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कविताएं

अमृत रंजन की कुछ छोटी-छोटी कविताएँ

  कविता को  अभिव्यक्ति का सबसे सच्चा रूप माना जाता है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि कवि कविता के माध्यम से अपने दिल की सबसे सच्ची बातों को अभिव्यक्त करता है. अभिव्यक्ति जितनी सच्ची होती है पढने वाले को अपने दिल की आवाज लगने लगती है. बाल कवि अमृत …

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मयंक छाया की कुछ ग़ज़लें, कुछ छंद

जाने–माने पत्रकार और लेखक मयंक छाया शिकागो में रहते हैं और मूलतः अंग्रेजी में लिखते हैं। दलाई लामा की आधिकारिक जीवनी उन्होंने ही लिखी है जिसका तर्जुमा चौबीस भाषाओं में हो चुका है। मूलतः अंग्रेजी में लिखने वाले मयंक छाया लेकिन ग़ज़ल हिन्दुस्तानी में कहना पसंद करते हैं। आज पढ़िए उनकी …

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रेखा सेठी द्वारा अनूदित सुकृता पॉल कुमार की कविताएँ

मेरा मानना है कि कविता बस एक ही भाषा की होती है. कविता का अनुवाद मेरी नज़र में नामुमकिन के बेहद करीब है। रेखा सेठी ने निस्संदेह अपनी पूरी कोशिश की है उन अहसासों को हिन्दी में न खोने की, जो जानी-मानी कवयित्री सुकृता पॉल कुमार ने अंग्रेजी में लिखी …

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शुभम अग्रवाल की पन्द्रह कविताएँ

युवा कवि शुभम अग्रवाल (उम्र 27 वर्ष) हिन्दी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में लिखते हैं. उनकी कविताएँ इन दोनों भाषाओं में साहित्यक पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं. हिन्दी में उनका पहला कविता संग्रह लगभग तैयार है. वे गुड़गाँव में सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं.       1. कवि नहीं हूँ मैं अगर …

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राकेश श्रीमाल की सात नई कविताएँ

राकेश श्रीमाल महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय में एक पत्रिका के संपादक हैं, लेकिन वे मूलतः कवि हैं. जीवन के छोटे छोटे अनुभवों को कविता के शिल्प में ढालने की कला में सिद्धहस्त हैं. प्रस्तुत हैं उनकी कुछ नई कविताएँ- मॉडरेटर ============ एक —– कल दोपहर मिलना तुम उन्हीं सड़कों …

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अंग्रेजी कवि संजीब कुमार बैश्य की कविताएँ हिंदी अनुवाद में

संजीब कुमार बैश्य दिल्ली विश्वविद्यालय के जाकिर हुसैन दिल्ली कॉलेज(सांध्य) में अंग्रेजी के प्राध्यापक है. असम के रहने वाले संजीब पूर्वोत्तर कला संस्कृति के गहरे ज्ञाता हैं. हाल में इन्होने कुछ छोटी छोटी कविताएँ लिखी हैं, जिनकी सराहना अनेक हलकों में हुई है. फिलहाल बानगी के तौर पर उनकी तीन …

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ग़ालिब की फ़ारसी कविताओं में बनारस

रजा पुस्तकमाला हिंदी में एक जरूरी हस्तक्षेप की तरह लगता है. कुछ बेस्ट किताबों को प्रकाशित करवाने की दिशा में एक आवश्यक पहल. आज मैं ध्यान दिलाना चाहता हूँ मिर्ज़ा ग़ालिब की बनारस केन्द्रित कविताओं की किताब ‘चिराग-ए-दैर’ की तरफ. मेरे जैसे पाठकों को भी यह तो पता था कि …

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सोचा ज़्यादा किया कम उर्फ एक गँजेड़ी का आत्मालाप

विमल चन्द्र पाण्डेय की की लम्बी कविता. लम्बी कविता का नैरेटिव साध पाना आसान नहीं होता. स्ट्रीम ऑफ़ कन्सशनेस की तीव्रता का थामे हुए कविता के माध्यम से एक दौर की टूटन को बयान कर पाना आसान नहीं होता. बहुत दिनों बाद मैंने एक ऐसी लम्बी कविता पढ़ी जिसके आत्मालाप में …

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ख़ला के नाम पर जितने ख़ुदा थे, मर चुके हैं

निस्तब्ध हूँ. त्रिपुरारि की इस नज्म को पढ़कर- मॉडरेटर ================================   गैंग-रेप / त्रिपुरारि ये मेरा जिस्म इक मंदिर की सूरत है जहाँ पर रोज़ ही अब रूह का गैंग-रेप होता है मुझे महसूस होता है— दयार-ए-आँख में कुछ ख़्वाब जो आधे अधूरे रह गए थे सोचते हैं अब कि …

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राहुल तोमर की कविताएँ

जानकी पुल के मॉडरेटर होने का असली सुख उस दिन महसूस होता है जिस कुछ दिल को खुश कर देने वाली रचनाएं पढने को मिल जाती हैं. ऐसी रचनाएं जिनमें कुछ ताजगी हो. खासकर कविता में ताजगी देगे का अहसास हुए ज़माना गुजर जाता है. ज्यादातर कवि महज लिखने के …

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