Home / Tripurari (page 5)

Tripurari

Poet, lyricist & writer

अभिषेक कुमार पाण्डेय की कहानी अनुबंधित जीवन

अभिषेक कुमार पाण्डेय युवा कथाकार हैं। अभी जो कहानी आप पढ़ने जा रहे हैं, उसे ग्रामीण परिवेश और वहाँ के जनजीवन को आधार बना कर लिखी गई है। स्वाभावत: ग्रामीण शब्दावली भी प्रयोग हुआ है, जिससे कहानी का लुत्फ़ दोबाला हो जाता है। – संपादक ======================================================== सुलक्षिणी ने दुआर बुहारने …

Read More »

रोहज़िन : मुंबई और यथार्थ की कहानी

हाल में मैंने उर्दू के लेखक रहमान अब्बास के लेटेस्ट नॉवेल ‘रोहज़िन’ पर लिखा था। जिसे यहाँ पढ़ा जा सकता है। आज ललिता दासगुप्ता (जो डिफ़ेंस रिसर्च एंड डेवलेपमेंट ऑरगेनाइजेशन, दिल्ली में सांइटिस्ट हैं) ने एक टिप्पणी लिख भेजी है। आप भी पढ़िए – त्रिपुरारि ======================================================= रोहज़िन उर्दू लेखक रहमान अबबास का एक ऐसा …

Read More »

युवा शायर #11 विजय शर्मा की ग़ज़लें

युवा शायर सीरीज में आज पेश है विजय शर्मा की ग़ज़लें – त्रिपुरारि ==================================================== ग़ज़ल-1 यमन की धुन पे ये किसका बदन बहलता है हर एक शाम ये साहिल पे कौन चलता है किसी के होंठ की गर्मी जबीं को मिलते ही बदन का ग्लेशियर आँखों से बह निकलता है …

Read More »

युवा शायर #10 प्रखर मालवीय ‘कान्हा’ की ग़ज़लें

युवा शायर सीरीज में आज पेश है प्रखर मालवीय ‘कान्हा’ की ग़ज़लें – त्रिपुरारि ==================================================== ग़ज़ल-1 आग है ख़ूब थोड़ा पानी है ये यहाँ रोज़ की कहानी है ख़ुद से करना है क़त्ल ख़ुद को ही और ख़ुद लाश भी उठानी है पी गए रेत तिश्नगी में लोग शोर उट्ठा …

Read More »

अनुशक्ति सिंह की (अ)कविताएँ

रोज़मर्रा की ज़िंदगी में हम हज़ारों तरह की परिस्थितियों से गुज़रते हैं। लेकिन एक वक़्त आता है, जब यह ‘गुज़रना’ हमारा अनुभव बन जाता है। उन अनुभवों को लिखना उतना ही मुश्किल है, जितना एक रूह को पैकर देना। अनुशक्ति की कविताएँ ज़िंदगी के नए ‘डायमेंशन’ की तरफ़ इशारा करती …

Read More »

धड़का था दिल कि प्यार का मौसम गुज़र गया

नश्तर ख़ानक़ाही एक बेचैन रूह का नाम है। जिसने अपनी शायरी से न सिर्फ़ उर्दू अदब की ख़िदमत की, बल्कि कई आवाज़ों को रोशनी भी बख़्शी। उसकी ग़ज़ल हम आज भी सुनते हैं, गुनगुनाते हैं। आज अचानक एक ग़ज़ल सुनी तो सोचा क्यूँ न कुछ और ग़ज़लें पढ़ी जाए और …

Read More »

जिस रोज़ बग़ावत कर देंगे, दुनिया में क़यामत कर देंगे

मज़दूर दिवस पर पेश हैं कुछ नज़्में – संंपादक ======================================================== मज़दूरों का गीत – असरार-उल-हक़ मजाज़  मेहनत से ये माना चूर हैं हम आराम से कोसों दूर हैं हम पर लड़ने पर मजबूर हैं हम मज़दूर हैं हम मज़दूर हैं हम गो आफ़त ओ ग़म के मारे हैं हम ख़ाक नहीं …

Read More »

युवा शायर #9 विकास शर्मा ‘राज़’ की ग़ज़लें

युवा शायर सीरीज में आज पेश है विकास शर्मा ‘राज़’ की ग़ज़लें – त्रिपुरारि ==================================================== ग़ज़ल-1 चल रहे थे नज़र जमाये हम मुड़ के देखा तो लड़खड़ाये हम खोलता ही नहीं कोई हमको रह न जाएँ बँधे-बँधाये हम प्यास की दौड़ में रहे अव्वल छू के दरिया को लौट आये …

Read More »

महिलाएं और पॉर्न बनाम ज़बरदस्ती की शर्म

कुछ टॉपिक्स ऐसे होते हैं, जिन पर बहस कभी ख़त्म नहीं होती। जैसे कि भाषा, फ़ेमिनिज़्म, पॉर्न, फ़्रीडम, नेशन, वग़ैरह। ज़ाहिर है हर लिखने वाले का अपना नज़रिया होता है। जिसकी सोच जितनी गहरी होती है, वो उतने खुले दिमाग़ से चीज़ों को सोचता है। हाल में इंटरनेट पर महिलाओं …

Read More »

युवा शायर #8 मुदिता रस्तोगी की ग़ज़लें

युवा शायर सीरीज में आज पेश है मुदिता रस्तोगी की ग़ज़लें – त्रिपुरारि ग़ज़ल-1 सुनो एक बात थी जो तुमसे कहनी थी…चलो छोड़ो है छोटी उम्र और है दास्ताँ लम्बी, चलो छोड़ो उठा कर, खेल कर, दिल तोड़ कर देखे कई उसने पता की क़ीमतें सबकी के फिर बोली, चलो …

Read More »