Home / Prabhat Ranjan (page 50)

Prabhat Ranjan

वीरेन्द्र प्रसाद की कुछ नई कविताएँ

भा.प्र.से. से जुड़े डॉ. वीरेन्द्र प्रसाद अर्थशास्त्र एवं वित्तीय प्रबंधन में स्नातकोत्तर की शिक्षा प्राप्त की है। वे पशु चिकित्सा विज्ञान में स्नातकोत्तर भी हैं। रचनात्मक लेखन में उनकी रुचि है। प्रस्तुत है भीड़भाड़ से दूर रहने वाले कवि-लेखक वीरेन्द्र प्रसाद की कुछ कविताएँ और गीत-जानकी पुल ================================ [1]   …

Read More »

‘राजनटनी’ उपन्यास की काव्यात्मक समीक्षा

हाल में गीताश्री का उपन्यास ‘राजनटनी’ प्रकाशित हुआ है, जिसकी काव्यात्मक समीक्षा की है यतीश कुमार ने- ================================= राजनटनी 1. योजनाओं की भी अपनी यात्रा होती है जो घटने के लिए भटकती हैं   वे ख़ानाबदोश हैं जो अपने साथ फूलों और मिट्टियों की खुशबू लिए भटकते हैं   घोर …

Read More »

बदलते समय के सांस्कृतिक क्षरण की दो कहानियां

कथाकार-उपन्यासकार संतोष दीक्षित ने इस लेख में रेणु जी की कहानी ‘रसप्रिया’ और मनोज रुपड़ा की कहानी ‘साज़-नासाज़’ के बहाने सांस्कृतिक क्षरण को रेखांकित किया है। एक अच्छा लेख- =================  ‘रसप्रिया’ रेणु की प्रारंभिक कहानियों में से है। इसका मर्म रेणु के ही नहीं, हिंदी के सम्पूर्ण कथा साहित्य तक …

Read More »

बहुरुपिये राक्षस और दो भाइयों की कथा: मृणाल पाण्डे

‘बच्चों को न सुनाने लायक बाल कथायें’ सीरिज़ की यह 20 वीं कथा है। इस सीरिज़ में प्रसिद्ध लेखिका मृणाल पाण्डे पारम्परिक लोक कथाओं का पाठ इस तरह से करती हैं कि वे समकालीन लगने लगती हैं। एक और मानीखेज़ कथा आज पढ़िए- ========================= (क्या लोक कथाओं से राज समाज …

Read More »

कविता शुक्रवार 20: निशांत की कविताएँ सोनम सिकरवार के चित्र

‘कविता शुक्रवार’ की इस बीसवीं प्रस्तुति में युवा कवि निशांत की कविताएं और सोनम सिकरवार के चित्र हैं। वर्ष 2008 में कविता के लिए प्रतिष्ठित भारत भूषण अग्रवाल पुरस्कार निशांत को दिया गया था। किसी एक कविता को आधार बना कर दिए जाने वाले इस पुरस्कार के लिए समकालीन भारतीय …

Read More »

‘ख़ानाबदोश’ की काव्यात्मक समीक्षा

पंजाबी की प्रसिद्ध लेखिका अजीत कौर की आत्मकथा ‘ख़ानाबदोश’ की काव्यात्मक समीक्षा की है यतीश कुमार ने। आप भी आनंद लीजिए- ======================= 1.   नाभि से कान सटाये हामला औरत-एक ज़ख्मी बाज़ नंगे दरख़्त की सबसे उपरी टहनी पर शोक गीत गा रही है   ज़ख़्मों में इतना रोष है …

Read More »

रामविलास पासवान की जीवनी का प्रकाशन

रामविलास पासवान की जीवनी वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप श्रीवास्तव लिख रहे थे। यह जानकारी मुझे थी। अब वह जीवनी प्रकाशित होकर सामने आ गई है। पेंगुइन से प्रकाशित इस जीवनी में रामविलास पासवान के जीवन संघर्ष, लगभग पाँच दशकों के राजनीतिक जीवन के बारे में विस्तार से लिखा ही गया है। …

Read More »

श्यौराज सिंह बेचैन की कहानियों का विमर्श

दलित साहित्यकारों में श्यौराज सिंह ‘बेचैन’ का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। उनकी प्रिय कहानियों के संकलन ‘मेरी प्रिय कहानियाँ’ की कहानियों पर यह विस्तृत टिप्पणी लिखी है युवा अध्येता सुरेश कुमार ने। आप भी पढ़ सकते हैं- ================== दलित विमर्श और साहित्यिक महारथियों के बीच श्यौराज सिंह ‘बेचैन’ …

Read More »

सरला माहेश्वरी की कविताएँ शबनम शाह के चित्र

कविता शुक्रवार के इस अंक में प्रस्तुत हैं सरला माहेश्वरी की कविताएं और शबनम शाह के चित्र। सरला माहेश्वरी के अब तक आठ कविता संग्रह प्रकाशित हुए हैं, जिनमें ‘आसमान के घर की खुली खिड़कियां’, ‘लिखने दो’, ‘तुम्हें सोने नहीं देगी’ और ‘जिंदगी का पाठ’ शामिल हैं। उन्होंने स्त्री विषयक …

Read More »

कैंजा, साबुली कैंजा और मनोहर श्याम जोशी का उपन्यास ‘कसप’

कुछ उपन्यासों के प्रमुख किरदार इतने हावी हो जाते हैं कि कई संगी किरदारों पर ध्यान ही नहीं जाता। मनोहर श्याम जोशी के उपन्यास ‘कसप’ की साबुली कैंजा ऐसी ही एक किरदार हैं। मुदित विकल ने उस किरदार पर, कैंजा शब्द पर बहुत सुंदर लिखा है। साजा कर रहा हूँ …

Read More »