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पुस्तक अंश

70 साल का हुआ बाबा नागार्जुन का उपन्यास ‘रतिनाथ की चाची’

इधर इस बात पर ध्यान गया कि बाबा नागार्जुन के उपन्यास ‘रतिनाथ की चाची’ के लेखन का यह 70 वां साल है. इस उपन्यास के तीसरे संस्करण की भूमिका में नागार्जुन ने स्वयं यह लिखा है कि इसका रचनाकाल 1947 था. मुझे आज भी यह बात समझ में नहीं आई …

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‘चंपारण प्रयोग’ और गाँधी का जादू कैसे चला

यह गांधी के चम्पारण सत्याग्रह की शताब्दी का साल है. इस मौके को ध्यान में रखते हुए प्रसिद्ध पत्रकार और मूलतः चंपारण के निवासी अरविंद मोहन ने एक किताब लिखी है ‘चंपारण प्रयोग’. पुस्तक उन्होंने महात्मा गांधी के कम्युनिकेटर रूप को ध्यान में रखते हुए काफी अलग तरह से लिखी …

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धर्मपाल की किताब ‘गौ-वध और अंग्रेज’ का एक अंश

गाय को लेकर इस गर्म माहौल में मुझे प्रसिद्ध गांधीवादी चिन्तक धर्मपाल की किताब ‘गौ वध और अंग्रेज’ की याद आई. जिसका प्रकाशन वाणी प्रकाशन द्वारा किया गया था. इस पुस्तक में धर्मपाल जी ने अंग्रेज सरकार के प्रामाणिक दस्तावेजों के आधार पर यह दिखाया था कि किस तरह भारत …

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मीना कुमारी के ‘आखिरी अढाई दिन’ की दास्तान

आज मीना कुमारी की बरसी है. मुझे याद आई मधुप शर्मा की किताब ‘आखिरी अढाई दिन’ की. मीना कुमारी के आखिरी दिनों को लेकर लिखे गए इस उपन्यास में आत्मकथा की शैली में मीना कुमारी अपनी कथा कहती हैं. कुछ कुछ रामकुमार वर्मा के एकांकी ‘औरंगजेब की आखिरी रात’ की …

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क्या ‘शतरंज के खिलाड़ी’ ने लखनऊ को बदनाम कर दिया?

प्रसिद्ध कवि-विचारक उदयन वाजपेयी के संपादन में निकलने वाली पत्रिका ‘समास’ में उर्दू के मशहूर लेखक शम्सुर्ररहमान फारुकी का इंटरव्यू आया है, जी उदयन जी ने खुद लिया है. उस इंटरव्यू से यह पता चलता है कि आजकल फारुकी साहब लखनऊ पर उपन्यास लिख रहे हैं. उस उपन्यास का एक …

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ट्विंकल खन्ना की पुस्तक ‘लक्ष्मी प्रसाद की अमर दास्तान’ का एक अंश

पूर्व अभिनेत्री ट्विंकल खन्ना की किताब ‘द लिजेंड ऑफ़ लक्ष्मी प्रसाद’ जब अंग्रेजी में आई थी तो खूब चर्चा हुई थी. अब जगरनॉट बुक्स से वह किताब हिंदी में भी आ रही है ‘लक्ष्मी प्रसाद की अमर दास्तान’ के नाम से. प्रस्तुत है किताब का एक रोचक अंश- मॉडरेटर ========================================= …

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प्रेमचंद पर महादेवी वर्मा का लेख

आज महादेवी वर्मा का जन्मदिन है. बीसवीं शताब्दी में स्त्री लेखन को एक मुकम्मल पहचान देने वाली इस लेखिका ने जीवन और लेखन अपनी शर्तों पर किया और अपने लेखन के बल पर हिंदी में अमिट पहचान बनाई. आज उनके जन्मदिन पर उनका यह छोटा सा लेख जो उन्होंने प्रेमचंद …

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अरुंधति रॉय की नजर में भारत का आइडिया!

जगरनॉट प्रकाशन की एक किताब पढने को मिली, अरुंधति रॉय और जॉन क्यूजैक के बीच बातचीत की: बातें जो कही जा सकती हैं और नहीं कही जा सकती हैं. अरुंधति रॉय 2014 की सर्दियों में एडवर्ड स्नोडेन से मिलीं। उनके साथ में थे अभिनेता और लेखक जॉन क्यूज़ेक और डेनियल …

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आशुतोष भारद्वाज के उपन्यास का अंश ‘प्रूफरीडर के नाम खत’

इन्डियन एक्सप्रेस के पत्रकार आशुतोष भारद्वाज को बस्तर पर अपनी रपटों के लिए याद किया जाता है. उनको चार बार प्रतिष्ठित रामनाथ गोयनका पुरस्कार मिल चुका है.रायटर्स के अंतरराष्ट्रीय कुर्त शोर्क अवार्ड के लिए दुनिया भर से शॉर्टलिस्ट किये गए आठ पत्रकारों में उनका नाम भी शामिल है. लेकिन वे एक …

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सुषम बेदी के उपन्यास ‘पानी केरा बुदबुदा’ का अंश

हिंदी के डायस्पोरा लेखकों में सुषम बेदी का नाम प्रमुखता से लिया जाता है. अमेरिका के यूनिवर्सिटी ऑफ़ कोलंबिया में पढ़ाने वाली सुषम जी करीब आधा दर्जन उपन्यास लिख चुकी हैं. अमेरिका में रहने वाले दक्षिण एशियाई लोगों के जीवन को उन्होंने अपनी रचनाओं में बहुत बारीकी से उकेरा है. …

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