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कविताएं

तुम्हें जानना दुनिया के सबसे ख़ूबसूरत अर्थों को छूना है

आज प्रस्तुत हैं कुलदीप कौर की कविताएँ. प्रेम पर कुछ छोटी-छोटी मगर गहरी बातें. 1. तुम चलने को एक बिन्दू से दूसरे बिन्दू तक गिनते हो। मैं बीच में होती हूं कई बार ग़ैर हाज़िर। तुम्हारा कहना सही है के मैं हो कर भी नहीं होती… बिल्कुल जैसे मैं सब …

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उपासना झा की कुछ नई नई कविताएँ

कविताओं में संवेदनशीलता जितनी अधिक होती है शब्दों का सौन्दर्य उतना ही बढ़ जाता है. उपासना झा की कविताओं में बहुत गहरी तल्लीनता है जो अपने साथ पढने वाले को लिए जाती है और उदास एकांत में छोड़ जाती है. इस बार उनकी कविताओं का स्वर अलग है लेकिन वही …

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हर्षित भारद्वाज की कुछ कविताएँ

आज कुछ कविताएँ हर्षित भारद्वाज की. अंतरराष्ट्रीय प्रकाशन जगत से जुड़े हर्षित आजकल जेम्स हेमिंग्वे प्रकाशन को भारत में लाने में लगे हुए हैं. वे अंग्रेजी में लेख लिखते हैं लेकिन कविताएँ हिंदी में. कहते हैं कविता में आदमी दिल की बात कहता है और दिल की  बात अपनी भाषा …

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नेहरु जी की पुण्यतिथि पर अग्निशेखर की कविता ‘जवाहर टनल’

देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु की पुण्यतिथि पर एक कविता अग्निशेखर की जिसका शीर्षक है ‘जवाहर टनल. आज के माहौल के बहुत अनुकूल है- मॉडरेटर ======================= गीले और घने अँधेरे से भरी थी जवाहर लाल नेहरू सुरंग और हम दहशत खाए लोग भाग रहे थे सहमी बसों में जवाहर …

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मनोहर श्याम जोशी की कुछ दुर्लभ कविताएँ

कवि-संपादक पीयूष दईया इन दिनों दुर्लभ रचनाओं, कृतियों की खोज में लगे हुए हैं. उनके हाथ मनोहर श्याम जोशी जी की ये दुर्लभ कविताएँ लगीं. वैसे तो जोशी जी की सम्पूर्ण कविताएँ उनके मरणोपरांत ‘कूर्मांचली की कविताएँ’ शीर्षक से पुस्तकाकार प्रकाशित हो चुकी हैं. लेकिन ये कवितायें उस संकलन में …

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सदफ नाज़ की कविता ‘भारत में गर न होता मुसलमान’

सदफ नाज़ की यह कविता पढ़ी है आपने?- मॉडरेटर =========================== भारत में गर न होता मुसलमान मुसलमान न होते तो जी चंगा होता दंगा-वंगा होता न ही कोई पंगा होता ख़ुशहाली होती घर-घर में बदहाली का न टंटा होता खिलते फूल चमन-चमन रहते सब ही मौज मगन बेरोज़गारों की फ़ौज …

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पवन करण की कुछ कविताएँ

हिंदी वालों का एक दुचित्तापन मुझे समझ में नहीं आता है कि जब भी कोई कवयित्री ऐन्द्रिक(सेंसुअस) कविताएँ लिखती है तो उसकी खूब तारीफ करते हैं लेकिन जब कोई पुरुष सेंसुअस कविताएँ लिखता है तो नैतिकता के आधार पर उसकी निंदा करते हैं. अभी वरिष्ठ कवि पवन करण की कुछ …

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राजेश प्रधान की चार कविताएँ

आज राजेश प्रधान की कविताएँ. किस तरह शब्दों के थोड़े से हेरफेर से शब्दों में सौन्दर्य पैदा हो जाता है, जीवन का सहज दर्शन उभर आता है उनकी कविताओं को पढ़ते हुए इसका अहसास हो जाता है. राजेश जी अमेरिका के बोस्टन में रहते हैं, वास्तुकार हैं, राजनीति शास्त्र के …

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मंगलेश डबराल का जन्मदिन मंगलेश डबराल की कविताएँ

आज सुबह से याद था कि आज मेरे प्रिय कवियों में एक मंगलेश डबराल का जन्मदिन है लेकिन उनकी कविताओं के माध्यम से उनको याद करने का मौका अब मिला. यही सच है कि जो लोग हमारे काम के नहीं होते उनको हम देर से याद करते हैं. फिर भी …

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माँ गूलर का दूध है, माँ निमिया की डार

कल वरिष्ठ लेखक दिविक रमेश जी ने ध्यान दिलाया कि कोलकाता से  बींजराज रांका के संपादन में 2017 में​ प्रकाशित भारत ही नहीं बल्कि विश्व के अनेक देशों की मां पर केन्द्रित ग्रंथ “मां मेरी मां” एक भव्य, जरूरी और महत्त्वपूर्ण पुस्तक प्रकाशित हुई है। इसमें मां को लेखों, कहानियों और …

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