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Piyush Daiya

हिन्दी के विलक्षण कवि और संपादक पीयूष दईया पुरोवाक् और बहुवचन के संस्थापक संपादक रहे हैं। लोक अध्ययन पर इनका काम काफ़ी महत्वपूर्ण रहा है। अनेक शोध-परियोजनाओं व सम्पादन के काम करने के अलावा इन्होंने कुछ संस्थानों में सलाहकार के रूप में भी काम किया है। इनसे todaiya@hotmail.com पर संपर्क किया जा सकता है।

पीयूष दईया की दस कविताएँ

  पीयूष के काव्य में आत्मपरक अनुभव निरीक्षण और बोध की सीढ़ी चढ़ सामाजिक संदर्भों में बोलते सुनाई देते हैं. ऐसी अभिव्यक्ति दीख पड़ती है जो किसी भावावेश से नहीं उमगी वरन् काव्य संरचना में अनावश्यक शब्दों के मोह से बच क़िस्सा गढ़ती है. इन लघु कविताओं में जीवन की …

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पीयूष दईया की तीन कविताएं

पीयूष दईया समकालीन कविता में सबसे अलग आवाज रखते हैं. सफलता-असफलता के मुहावरों से दूर. उनकी कविताओं को पढना जीवन को कुछ और करीब से जानना होता है. उनकी तीन नई कविताएं आपके लिए- प्रभात रंजन ======================= कभी खेलो मत यही खेल है 1।। क़ातिल स्त्रियों से छल करना सीखना …

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बग़ैर शब्दों के बोलना है एक भाषा में

पीयूष दईया की कविताओं को किसी परंपरा में नहीं रखा जा सकता. लेकिन उनमें परंपरा का गहरा बोध है. उनकी कविताओं में गहरी दार्शनिकता होती है, जीवन-जगत की तत्वमीमांसा, लगाव का अ-लगाव. पिता की मृत्यु पर लिखी उनकी इस कविता-श्रृंखला को हम आपके साथ साझा करने से स्वयं को रोक …

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