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पुस्तक अंश

मिथिलेश कुमार राय का उपन्यास-अंश ‘करिया कक्का की आत्मकथा’

मिथिलेश कुमार राय ग्रामीण जीवन को लेकर बहुत जीवंत लेखन करते हैं. उसकी राजनीति से अलग उसके जीवन को सहज रूप में देखने की कोशिश करते हैं. वे आजकल उपन्यास लिख रहे हैं ‘करिया कक्का की आत्मकथा’. उसी का एक अंश- मॉडरेटर ======= ‘काकी, कक्का हैं? जरा दरवाजे पर भेज …

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उपासना नीरव के बाल उपन्यास “डेस्क पर लिखे नाम” का एक अंश

समकालीन कथा साहित्य में उपासना नीरव की कहानियों का अपना स्पष्ट रंग है. हाल के वर्षों में बिना किसी शोर शराबे के उन्होंने कई अच्छी कहानियां लिखी हैं. अभी हाल में ही उन्होंने एक बाल-उपन्यास लिखा है. उसका एक रोचक अंश आप भी पढ़ सकते हैं- मॉडरेटर ====================== प्लानचिट टुटु-पुट्टी …

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एक कलाकार के शब्दों में सर्बिया का चित्र

चित्रकार, कलाकार सीरज सक्सेना बहुत आत्मीय गद्य लिखते हैं. यह उनकी सर्बिया यात्रा का वृत्तान्त है. पढियेगा- मॉडरेटर ========== कागज़ ,केनवस और कपड़े से बनी अपनी कलाकृतियों की दो एकल प्रदर्शनी के लिए सर्बिआ जाना सुखद तो है ही अति उत्साह इस बात का है कि अपनी कला को नए …

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निखिल सचान के उपन्यास ‘यूपी 65’ का एक अंश

हिन्द युग्म ने नई वाली हिंदी के नारे के साथ टेक्नो लेखकों(इंजीनियरिंग-मैनेजमेंट की पृष्ठभूमि के हिंदी लेखक) की एक नई खेप हिंदी को दी. जिसके सबसे पहले पोस्टर बॉय निखिल सचान थे. उनकी किताब ‘नमक स्वादानुसार’ की 3-4 साल पहले अच्छी चर्चा हुई थी. हालाँकि उनकी दूसरी किताब का नाम …

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‘द मिनिस्ट्री ऑफ़ अटमोस्ट हैप्पीनेस’ के एक अंश का हिंदी अनुवाद

बीस साल बाद अरुंधति राय का दूसरा उपन्यास आया है ‘द मिनिस्ट्री ऑफ़ अटमोस्ट हैप्पीनेस’. मैंने इसके एक अंश का अनुवाद किया है जो आज ‘दैनिक हिन्दुस्तान’ में प्रकाशित हुआ है. आप भी पढ़कर बताइयेगा- मॉडरेटर ================================================== जब उसको पहली बार ऐसा महसूस हुआ कि वह घर के बाहर जा …

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जिसने हुनर में कमाल हासिल किया वह सारी दुनिया का चहेता

आज विश्व प्रसिद्ध पेंटर मकबूल फ़िदा हुसैन की पुण्यतिथि है. उनकी विवादास्पद पेंटिंग्स या उनकी माधुरी दीक्षित की प्रति दीवानगी और उनके फ़िल्मकार तक बन जाने की कहानी से तो सब वाकिफ़ हैं पर वे एक अच्छे लेखक भी थे ये उनकी आत्मकथा पढ़कर पता चलता है. आमतौर पर आत्मकथा …

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…लेकिन ऑपरेशन ब्लूस्टार भिंडराँवाले की हत्या की सीमा से बहुत दूर आगे तक चला गया था

  आज से 33 वर्ष पहले 5 जून, 1984 भारतीय राजनैतिक इतिहास के काले दिनों में से एक में शुमार हुआ. इसी दिन  ‘ऑपरेशन ब्लूस्टार’ को अंजाम दिया गया था. कॉंग्रेस के ख़ासमख़ास सरदार खुशवंत सिंह भी श्रीमती गाँधी के इस फ़ैसले से बहुद दुःख और रोष में थे. स्वयम् …

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देवदत्त पट्टनायक की सीता और उनका तीसरा निर्णय

देवदत्त पट्टनायक की पुस्तक सीता के पांच निर्णय का एक अंश. किताब राजपाल एंड सन्ज प्रकाशन से आई है. अंग्रेजी से इसका अनुवाद मैंने किया है- प्रभात रंजन =================================== समुद्र के ऊपर बहुत लम्बी यात्रा के बाद सीता ने खुद को लंका द्वीप में पाया, जहाँ उन्होंने खुद को रावण …

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मैं भूखा हूँ, रोज़ादार नहीं हूँ

रमज़ान का महीना शुरू हो गया है। मुझे याद आता है रहमान अब्बास का उर्दू नॉवेल (ख़ुदा के साए में आँख मिचोली), जिसमें एक किरदार कहता है- “मैं भूखा हूँ रोज़ादार नहीं हूँ।” बता दूँ कि 2011 में छपे, रहमान के इसी नॉवेल पर महाराष्ट्र साहित्य अकादमी का बेस्ट नॉवेल …

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नेहरु जी जनतंत्र के सबसे बड़े प्रकाश स्तम्भ थे

आज भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु की पुण्यतिथि है. आज के ही दिन 1964 में उनका देहांत हुआ था. लेखकों-कलाकारों से जैसा राग नेहरु जी का था वैसा किसी और प्रधानमंत्री का नहीं हुआ. हिंदी के लेखकों को भी सबसे अधिक मान-सम्मान उनके ही काल में मिला. राष्ट्रकवि रामधारी …

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