युवा उड़िया लेखक प्रबुद्ध जगदेब की कहानी हिंदी में पढ़िए। यह कहानी धौली बुक्स द्वारा उड़िया में प्रकाशित कहानी संग्रह से ली गई है- समय-असमय सुबह नौ से ग्यारह का वक्त रहा होगा। दिल्ली मेट्रो सेन्द्रल सेक्रेटिरिएट स्टेशन जहां पीली-लाईन बैंगनी-लाईन को छूती हैं। बसें भीड से खचाखच भरी हुई …
Read More »हरि मृदुल की सात कविताएं
‘कविता शुक्रवार’ ने फ़िलहाल विराम लिया है। नए साल में दुबारा शुरू होगा। राकेश श्रीमाल उसकी तैयारी में लगे हैं। बीच बीच में विशेष प्रसंगों में कविताओं का प्रकाशन होता रहेगा। जैसे आज। हमारे देश में चुनावों का रंग दुनिया से अलग होता है। इतना अलग कि दुनियाभर की नजर …
Read More »प्रतिभा कटियार की कहानी ‘विश्वदीपक’
प्रतिभा कटियार की कहानी पढ़िए। प्रतिभा कटियार – लखनऊ में जन्मी, पली-बढ़ी। राजनीति शास्त्र में एम ए, एलएलबी, पत्रकारिता में डिप्लोमा। 12 वर्षों तक प्रिंट मीडिया में पत्रकारिता। कुछ कहानियां, कुछ कविताएं व लेख हंस, नया ज्ञानोदय, कथाक्रम, वागर्थ, समास, अकार, अहा जिन्दगी समेत लगभग सभी हिंदी अखबारों में प्रकाशित। …
Read More »जब दर्द नहीं था सीने में तब ख़ाक मज़ा था जीने में!
शायर और पुलिस अधिकारी सुहैब अहमद फ़ारूक़ी कोविड 19 से संक्रमित होकर आइसोलेशन में हैं। वहाँ से उन्होंने यह मार्मिक अनुभव लिख भेजा है। आप भी पढ़िए – ======================================= जब दर्द नहीं था सीने में तब ख़ाक मज़ा था जीने में यह तो गाने का मुखड़ा है कुछ दर्द बढ़ा …
Read More »रानी रूपमती ने बाँची अपनी कथा: ‘रानी रूपमती की आत्मकथा’
वरिष्ठ लेखक प्रियदर्शी ठाकुर ‘ख़याल’ का उपन्यास आया है ‘रानी रूपमती की आत्मकथा’। राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित इस उपन्यास पर यह टिप्पणी लिखी है युवा कवयित्री रश्मि भारद्वाज ने। आप भी पढ़ सकते हैं- =================== मांडू का उल्लेख आते ही आँखों के आगे प्रेम, समर्पण और विद्रोह की एक कथा …
Read More »वीरेन्द्र प्रसाद की कुछ नई कविताएँ
भा.प्र.से. से जुड़े डॉ. वीरेन्द्र प्रसाद अर्थशास्त्र एवं वित्तीय प्रबंधन में स्नातकोत्तर की शिक्षा प्राप्त की है। वे पशु चिकित्सा विज्ञान में स्नातकोत्तर भी हैं। रचनात्मक लेखन में उनकी रुचि है। प्रस्तुत है भीड़भाड़ से दूर रहने वाले कवि-लेखक वीरेन्द्र प्रसाद की कुछ कविताएँ और गीत-जानकी पुल ================================ [1] …
Read More »‘राजनटनी’ उपन्यास की काव्यात्मक समीक्षा
हाल में गीताश्री का उपन्यास ‘राजनटनी’ प्रकाशित हुआ है, जिसकी काव्यात्मक समीक्षा की है यतीश कुमार ने- ================================= राजनटनी 1. योजनाओं की भी अपनी यात्रा होती है जो घटने के लिए भटकती हैं वे ख़ानाबदोश हैं जो अपने साथ फूलों और मिट्टियों की खुशबू लिए भटकते हैं घोर …
Read More »बदलते समय के सांस्कृतिक क्षरण की दो कहानियां
कथाकार-उपन्यासकार संतोष दीक्षित ने इस लेख में रेणु जी की कहानी ‘रसप्रिया’ और मनोज रुपड़ा की कहानी ‘साज़-नासाज़’ के बहाने सांस्कृतिक क्षरण को रेखांकित किया है। एक अच्छा लेख- ================= ‘रसप्रिया’ रेणु की प्रारंभिक कहानियों में से है। इसका मर्म रेणु के ही नहीं, हिंदी के सम्पूर्ण कथा साहित्य तक …
Read More »बहुरुपिये राक्षस और दो भाइयों की कथा: मृणाल पाण्डे
‘बच्चों को न सुनाने लायक बाल कथायें’ सीरिज़ की यह 20 वीं कथा है। इस सीरिज़ में प्रसिद्ध लेखिका मृणाल पाण्डे पारम्परिक लोक कथाओं का पाठ इस तरह से करती हैं कि वे समकालीन लगने लगती हैं। एक और मानीखेज़ कथा आज पढ़िए- ========================= (क्या लोक कथाओं से राज समाज …
Read More »कविता शुक्रवार 20: निशांत की कविताएँ सोनम सिकरवार के चित्र
‘कविता शुक्रवार’ की इस बीसवीं प्रस्तुति में युवा कवि निशांत की कविताएं और सोनम सिकरवार के चित्र हैं। वर्ष 2008 में कविता के लिए प्रतिष्ठित भारत भूषण अग्रवाल पुरस्कार निशांत को दिया गया था। किसी एक कविता को आधार बना कर दिए जाने वाले इस पुरस्कार के लिए समकालीन भारतीय …
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