‘ये फूल उन पे चढ़ाते हो किस लिए लोगो/ शहीद ज़िंदा हैं उन का अज़ा नहीं करते’

अमर शहीद ब्रिगेडियर लिद्दड़ की बेटी आशना लिद्दड़ के दर्द से आहत मेरे जैसे नागरिकों को आवाज़ दी है सुहैब अहमद फ़ारूक़ी ने। वे पेशे से पेशे से पुलिस अधिकारी हैं, शायर हैं- ==========================   “I am going to be 17. So, he was with me for 17 years, we will …

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नीना आंटी: एक ऑफबीट स्त्री की कथा

अनुकृति उपाध्याय का उपन्यास ‘नीना आंटी’ एक ऐसा उपन्यास है जिसकी शेल्फ लाइफ़ रहेगी। उसके ऊपर यह टिप्पणी लिखी है युवा कवि देवेश पथ सारिया ने- =================   अनुकृति उपाध्याय के कहानी संग्रह ‘जापानी सराय’ पर मैंने टिप्पणी की थी कि अनुकृति के लेखन के अनेक ध्रुव हैं और यदि …

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रश्मि शर्मा को शैलप्रिया स्मृति सम्मान

रांची की वरिष्ठ कवयित्री शैलप्रिया की स्मृति में स्त्री लेखन के लिए दिए जाने वाले सम्मान के लिए इस वर्ष रांची की लेखिका रश्मि शर्मा का चयन किया गया है। इस सम्मान में 15,000 रुपये की राशि और मानपत्र की व्यवस्था है। 1 दिसंबर 1994 को 48 वर्ष की उम्र …

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‘ये मैं हूँ’ सबकी प्यारी शैंटी

रक्षा गीता दिल्ली विश्वविद्यालय के कालिन्दी कॉलेज में पढ़ाती हैं,  लिखने-पढ़ने वाली अध्यापिकाओं में हैं। यह उनकी रचना है, जिसको संस्मरण, अनुभव, कहानी कुछ भी कह सकते हैं। आप भी पढ़िए- हिना ने बड़े चाव से अपने मेहँदी लगे हाथों की फोटो खिंचवाई और संदीप को व्हाट्स अप पर सेंड …

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    जूठन : अनुभव और अनुभूतियाँ

युवा आलोचक सुरेश कुमार के लेख हम सब पढ़ते रहे हैं। उनकी आलोचना दृष्टि के हम सब क़ायल रहे हैं। यह उनका नया लेख है जो ओमप्रकाश वाल्मीकि की आत्मकथा ‘जूठन’ पर है- ====================   ओमप्रकाश वाल्मीकि,मोहनदास नैमिशराय, श्यौराज सिंह बेचैन, सूरजपाल चौहान और तुलसीरम की आत्मकथाएं इस बात की …

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कश्मीर के बदन पर कोहरा घना है

प्रसिद्ध लेखिका गीताश्री आजकल कश्मीर में हैं। वहाँ कला शिविर, वहाँ के हालात पर उनकी एक प्रासंगिक टिप्पणी पढ़िए- ============================== श्रीनगर के युवा चित्रकार नौशाद गयूर कला शिविर में अपने शहर के तात्कालिक हालात से अनजान पेंटिंग बना रहे थे. डल गेट और डल लेक पर छोटा आइलैंड चार चीनार …

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‘अंतस की खुरचन’ पर एक समीक्षात्मक टिप्पणी

कवि यतीश कुमार का कविता संग्रह ‘अंतस की खुरचन’ जब से प्रकाशित हुआ है लगातार चर्चा में बना हुआ है। उसकी समीक्षा लिखी है मृत्युंजय ने। आप भी पढ़ सकते हैं- ========================= किसका हाथ पहले पकड़ें     यतीश की कविता जीवन के सूक्ष्मतर अनुभव और अनुभावों का छायाचित्र आंकती चलती …

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विवेकी राय से डॉ. भूपेंद्र बिष्ट की वार्ता

प्रसिद्ध ललित निबंधकार विवेकी राय की आज जयंती है। आज उनसे एक पुरानी बातचीत पढ़िए। 1990 में यह बातचीत उनसे भूपेन्द्र बिष्ट ने की थी- ================================= हिंदी कथा साहित्य में गंवई जीवन के प्रति समर्पित शैलीकार के रूप में डॉ. विवेकी राय (19 नवंबर, 1924  –  22 नवंबर, 2016) की …

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जाँ निसार अख़्तर और उनके ख़ानदान के मुताल्लिक चंद बातें

पंकज पराशर संगीत-शायरी पर जब लिखते हैं तो बहुत अलग लिखते हैं। भाषा और विषय दोनों में महारत के साथ। यह लेख प्रसिद्ध उर्दू शायर जाँ निसार अख़्तर और उनके शायराना परिवार को लेकर है। एक पढ़ने और सहेजने लायक़ लेख- ============================= हम ने सारी उम्र ही यारो दिल का …

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ज़ौक़ जा पाया नहीं दिल्ली की गलियाँ छोड़कर

आज उस शायर की पुण्यतिथि है जिसने लिखा था ‘कौन जाए ज़ौक़ अब दिल्ली की गलियाँ छोड़कर’। उनके ऊपर यह लेख लिखा है शायर और पुलिस अधिकारी सुहैब अहमद फ़ारूक़ी ने। आप भी पढ़िए- ==============================      हमारे महकमे में एक देहाती कहावत चलन में है। वह यह कि ‘ख़ूबसूरत ज़नानी …

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