकार, सेरेमिक कलाकार, लेखक सीरज सक्सेना के साथ कवि-कला समीक्षक राकेश श्रीमाल की बातचीत की किताब आई है ‘मिट्टी की तरह मिट्टी’। सेतु प्रकाशन से प्रकाशित इस किताब का एक अंश पढ़िए- ================ राकेश श्रीमाल– मिट्टी में काम शुरू करने के बहुत पहले, यानी बचपन में मिट्टी से …

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दलित लेखकों  के मारक  सवाल: सुरेश कुमार

युवा आलोचक सुरेश कुमार के लेख हम सब पढ़ते रहे हैं और उनकी दृष्टि के क़ायल भी रहे हैं। उनका यह लेख पाखी पत्रिका के जनवरी-फ़रवरी 2021 के अंक में प्रकाशित हुआ था। इस लेख को पत्रिका की तरफ़ से देश विशेषांक प्रतियोगिता में पुरस्कृत भी किया गया है। जिन …

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