Home / बातचीत (page 3)

बातचीत

मशहूर डिज़ाइनर और रंगनिर्देशक बंसी कौल से व्योमेश शुक्ल की बातचीत

आजकल बेस्टसेलर की चर्चा बहुत है. अच्छी बात है लेकिन इस बीच हिंदी में जो बेस्ट हो रहा है हमें उसको भी नहीं भूलना चाहिए. नजरअंदाज़ नहीं करना चाहिए. कोई भी भाषा अपनी विविधता से समृद्ध होती है. आज जाने माने रंगकर्मी बंसी कौल से व्योमेश शुक्ल की बातचीत. व्योमेश …

Read More »

सुरेन्द्र मोहन पाठक और उनके पाठकों की दुनिया: कुछ अनछुए पहलू

सुरेन्द्र मोहन पाठक के आत्मकथा का पहला खंड ‘न बैरी न कोई बेगाना’ बाजार में आने वाला है. उनके पाठकों में बहुत उत्साह है. यह बात शायद लोगों को उतना पता न हो कि पाठक जी अकेले ऐसे लेखक हैं जिनका फाइन क्लब है. जिनके प्रशंसक निस्वार्थ भाव से उनके …

Read More »

ऐप उपन्यास ‘वाया गुड़गाँव’ के लेखक दुष्यंत के साथ एक बातचीत

युवा लेखक दुष्यंत समकालीन जीवन सन्दर्भों को अपने कहानियों में लिखते रहे हैं. ‘वाया गुड़गाँव’ उनका पहला उपन्यास है, जो जगरनॉट के ऐप पर आया है. इसी उपन्यास को लेकर ‘जानकी पुल’ की उनसे बातचीत- मॉडरेटर ============================================ ‘वाया गुड़गांव’ ही क्यों? एक लाइन में बताइये ! हमारे जीवन में सब …

Read More »

जमशेदपुर में ‘सृजन संवाद’ में विकास कुमार झा के उपन्यास पर चर्चा

   गत रविवार जमशेदपुर में विकास कुमार झा के उपन्यास पर चर्चा हुई. उसी की रपट भेजी है विजय शर्मा ने- आज जैसी जीवन्त, सार्थक अनौपचारिक साहित्यिक गोष्ठी शायद ही पहले कभी हुई हो। ‘सृजन संवाद’ में सबसे पहले तो डॉ. भास्कर राव ने अपनी बदरीनाथ-केदारनाथ की यात्रा के संस्मरण …

Read More »

मैं बहुत ही निम्नकोटि के चित्रपट देख रहा हूँ-प्रेमचंद

संपादक-कवि पीयूष दईया अपनी शोध योजना के दौरान दुर्लभ रचनाओं की खोज करते हैं और हमसे साझा भी करते हों. इस बार तो उन्होंने बहुत दिलचस्प सामग्री खोजी है. 1930 के दशक में प्रेमचंद का एक इंटरव्यू गुजराती के एक पत्र में प्रकाशित हुआ. बाद में वह प्रेमचंद सम्पादित पत्रिका …

Read More »

ऐप को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने की योजना है- रेणु अगाल

अभी हाल में जगरनॉट प्रकाशन ने हिंदी किताबों के लिए फोन बेस्ड ऐप की शुरुआत की है. उसी ऐप को लेकर जगरनॉट की कार्यकारी संपादक रेणु अगाल से दिव्या विजय की बातचीत- 1.स्मार्ट फ़ोन के साथ किताबों को फोन पर पढ़ने का चलन बढ़ा है लेकिन अब भी किताबें फ़ोन …

Read More »

‘दिल्ली की शायरी में लड़कों के लिए इश्क बहुत है, लखनऊ में लड़कियों के लिए’

उदयन वाजपेयी के संपादन में निकलने वाली पत्रिका ‘समास’ के 15 वें अंक में उर्दू के महान लेखक शम्सुर्ररहमान फारुकी का एक बहुत जबरदस्त इंटरव्यू आया है, जो कि उदयन वाजपेयी जी ने ही लिया है. उस इंटरव्यू में बहुत सारी बातों के अलावा लखनऊ-बनाम दिल्ली की बहस के ऊपर …

Read More »

खरीद बिक्री के आंकड़े साहित्य के मूल्य तय नहीं करते- ऋषिकेश सुलभ

आज ऋषिकेश सुलभ का जन्मदिन है. वरिष्ठ पीढ़ी के सबसे सक्रिय लेखकों में एक सुलभ जी ने अपने नाटकों, अपनी कहानियों से एक बड़ा पाठक वर्ग बनाया है. सबसे बड़ी बात यह है कि बिहार के वे उन दुर्लभ लेखकों में हैं जिन्होंने समकालीन युवा लेखकों से निरंतर संवाद बनाया …

Read More »

प्रेमचंद को नहीं चेखव को पढ़कर कथाकार बना

स्वयंप्रकाश के बारे में कुछ लिखने की जरुरत नहीं उनकी कहानियां खुद उस माहिर लेखक का बयान हैं. अभी हाल में ही राजपाल एंड संस प्रकाशन से ‘मेरी प्रिय कहानियां’ सीरिज में उनकी किताब आई है. उसकी भूमिका में उन्होंने अपनी रचना-प्रक्रिया, अपनी रचनाओं, पसंदों-नापसंदों को लेकर खुल कर बात …

Read More »

ग़ैरपाठकों को भी पाठक बनाना मेरा उद्देश्य है- पंकज दुबे

‘बिहार-यूपी के किसी छोटे गाँव से सत्तू-अचार भरी पेटी लिए, अपने पिता से पाए गए आईएएस बनने के सपने के साथ अधिकतर लोग दिल्ली यूनिवर्सिटी पढ़ाई करने आते हैं। इनमें से बहुतों का एक निज़ी सपना होता है: एक दूधिया गोरी पंजाबी लड़की के साथ सोना।’ इसी प्लॉट पर लिखे …

Read More »